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रूस का एक और जासूस पकड़ा गया

३० जून २०१०

अमेरिका में जासूसी के आरोप में 11 लोग गिरफ़्तार हुए हैं. मंगलवार को पुलिस ने फरार चल रहे 11वे शख्स को साइप्रस में पकड़ा. रूस ने गिरफ्तारियों पर विरोध दर्ज किया है.

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तस्वीर: Fotomontage/AP Graphics/DW

अमेरिकी न्याय विभाग का कहना है कि इन लोगों की गिरफ़्तारी से रूसी जासूसों के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हो गया है. इन लोगों पर रूसी सरकार के लिए अमेरिका में राजनीतिक सूत्रों के जरिए जानकारी जुटाने और काले धन को सफेद करने का आरोप है. गिरफ्तार किये गए लोगों में चार पति पत्नी भी हैं. रविवार के दिन इन सब को बोस्टन, न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी और वर्जीनिया के अलग अलग हिस्सों से गिरफ़्तार किया गया.

आरोप है कि ये सभी रूस की खुफिया एजेंसी एसवीआर की तरफ से अमेरिका भेजे गए. इन्हें अमेरिका में रह कर वहां के लोगों के बीच घुलमिल जाने का निर्देश दिया गया. मकसद ये था कि अमेरिका के राजनीतिक हलकों में ये अपने कुछ लोगों को शामिल कर सकें और उनके जरिए जानकारी हासिल कर सकें. हालांकि इन्हें ज्यादा गोपनीय जानकारियों तक अपनी पहुंच बनाने से मना किया गया था. इसके साथ ही हवाला के जरिए काले धन को सफेद बनाने के काम में भी ये एंजेंट की भूमिका निभा रहे थे. अगर इन लोगों पर लगे आरोप साबित हो जाते हैं तो इन्हें विदेशी सरकार का एजेंट होने के आरोप में 5 साल और पैसों के अवैध कारोबार के लिए 20 साल के क़ैद की सज़ा हो सकती है.

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मेद्वेदेव और ओबामातस्वीर: AP

इनकी गिरफ़्तारी कई सालों से चली आ रही जांच का नतीजा है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई लंबे अर्से से इनके पीछे थी. इनके घरों में एफबीआई ने खुफिया माइक्रोफोन लगा रखा था और इनकी बातचीत पर कड़ी निगरानी रखी जा रही थी. 2009 में एफबीआई एक खुफिया संदेश को सुलझाने में कामयाब हुई. इस संदेश में अमेरिकी सांसदों से संपर्क बनाने और रूस को जानकारी देने के निर्देश दिए गए थे.

ये गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में अमेरिका और रूस के बीच रिश्तों को सुधारने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा रूस के राष्ट्रपति मेदवेदेव से मुलाकात करके लौटे हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन

संपादनः एम गोपालकृष्णन