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रूस में सुरक्षा के लिए लार के नमूने

३१ अक्टूबर २०१३

सोची ओलंपिक से पहले रूस में सरकार रूढ़िवादी मुस्लिम महिलाओं की लार के नमूने जमा कर रही है. इसका मकसद डीएनए हासिल करना है जिससे कि आत्मघाती बम हमले की सूरत में शरीर को पहचाना जा सके. सरकार की सख्ती चरम पर है.

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तस्वीर: Reuters

राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन दागेस्तान में इस्लामी चरमपंथियों के खिलाफ अभियान चलाए हुए हैं. काकेशस पहाड़ों की पूर्वी तलहटी में बसा यह राज्य अगले साल फरवरी में विंटर ओलंपिक गेम्स की मेजबानी कर रहा है. पुतिन के शासन में ऐसा लग रहा है कि अधिकारियों ने इस्लाम के कट्टर सलाफी चरमपंथियों से बातचीत के जरिए विवादों को सुलझाने की कोशिश बंद कर दी है. आलोचकों का कहना है कि यह नया सख्त रुख उन आक्रोशों को बढ़ावा देगा जो इस इलाके में हमलों की वजह रहे हैं. इसी महीने की 21 तारीख को वोल्गोग्राद में एक आत्मघाती बम हमले में छह लोगों की जान गई. आत्मघाती हमलावर दागेस्तान की एक महिला बताई जा रही है.

Blick auf das Gimry -Tal, Dagestan (Russland)
तस्वीर: Rob Hornstra

इन हमलों का असर इलाके के लोगों पर कई रूपों में पड़ा है. 35 साल की सलाफी महिला अलबिना मागोमेदोवा दागेस्तान की राजधानी माखचाकला का अपना घर छोड़ कर तुर्की चली गईं. उनके पिता को कुछ बंदूकधारी अपहरण कर ले गए और फिर वो लापता हो गए, उसके पति को जेल में डाल दिया गया और आत्मघाती बम हमलों के आरोपी बहनोई को सुरक्षा बलों ने मार दिया. तुर्की के लिए रवाना होने से पहले, बुर्केवाली कुछ औरतों से घिरीं मागोमेदोवा ने समचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "अल्लाह ने हमें हथियार उठाने की इजाजत नहीं दी, अगर वो इजाजत देगा तो हम उठाएंगे."

"ब्लैक विडोज"

रॉयटर्स ने आठ ऐसी महिलाओं से संपर्क किया जिनसे लार के नमूने देने को कहा गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि डीएनए टेस्ट मई में माखचाकला में हुए आत्मघाती बम हमलों के बाद शुरू हुई कार्रवाई का हिस्सा है. पुलिस ने इस बारे में प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया. हमलों पर नजर रखने वाली काकेशस की नॉट वेबसाइट के मुताबिक रूस में पिछले 13 सालों में 49 महिलाओँ ने आत्मघाती बम हमलों को अंजाम दिया, इन्हें "ब्लैक विडोज" कहा जाता है.

Putin Freundlich
तस्वीर: S.Karpukhin/AFP/GettyImages

सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में कई चरमपंथियों के रिश्तेदारों के घर उड़ा दिए, पहाड़ों में बसे गांवों को सील कर दिया और चरमपंथियों से संपर्क के आरोपों में कई युवाओं को गिरफ्त में लिया. सलाफियों के कई मदरसों और समाजसेवी संगठनों को बंद कर दिया गया. दागेस्तान के उप प्रधानमंत्री रमजान जफारोव का कहना है, "हमारी छवि के लिए सबसे जरूरी यह है कि दागेस्तान में स्थिति शांत और सामान्य रहे." जुलाई में रूस के इस्लामी चरमपंथियों के नेता डोकू उमारोव ने अपने लड़ाकों से ओलंपिक को तहस नहस करने के लिए "अधिक से अधिक ताकत" इस्तेमाल करने को कहा था.

