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रूसेफ ब्राज़ील की पहली महिला राष्ट्रपति

१ नवम्बर २०१०

62 वर्षीय डिल्मा रूसेफ ब्राज़ील की पहली महिला राष्ट्रपति बन गई हैं. मध्य वामपंथी वर्कर्स पार्टी की रूसेफ ने रविवार को चुनाव के दूसरे चरण में 56 प्रतिशत वोट मिले. विपक्षी उम्मीदवार जोसे सेरा को लगभग 45 प्रतिशत वोट मिले.

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ब्राजील की नई राष्ट्रपतितस्वीर: AP

रूसेफ 2011 जनवरी से अपना पद संभालेंगी. वे पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए खड़ी हुई हैं लेकिन राजनीति में उनका अनुभव कई सालों का है. विश्लेषकों का मानना है कि रूसेफ पर वर्तमान राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा का प्रभाव बना रहेगा और आर्थिक विकास और प्रगति की नीतियों में ज़्यादा बदलाव नहीं आएंगे. रूसेफ का कहना है, "मेरा प्रस्ताव है कि हम लूला सरकार की नीतियों को आगे बढ़ाएं."

विजेता गठबंधन में 10 पार्टियां हैं. उधर विपक्ष की पीएसडीबी पार्टी ने कहा है कि लूला के मुकाबले वे रूसेफ पर और दबाव डालने वाले हैं. लूला के शासन के दौरान ब्राज़ील में पहले से कहीं ज़्यादा आर्थिक विकास हुआ है और देश को अंतरराष्ट्रीय मंच में आवाज़ भी मिली है. 2016 के ओलंपिक खेल भी ब्राज़ीली शहर रियो में आयोजित किए जाएंगे और खेलों को ब्राज़ील लाने में लूला का बड़ा हाथ माना जा रहा है.

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लूला के साए में डिल्मातस्वीर: AP

रूसेफ के आलोचकों का कहना है कि वे लूला की 'कठपुतली' हैं और उनके पास उनके अपने विचार नहीं हैं. वर्तमान राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा का सहयोग मिलने के बाद विश्लेषक उनके जीत की ही उम्मीद कर रहे थे. लूला लगातार दो बार राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए हैं. ब्राज़ील के कानून के मुताबिक वे तीसरी बार पद के लिए खड़े नहीं हो सकते हैं.

रूसेफ के पिता बुल्गारिया के हैं और उनकी मां ब्राज़ील में स्कूल की अध्यापक थीं. 17 साल की उम्र में रूसेफ ने अपने कट्टरपंथी कैथोलिक समाज को त्याग कर मार्क्सवाद अपनाया और एक मार्क्सवादी गुट का हिस्सा बन गईं. 1964 से लेकर 1985 में ब्राज़ीली सैन्य तानाशाही के दौरान उन्होंने उग्रवादी गोरिला ट्रेनिंग ली और राजनीतिक पुलिस द्वारा पकड़ी गईं. दो साल जेल में बिताने के बाद उन्होंने 1977 में अर्थशास्त्र में अपनी डिग्री हासिल की और डेमोक्रैटिक वर्कर्स पार्टी में शामिल हो गईं. 1990 के दशक में वे रियो ग्रांदे दो सुल प्रांत की मंत्री रहीं. 2001 में पार्टी बैठक के दौरान उनकी मुलाकात लूला से हुई. 2003 में चुने जाने के बाद लूला की सरकार में वह ऊर्जा मंत्री बनीं. चुनाव से पहले इस साल अप्रैल तक उन्होंने वर्तमान राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा के मंत्रिमंडल में काम किया था.

कैंसर की मरीज़ रह चुकीं रूसेफ को उनके अटल फैसलों की वजह से ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की तरह "आयरन लेडी" के नाम से जाना जाता है.

रिपोर्टःएजेंसियां/एमजी

संपादनः महेश झा

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