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रवांडा: बलात्कार पीड़ितों के बच्चे

७ अप्रैल २०१४

अफ्रीकी देश रवांडा में रहने वाला 19 साल का डेविड पिता के बारे में पूछने पर कहता है, "नहीं हैं." उसके लिए यह कहना मुश्किल है कि वह भी उन हजारों बच्चों में से है जो 1994 के जनसंहार के दौरान हुए बलात्कारों की निशानी हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

बात सिर्फ पिता के बारे में जानकारी न होने की, या बलात्कार से जन्मे बिना पहचान के जीवन की नहीं है. इनमें से कई बच्चे और बलात्कार पीड़ित औरतें एचआईवी से संक्रमित जीवन जी रही हैं. हुतु समुदाय द्वारा तुत्सियों के खिलाफ उस जनसंहार के दौरान कितने बलात्कार हुए इसकी सही संख्या का पता लगाना मुश्किल है. बलात्कार के बाद ज्यादातर महिलाओं की हत्या कर दी गई, और जो बाकी बच गईं वे किसी तरह उसे भूल जाना चाहती हैं.

जनसंहार को बीस साल बीत जाने के बाद आज यह कहना भी मुश्किल है कि उन बलात्कारों के कारण कितने बच्चों ने जन्म लिया. 1996 में आई संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, "बलात्कार ही कानून था और इसका ना होना अपवाद था." इस रिपोर्ट में कहा गया कि इस बारे में कोई आंकड़े नहीं हैं और इसे अपराधी हथियार की तरह इस्तेमाल करते थे.

डेविड (काल्पनिक नाम) को जब पता चला कि उसका जन्म किस तरह हुआ है तो वह शुरुआती सदमे के बाद गुस्से से भर गया. लेकिन वह और जानना चाहता था, उस समय के बारे में, परिस्थिति के बारे में. वह कहता है, "मेरी मां का रंग साफ है, और मेरा गहरा है. मैं जानना चाहता हूं कि वह कैसा दिखता है." डेविड की मां एस्टर ने बताया कि वह सब कुछ नहीं जानता, पहले वह बहुत सवाल करता था लेकिन अब उसने कम कर दिया है. वह कहती हैं, "मेरा बेटा बहुत बात नहीं करता है इसलिए यह पता नहीं चलता कि इसके मन के अंदर क्या चल रहा है."

सात अप्रैल 1994 को हुतु और तुत्सी समुदाय के बीच हिंसक झड़पें शुरू होने के समय एस्टर किगाली से भाग गई थी. कुछ दूसरी औरतों के साथ जब वह कांगो में प्रवेश करने की कोशिश कर रही थी तभी सीमा पर उसके साथ मिलिशिया के लड़ाकों ने बलात्कार किया. उन्होंने बताया, "एक औरत ने हमें अपने घर पनाह दी लेकिन असल में उसने हमारे साथ धोखा किया और वह स्थानीय लड़ाकों के प्रमुख को बुला लाई. उस घर में वह रात जहन्नुमी थी."

Ruanda Völkermord
तस्वीर: picture-alliance/dpa

जब उसे पता चला कि वह गर्भवती है तो उसने इस बारे में अपनी बहन को बताया. वह कहती हैं, "मेरे बेटे के जन्म के बाद मेरे पास उसे चाहने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था." उसने डेविड को इस बारे में तब बताया जब उसे पता चला कि उसका बलात्कार करने वाले व्यक्ति के कारण वह एचआईवी से संक्रमित हो गई हैं.

बलात्कार पीड़ितों और उनके परिवारों की मदद के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था सर्वाइवर फंड की सैमुएल मंडेरियर कहती हैं, "बलात्कार आज भी यहां दाग की तरह है. लेकिन अब लोग इस बारे में बात करने लगे हैं. हालांकि अभी बहुत समय लगेगा,चीजें बदल रही हैं." उन्होंने बताया कि कई बच्चों को उनके जन्म के बारे में नहीं पता है क्योंकि उनकी माएं इस बारे में बात नहीं करना चाहतीं.

19 साल की निरांविजा ने जब देखा कि हर बार अपने पिता के बारे में पूछने पर उसकी मां दुखी और परेशान हो जाती है, तो उसने यह सवाल करना बंद कर दिया. उसके पिता ने जनसंहार के बाद उसकी मां को एक साल तक यौन श्रमिक बनाकर रखा हुआ था. जनसंहार के दौरान उसकी मां ऑगस्टीन का कई लोगों ने बलात्कार किया. इस बार उसने बेटे को जन्म दिया. ऑगस्टीन ने बताया, "जनसंहार के बाद मैं हर किसी से और अपने आप से भी नफरत करने लगी थी." आंसू पोछते हुए वह कहती है, "मैं अपने बच्चों को प्यार नहीं करती थी क्योंकि उन्हें देख कर हर वक्त मुझे उस सब की याद आती थी जो मेरे साथ हुआ." बाद में उसे पता चला कि उसे एचआईवी है. उसकी बेटी को एचाईवी नहीं है और बेटे ने अपना टेस्ट कराने से इनकार कर दिया है. अफ्रीकी देश रवांडा में छह अप्रैल 1994 में हुतु समुदाय के नेता और राष्ट्रपति हाबयारीमाना के विमान को हमला कर गिरा दिया गया. इस घटना ने एक भयानक रूप लिया. देश भर में तुत्सी समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़क उठी. तुत्सियों के रिहाइशी इलाकों पर बम गिराए गए. तुत्सियों को ढूंढ ढूंढ कर मारा गया. अपनी रक्षा के लिए भागने की कोशिश कर रही महिलाओं का बेरहमी से बलात्कार करवाया गया. कुछ ही हफ्तों में औरतों और बच्चों समेत आठ लाख लोगों की हत्या कर दी गई.

एसएफ/एएम (एएफपी)