रिफ्यूजियों के लिए नर्क बना लीबिया
यातना, बलात्कार, भुखमरी, यूरोप पहुंचने का सपना देखने वाले अफ्रीकी लोग, लीबिया में ऐसी बर्बरता का सामना करते हैं. उन्हें ऐसा लगता है जैसे वे नर्क में आ गए हों.
गुलामी की रिपोर्टें
अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के बाद दुनिया को लीबिया में चल रही संदिग्ध मानव तस्करी का पता चला. लीबिया की सरकार ने लोगों को दास बनाकर बेचने के मामले की जांच के लिए एक आयोग बनाया.
विरोध प्रदर्शन
पेरिस, जेनेवा, ब्रसेल्स और रबात जैसे विख्यात शहरों में लीबिया के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं. मोरक्को में युवाओं ने लीबिया के दूतावास के सामने गुलामों की कथित सौदेबाजी की विरोध किया.
जान सांसत में
यूरोप की तरफ आने वाले अफ्रीकी देशों के लोग लीबिया के नाम से कांपने लगे हैं. लीबिया में एक ही कमरे में दर्जनों लोगों को कैद कर रखने की रिपोर्टें सामने आई हैं. इस दौरान मारपीट, बलात्कार और भुखमरी की शिकायतें भी आईं.
अमानवीय हालात
लीबिया के कैंपों में कैद लोगों के मुताबिक कई सेंटरों में हालात नर्क जैसे हैं. एक अनुमान के मुताबिक लीबिया में चार लाख से 10 लाख तक अप्रवासी फंसे हुए हैं. लीबिया के सूत्रों ने यह संख्या 20 हजार बताई है.
जेल नहीं, रिफ्यूजी कैंप
लीबिया की सरकार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन मिला है. यूरोप चाहता है कि लीबिया, यूरोप आने वाले लोगों को अपने यहां ही रोक ले. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोगों को रोके रखना लीबिया के लिए भी मुश्किल हो रहा है. वहां कई जेलों को भी रिफ्यूजी कैंप में बदल दिया गया है.
यूरोप का स्वर्णिम सपना
इस युवा को तटीय शहर मिसराता से 50 किलोमीटर दूर के जेल कैंप में रोका गया है. ज्यादातर अप्रवासी भूमध्यसागर पार कर लीबिया से यूरोप पहुंचना चाहते हैं. यूरोपीय देश चाहते हैं कि इन लोगों को किसी तरह अफ्रीका में ही रोका जाए. (सबरीना मुलर-प्लॉनिकोव, बेनेडिक्ट मास्ट)