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रोबोट बनाएगा पुल

लार्स शोलटिस्क/एसएफ१४ जनवरी २०१६

हॉलैंड की स्टार्ट अप कंपनी एमएक्स3डी प्रिटिंग बाजार में क्रांति ला रही है. योजना है प्रिंटर रोबोट के जरिए पुल बनाने की.

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तस्वीर: AP

ये कुछ कुछ हवा में स्केच बनाने जैसा है. असल में यह एकदम नई तकनीक है. एमएक्स3डी कंपनी धातु के जटिल और अब तक कल्पना से परे माने जाने वाले ढांचे बनाने में सफल हुई है. एमएक्स3डी के सीटीओ टिम गुर्त्येन्स बताते हैं, "हम रोबोटों का ऐसे इस्तेमाल कर रहे हैं जैसे कोई नहीं करता. कार उद्योग हो या दूसरे उद्योग, वहां इंजीनियर रोबोटों की प्रोग्रामिंग ऐसे करते हैं कि वो एक ही काम बार बार करें. हम इससे ज्यादा उत्पादक काम कर रहे हैं."

असल में प्रिटिंग हेड वेल्डिंग तकनीक पर काम करता है. एक रोबोटिक आर्म पर छह प्रकार के रोटरी एक्सेल लगे हैं. यह 1,500 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो सकता है और धातु को गलाकर किसी भी आकार में ढाल सकता है, दिशा चाहे ऊपर हो या नीचे हो या फिर समानान्तर. इसे कई औद्योगिक प्रक्रियाओं में इस्तेमाल कर सकते हैं. हर चीज जो स्टील से बनाई जाती है, अगर आप कोई एक जटिल और बेहद महंगा पार्ट भी बनाते हैं जिसमें आपको मोल्डिंग करनी पड़ती है, उसमें भी हम कुछ भी किसी भी आकार में प्रिंट कर सकते हैं.

इसी तकनीक की खूबसूरती का एक नमूना होगा स्टील से बना पैदल पुल. इस पुल को कंपनी के शहर, एम्सटर्डम के सेंटर में लगाया जाएगा. शहर की 200 नहरों पर फिलहाल 1,200 पुल हैं, लेकिन प्रिंट करके बनने वाला यह दुनिया का पहला पुल होगा.

3डी प्रिंटिंग और आर्किटेक्चर के नये आयाम ज्यूरिख की टेक्निकल यूनिवर्सिटी में भी खोजे जा रहे हैं. यहां काम कुछ ज्यादा बारीक दिखता है. आर्टिफिशियल सैंडस्टोन की मदद से कंप्यूटर गॉथिक कैथीड्रल की वास्तुकला को उकेर देता है. एक एग्लोरिदम की मदद से हर टिप और घुमाव को अलग बनाया जा सकता है. डिजिटल ग्रोटेस्क मिषाएल हंसमायर ने बताया, "हम जानते हैं कि पुरानी वास्तुकला बेहद बारीकी से भरी है, चाहे बारोक चर्च हो या रोकोको या फिर कुछ और. लेकिन इसमें अथाह समय लगता था. शिल्पकारों को कुछ ऐसा तैयार करने में कई साल लग जाएंगे."

ज्यूरिख के 3डी प्रिंटर को डिजायन रेत की परत बनाने में दो दिन लगते हैं. एक बाइडिंग एजेंट की मदद से उन्हें कृत्रिम पत्थर पर चिपकाया जाता है. नक्काशी में हर डिटेल को अलग अलग डाला जा सकता है. लेकिन यह भी एक जगह किया जाने वाला काम है.

एम्सटर्डम की एमएक्स3डी के रोबोटों के सामने ऐसी कोई सीमा नहीं है. लेकिन कंपनियों को 3 डी प्रिंटिंग के लिए जगह की जरूरत है, इसीलिए स्टार्ट अप कंपनी शहर के बाहर वेयरहाउस में शिफ्ट हो रही है. गुर्त्येन्स ने बताया, "हम पुल से शुरुआत कर रहे हैं. पहले एक छोटे से पुल से क्योंकि हमें आगे बढ़ना है. बाद में हम देखेंगे कि उसके बाद क्या होता है. हो सकता है नया और बड़ा पुल या कोई और निर्माण. मुझे लगता है कि एक दिन इस तकनीक के इस्तेमाल से पूरी इमारतें भी बनाई जा सकती हैं."

2017 की शुरुआत में प्रिंटर एम्सटर्डम शहर में यह पुल बनाना शुरू करेगा. तब तक सारी जरूरी अनुमतियां मिल जाएंगी. तब तक एमएक्स3डी का रोबोट खुद को और बेहतर करने की प्रैक्टिस करता रहेगा.