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यौन हमलों से रक्षा के लिए रेड ब्रिगेड

एम अंसारी२० फ़रवरी २०१६

जब समाज रक्षा करने में विफल रहे तो लोगों को जिम्मेदारी अपने हाथों में लेनी पड़ती है. उत्तर प्रदेश की उषा विश्वकर्मा ने रेड ब्रिगेड्स की स्थापना इसी मकसद से की. अब उनका लक्ष्य है दस लाख महिलाओं को आत्मरक्षा सिखाना.

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Indien Rote Brigaden
तस्वीर: Red brigades Lucknow

रेड ब्रिगेड्स की शुरुआत के पीछे एक दर्द से भरी कहानी है. उषा विश्वकर्मा के 7 सदस्यों वाले परिवार की आय इतनी नहीं थी कि वह उषा और उसके भाई बहनों की पढ़ाई और जीवन यापन का खर्च उठा सके. उषा ने 12वीं तक की पढ़ाई उधार की किताबों से की. 2005 में जब उषा ने परिवार को आर्थिक मदद के लिए एक संस्था के साथ काम करना शुरु किया तो उसके साथी शिक्षक ने बलात्कार की कोशिश की. साथी शिक्षक उषा का दोस्त भी था और हम उम्र भी. उस शिक्षक की कोशिश तो नाकाम हो गई लेकिन उषा उस घटना के बाद से अंदर ही अंदर घुटने लगी.

उस संस्था में उषा की बात किसी ने नहीं सुनी. आरोपी शिक्षक उषा पर व्यंग कसता और विजयी भाव से उषा की तरफ देखता. स्वावलंबन के जिस सपने के साथ उषा ने नौकरी पकड़ी थी वह भी चकनाचूर हो गया. दो साल तक उषा अवसाद में रही. लेकिन 2006-07 में उनकी जिंदगी में नया मोड़ आया. उनकी मुलाकात वाराणसी के अजय पटेल से हुई. पटेल ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने यह महसूस किया कि उषा के साथ कुछ गलत हुआ है और उन्हें सहारे की जरूरत है. पटेल ने उषा को अन्याय और यौन हिंसा खिलाफ लड़ने का मजबूत सहारा दिया.

रेड ब्रिगेड्स की शुरुआत

धीरे धीरे उषा सामान्य जिंदगी जीने लगी और बच्चों को पढ़ाने का काम शुरु किया. साथ ही वे महिलाओं के अधिकारों के बारे में सोचने लगी. उषा कहती हैं, "लखनऊ के मड़ियांव इलाके में मनचले हमेशा लड़कियों को छेड़ते और उनपर फब्तियां कसते. इन सब हरकतों का कोई विरोध भी नहीं करता. एक दिन मेरे में स्कूल में पढ़ने वाली 11 साल की बच्ची के साथ उसके ही चाचा ने बलात्कार की घटना को अंजाम दिया. इस घटना ने मुझे अंदर से हिला दिया. मेरा दिमाग सन्न हो गया कि क्या कोई सगा चाचा अपनी ही भतीजी से इतनी घिनौनी हरकत कर सकता है."

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उषा विश्वकर्मातस्वीर: Red brigades Lucknow

उषा ने 2010 में लिंग भेदभाव विषय पर अपने स्कूल की छात्राओं के साथ तीन दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया. इस वर्कशॉप में उत्तर प्रदेश की 53 लड़कियों ने हिस्सा लिया. इसी वर्कशॉप में 51 लड़कियों ने उषा को जो बात बताई वह चौंकाने वाली थी. 51 लड़कियों ने बताया कि उनके साथ किसी न किसी रूप में यौन हिंसा होती रही है. किसी लड़की ने बताया कि उसके भाई ने उसके साथ दुष्कर्म किया है तो किसी ने बताया कि उसके जीजा ने ही उसकी असमत लूटने की कोशिश की.

