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राजनीतिक विवादों में घिर रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी

३० जून २०१५

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हैशटैग सेल्फीविदडॉटर सोशल मीडिया पर हंगामा मचा रहा है लेकिन उसने राजनीतिक विवाद का भी मौका दिया है. विपक्षी एक्टिविस्ट उनकी नीयत पर संदेह कर रहे हैं तो समर्थक उन्हें दूरदर्शी बता रहे हैं.

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Indischer Premierminister Narendra Modi
तस्वीर: AFP/Getty Images/I. S. Kodikara

प्रधानमंत्री ने रविवार को अपने ताजा मन की बात में विवादास्पद मुद्दों पर राय व्यक्त करने के बदले उसका इसतेमाल अपने अभियानों को आगे बढ़ाने के लिए किया. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने लोगों से बेटी के साथ सेल्फी पोस्ट करने के लिए कहा जिसे वे रिपोस्ट भी कर रहे हैं. उनकी अपील पर भारी प्रतिक्रिया हो रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा को रोकने और भेदभाव दूर करने के मकसद से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया है. इसके साथ साथ सुकन्या समृद्धि खाता की योजना लड़कियों के जन्म और शिक्षा को प्रोत्साहित करने पर लक्षित है ताकि लड़के तथा लड़कियों के अनुपात की विषमता को दूर किया जा सके. भारत में प्रति 1000 लड़के पर सिर्फ 918 लड़कियां हैं. बेटे की चाह में बहुत से परिवार कन्या भ्रूण हत्या का सहारा लेते हैं.

प्रधानमंत्री का सेल्फी अभियान ऐसे समय में चल रहा है जब खबर आई है कि प्रधानमंत्री के पास दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए समय नहीं है. दिल्ली सरकार ने सोमवार को पीएम से मुलाकात के लिए केजरीवाल द्वारा 10 दिन पहले मांगे गए समय पर जानकारी मांगी थी. जवाब में पीएमओ ने कहा कि फिलहाल वे बहुत व्यस्त हैं. पीएमओ ने मुख्यमंत्री को बहुत जरूरी होने पर गृह मंत्री या वित्त मंत्री से मिलने की सलाह दी है.

राजनीतिक विवादों के बीच अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडी ने कहा है कि नरेंद्र मोदी की सरकार में सुधारों की गति पर उत्पन्न कुछ व्यवधानों के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था धीमी रहेगी. अपनी ताजा भारत रिपोर्ट में मूडी ने कहा है कि भारत के आर्थिक विकास पर आम राय अपेक्षाकृत आशाजनक है. मूडी ने इस वित्तीय वर्ष में भारत में 7.5 प्रतिशत का आर्थिक विकास होने की बात कही है. मूडी ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रशासन में सुधारों की गति को लेकर निराशाओं और नीतिगत ठहराव के जोखिमों पर बढ़ती चिंता की बात की है.

भारत में देहाती आय में वृद्धि की दर निचली से मध्य एकल संख्या में अटक गई है जबकि 2011 में ग्रामीण इलाकों की औसत आय में 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ था. ग्रामीण आय में वृद्धि की दर के धीमी होने की वजह आंशिक रूप से सरकारी खर्च में कटौती और केंद्र सरकार का वित्तीय अनुशासन है. मूडी का कहना है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में उसके बदलने के आसार नहीं हैं, हालांकि इस साल मौसम बहुत खराब रहा है और बारिश तूफान के कारण कई प्रांतों में फसल नष्ट हो गई हैं.

एमजे/एसएफ (पीटीआई)