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वृद्धाश्रम नहीं रोमांच

८ अगस्त २०१४

कहा जाता है कि ओल्ड एज होम में जाने का मतलब है रिटायरमेंट और सारे मजे बंद. अब स्लोवेनिया का एक सोशल नेटवर्क उन बूढ़े लोगों के लिए खास प्रोग्राम बना रहा है जो घूमना फिरना पसंद करते हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/Tobias Hase

कहा जाता है कि ओल्ड एज होम में जाने का मतलब है रिटायरमेंट और सारे मजे बंद. अब स्लोवेनिया का एक सोशल नेटवर्क उन बूढ़े लोगों के लिए खास प्रोग्राम बना रहा है जो घूमना फिरना पसंद करते हैं.

दुनिया घूमने की इच्छा रखने वाले बुजुर्गों को इस नेटवर्क ने खास मकानों की सुविधा देने की पेशकश की है. 77 साल की स्लोवेनियाई महिला योसिचा कुचेरा कहती हैं, "जैसे ही मौका मिला मैंने तुरंत स्पेन जाने का फैसला किया."

और 2014 की जुलाई में उन्होंने रिटायरमेंट होम का अपना कमरा अदला बदली किया और बार्सिलोना के पास मातारो में एक हफ्ते के लिए रिटायरमेंट होम में उन्हें कमरा मिल गया. कुचेरा स्पेनिश तो नहीं बोलती लेकिन थोड़ी जर्मन और इंग्लिश उन्हें आती है. वह कहती हैं, "मैं कोई रास्ता ढूंढ लूंगी. मुझे बिलकुल डर नहीं है. मैं सोच रही हूं कि वहां बूढ़े लोग कैसे रहते हैं."

लेनदेन

कुचेरा के कमरे में हफ्ते के लिए आए 82 साल के स्पेनी मिकेल रिबास. मुद्दे की बात यह है कि दोनों के लिए ही रहना मुफ्त है, इसमें खाना, एक्सरसाइज जैसी गतिविधियां और स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं. कुचेरा का इकलौता खर्च है, लिंक्डएज नाम के इस नेटवर्क की सदस्यता राशि.

स्लोवेनिया पहुंचे स्पेन के रिबास का कहना था कि भाषा नहीं आने से कोई फर्क नहीं पड़ा. घूमते घूमते उन्होंने चार पांच शब्द तो सीख ही लिए.

लिंक्डएज बनाने वाली कंपनी सोचीनट है. उनका दावा है कि उम्रदराज लोगों के लिए बनाया गया ये पहला इस तरह का इंटरनेशनल एक्सचेंज है. वह ऐसे लोगों के लिए जो ओल्डएज होम्स में रह रहे हैं. जहां उन्हें चिकित्सकीय देख रेख की भी जरूरत पड़ती है. इस एक्सचेंज प्रोग्राम में ध्यान रखा गया है कि जिस भी देश में ये सीनियर्स जाएं वहां भी उन्हें इलाज की वैसी ही सुविधाएं मिलें, जैसे उनके देश में उन्हें मिलती हैं. बर्लिन में यूरोप की सबसे बड़ी रिटायरमेंट होम सर्विस असोसिएशन ईडीई या बूढ़े लोगों के लिए लंबे समय की सेवा देने वाली यूरोपीय संस्था ने इस नेटवर्क को समर्थन दिया है.

यूरोप में बुढ़ापा

इस प्लेटफॉर्म को बनाने वाले मानते हैं कि उन्होंने यूरोप में बढ़ते बुढ़ापे को देख कर ये काम शुरू किया. यूरोप के आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ओएससीडी के मुताबिक 2060 तक यूरोप की 40 फीसदी जनसंख्या 65 साल से ऊपर की होगी. सोसीनेट के संस्थापक टोमास लोरेंजेटी कहते हैं, "मैंने सोचा कि मेरी दादी, अगर वो एक्टिव हैं और रिटायरमेंट होम में रहने के लिए उसके पास पैसे हैं, तो वह एक ही घर में क्यों रहें. वह पूरे साल किसी और देश में क्यों नहीं रह सकतीं और उन्हें सब जगह एक जैसी सुविधाएं क्यों नहीं मिल सकतीं." स्पेन फ्रांस और जर्मनी से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में अब इंडोनेशिया और मेक्सिको से लेकर करीब 100 देशों के केयर होम जुड़ चुके हैं.

एएम/एजेए (एएफपी)