सख्त कानून कड़ी सुरक्षा

राष्ट्रपति पुतिन को उम्मीद है कि ओलंपिक खेल देश का रुतबा बढ़ाएंगे. उन्होंने सोची के चारों ओर सुरक्षा कड़ी कर दी है. गृह मंत्री व्लादीमिर कोलोकोल्त्सेव ने संसद को बताया कि अधिकारियों को, "डरावनी जानकारियां" मिल रही हैं और वो हथियारबंद गुटों के सदस्यों और नेताओं को खत्म करने में जुटे हैं. सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि उग्रवादी सोची के सुरक्षा घेरे को तो नहीं तोड़ पाएंगे लेकिन हमलों की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता, खास तौर से सोची के पास मौजूद वोल्गोग्राद जैसे शहरों में. पूर्व उग्रवाद निरोधी अधिकारी सर्गेइ गोनशारोव का कहना है, "खास इंतजाम हर चीज को नहीं रोक सकते, बहुत से लोग हैं जो सोची ओलंपिक को तबाह करना चाहते हैं."

Kaukasus Russische Polizei beendet Geiselnahmen
तस्वीर: AP

रूस के सबसे दक्षिण में मौजूद दागेस्तान प्रांत में इस्लामी जड़ों की बीज सत्रहवीं सदी के अरब हमलों के वक्त पड़ीं. यहां की करीब 29 लाख की आबादी में बहुलता मुस्लिमों की है. बीते सालों में इनमें सलाफियों की तादाद बड़ी तेजी से बढ़ी है. सलाफियों पर मध्य पूर्व में पढ़े विद्वानों का गहरा असर है. इनमें से कुछ ने इस्लामी चरमपंथ का रास्ता अपना लिया है.

दागेस्तान में पहाड़ों के बीच एक कब्रिस्तान है जहां आत्मघाती हमलावरों और सुरक्षा बलों के हाथों मरे उग्रवादियों को दफनाया जाता है. इनकी कब्र पर नाम की बजाय नंबर लिखा होता है. स्थानीय निवासियों के मुताबिक पुलिस रिश्वत लेकर बताती है कि किसे कहां दफनाया गया है. 25 अक्टूबर को संसद ने एक नए विधेयक को मंजूरी दी है जिसके तहत आतंकवाद के लिए सजा और सख्त कर दी गई है. अब हमलों के जिम्मेदार आतंकवादियों के परिवार वालों को इसका नुकसान भरना होगा.

Russland Ausschreitungen in Moskau
तस्वीर: Reuters

पुतिन ने दागेस्तान के पूर्व नेता मागोमेदसलाम मागोमेदोव को बर्खास्त कर दिया जिन्होंने सख्त धार्मिक नीतियों को थोड़ा आसान बनाया था और सलाफी नेताओं के साथ बातचीत करने की शुरुआत की थी. उन्होंने मदरसा खोलने की इजाजत दी और विद्रोहियों के पुनर्वास के लिए आयोग भी बनाया. विवादों को रोकने के लिए काम करने वाले स्वतंत्र संगठन इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप की उत्तर काकेशस निदेशक येकातेरिना सोकिरियान्सकाया का कहना है, "वो चाहते थे कि युवाओं को उनकी धार्मिक जरूरतों के लिए जंगलों की बजाय मस्जिदों का विकल्प मिले." वो बताती हैं कि युवाओं के चरमपंथ की ओर मुड़ने में कमी आई और ऐसी घटनाओं में होने वाली मौतों का आंकड़ा भी पिछले साल की तुलना में करीब 15 फीसदी कम हुआ. अब सरकार ने आयोग को भंग कर दिया है और कई उदारवादी सलाफी देश छोड़ कर चले गए हैं.

सरकार की सख्ती

नोवोसासितली में सुरक्षा बल इस महीने की शुरुआत में दो मदरसों को बंद कराने आए. दर्जनों हथियारबंद नकाबपोश जवान ट्रकों में भरे हथियारों के साथ यहां पहुंचे, छात्रों की तस्वीरें खींची गईं, उनकी उंगलियों के निशान लिए गए. सलाफी मौलवी अब्दुररहीम मागोमेदोव कहते हैं, "मैं बयान नहीं कर सकता कि लड़कियां कितनी डरी हुईं थीं, उन्होंने कितना आंसू बहाया." दागेस्तान में पुतिन के बिठाए नए नेता रमजान अब्दुलातिपोव इससे पहले प्रोफेसर और राजनयिक रह चुके हैं. उन्होंने यह कह कर उम्मीद बढ़ाई है कि वह भ्रष्टाचार और संगठित अपराध से निबटेंगे. इस राज्य में माना जाता है कि सरकार की नाकामी की वजह से ही धर्म विकल्प के रूप में उभरा है.

एनआर/एमजे(रॉयटर्स)