उषा कहती हैं, ‘आखिर हम कहां सुरक्षित हैं? इस वर्कशॉप ने सबको बताया कि हम लड़कियां कहीं भी सुरक्षित नहीं है. मैंने और अन्य लड़कियों ने तय किया कि हम नुक्कड़ नाटकों के जरिए महिला हिंसा के खिलाफ जागरुकता फैलाएंगे और हमने एक मंडली बनाई.' जागरुकता अभियान चलाते समय इन लड़कियों के परिधान को लेकर कमेंट्स आने लगे और कमेंट्स करने वालों में लड़के शामिल थे. लड़के काले और लाल कपड़ों पर ‘सेक्सी रेड ब्रिगेड' की फब्तियां कसते. लड़कियों ने सोचा कि क्यों न हम अपना नाम रेड ब्रिगेड ही रख लें.

मनचलों पर दबाव

उषा वाकया बताती हैं कि लखनऊ के मड़ियांव इलाके में रहने वाली लड़कियां अक्सर इस बात की शिकायत करती थी कि आए दिन स्कूल आते जाते समय उनके साथ छेड़खानी हो रही है और मनचले उनकी चुन्नी खींचते हैं. उषा ने 15 लड़कियों का एक ग्रुप बनाया और ऐसी छेड़खानी के खिलाफ आवाज उठाने लगी. यह ग्रुप उन लड़कों के घर जाता जो लड़कियों के साथ छेड़खानी और अश्लील हरकत करते. परिवार में उन लड़कों की शिकायत की जाती और महिलाओं के साथ कैसे बर्ताव किया जाए इसको लेकर अभिभावकों को जागरुक किया जाता. इस तरह से 6-7 महीनों तक चलता रहा लेकिन पानी सिर से ऊपर चढ़ गया और एक दिन ग्रुप की एक लड़की ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक मनचले की पिटाई कर दी. लड़के के परिवार वाले ने उषा से इसकी शिकायत की और उल्टा उषा को ही बुरा भला कहने लगे लेकिन जब उन्हें तथ्यों से अवगत कराया गया तो परिवार का सिर शर्म से झुक गया.

वक्त के साथ उषा और रेड ब्रिगेड में काम करने वाली लड़कियों की जिम्मेदारी भी बढ़ती गई. लखनऊ में इन्होंने अपने काम को विस्तार दिया. लेकिन दिसंबर 2012 में हुए निर्भया कांड ने इस संस्था को झकझोर दिया. निर्भया कांड के बाद कानून में कड़े प्रावधान किए गए. लेकिन नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2014 के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में बलात्कार के मामले घटे नहीं है बल्कि बढ़े हैं. आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में देशभर में बलात्कार के 37,681 मामले दर्ज किए गए. एनसीआरबी की माने तो देश में हर रोज 93 महिलाओं के साथ दुष्कर्म होता है. यह चौंकाने वाले तथ्य हैं. इन लोगों ने तय किया कि अब वे इस घिनौनी वारदात के बाद देशभर में महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाएंगी.

रेड ब्रिगेड की खास बात ये हैं कि पूरा काम महिलाओं द्वारा ही अंजाम दिया जाता है. मई 2013 में रेड ब्रिगेड को उसके द्वारा किए जा रहे सकारात्मक प्रयासों के लिए फिलिप्स गोडफ्रे राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मशहूर भारतीय टीवी रियलिटी शो कौन बनेगा करोड़पति में भी उषा और रेड ब्रिगेड के लिए अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने एक रकम जीतने के बाद दान दिया है. इस रकम का इस्तेमाल महिलाओं के लिए बनने वाली रेड ब्रिगेड अकादमी के लिए होगा.

आने वाले दिनों में रेड ब्रिगेड देशभर में दस लाख महिलाओं को मिशन वन मिलियन के तहत सेल्फ डिफेंस सिखाने का लक्ष्य रखा है. रेड ब्रिगेड ने अभी तक मुंबई, दिल्ली, असम और उत्तर प्रदेश की 35,000 महिलाओं को स्पेशल सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी है. आत्मरक्षा के लिए लंदन और अमेरिका की टीमों के साथ समझौता हुआ है जो समय समय पर आकर उन्हें ट्रेनिंग देते हैं.