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लक्ष्मी मित्तल पर भड़का फ्रांस

१ दिसम्बर २०१२

मित्तल स्टील फ्रांस में कारोबार घटाना चाह रहा है लेकिन यहां काम करने वाले कर्मचारी इससे खासे नाराज हैं. आर्सेलर मित्तल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं और मांग हो रही है कि उनकी नौकरियों पर गाज न गिरे.

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तस्वीर: AP

पैरिस की ठिठुरती सुबह में फ्रांसीसी वित्त मंत्रालय के बाहर अलियाहिया जाफर खड़े हैं. सर्दी से गाल लाल हो चुके हैं लेकिन वह डटे हैं. उनका कहना है कि भारतीय मूल के उद्योगपति लक्ष्मी मित्तल इस तरह कारखाने बंद करने का फैसला नहीं कर सकते. आर्सेलर मित्तल ने कहा है कि वह फ्रांस में अपनी दो भट्टियां बंद करना चाहता है,  को बंद करना चाहता है, जिसके बाद फ्रांस सरकार इन भट्टियों के लिए खरीदार खोज रही है.

जाफर का कहना है, "मित्तल हमें डुबाना चाहता है. वह पूरे यूरोप को डुबाना चाहता है. लेकिन फ्रांस में उसकी ब्लैकमेलिंग नहीं चलेगी. हमें यूं खदेड़ा नहीं जा सकता."

अगर सरकार को कोई खरीदार नहीं मिला, तो दोनों भट्टियों को बंद करना होगा और जाफर जैसे 628 लोगों की नौकरी चली जाएगी. भारी दबाव को देखते हुए फ्रांस की सरकार ने धमकी दी है कि वह पूरे इलाके के राष्ट्रीयकरण करने की योजना पर भी विचार कर रही है, जिससे स्टील बिजनेस को बेहतर बनाया जा सके.

Lakshmi Mittal
तस्वीर: picture-alliance/dpa

औद्योगिक सुधार मंत्री अर्नाड मोंटेबोर्ग ने संसद में कहा है कि हमारे पास एक ग्राहक है, जो इन भट्टियों के लिए 40 करोड़ यूरो निवेश करने को तैयार है. लेकिन वह ऐसा तभी करना चाहता है, जब उसे पूरा ऑपरेशन दिया जाए.

मित्तल पूरे कारोबार को बेचने के लिए राजी नहीं हैं. लेकिन अगर वह ऐसा करते हैं तो फ्रांस में 20,000 लोगों की नौकरियां जा सकती है. जैसे जैसे वक्त बीतता जा रहा है, सरकार का रवैया तीखा होता जा रहा है.

इस पूरे विवाद का भारत से कोई लेना देना नहीं क्योंकि मित्तल भारतीय होने के बावजूद ब्रिटेन में रहते हैं. उनका पूरा कारोबार ब्रिटेन और यूरोप में फैला है. लेकिन इस मामले के तूल पकड़ने के बाद भारत और फ्रांस के बीच भी विवाद होता दिख रहा है.

फ्रांसीसी मंत्री मोंटेबोर्ग ने तो यहां तक कह दिया है, "हम अब फ्रांस में आर्सेलर मित्तल को नहीं देखना चाहते हैं. वह फ्रांस की इज्जत नहीं करते हैं." उन्होंने कंपनी पर गलतबयानी करने के आरोप भी लगाए हैं.

मित्तल परिवार का कहना है कि वह इन आरोपों से बुरी तरह से सदमे में हैं. लेकिन मोटे तौर पर फ्रांस के अंदर मोंटेबोर्ग को समर्थन मिल रहा है. यहां तक कि राष्ट्रपति फ्रोंसुआ ओलांद ने भी कहा है कि वह स्टील कारोबार का राष्ट्रीयकरण कर सकते हैं.

जाफर का कहना है, "मैं मोंटेबोर्ग का सम्मान करता हूं." उनके साथ कुछ साथियों ने वित्त मंत्रालय के सामने गुरुवार से ही डेरा डाल रखा है. वे लोग स्टील कारोबार के राष्ट्रीयकरण का समर्थन कर रहे हैं.

आर्सेलर मित्तल ने पूर्वी फ्रांस में पहले ही एक प्लांट बंद कर दिया है, जबकि बेल्जियम में दो भट्टियां बंद कर दी गई हैं. ये फैसले 2006 के बाद उठाए गए हैं, जब मित्तल ने लक्जमबर्ग की आर्सेलर कंपनी को खरीदा था. इसके बाद यह दुनिया की सबसे बड़ी स्टील निर्माता बन गई.

कंपनी का कहना है कि यूरोप में स्टील की मांग घट गई है और 2007 तक इसमें 25 फीसदी कमी आई है. लेकिन यहां काम करने वालों का कहना है कि फ्रांस में बने स्टील की मांग अभी भी है. जाफर कहते हैं, "हम दुनिया का सबसे अच्छा स्टील बनाते हैं. जब मैं किसी बीएमडब्ल्यू या आउडी कार को देखता हूं तो कह बैठता हूं कि देखो वह मेरा स्टील है."

इस मामले को निवेशक बहुत बारीकी से देख रहे हैं. यह फ्रांस में आगे के कारोबार के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है.

सरकार ने नौकरियां जाने के बाद कुछ कंपनियों के खिलाफ बेहद कड़ी कार्रवाई की है और यहां तक कि कुछ पर 75 फीसदी टैक्स लगा दिया गया है. अक्तूबर से ही उद्योग जगत और सरकार के बीच तनातनी चल रही है. अगर सरकार स्टील बिजनेस का राष्ट्रीयकरण करने का फैसला करती है, तो मामला और जटिल हो सकता है.

एजेए/एएम (डीपीए)

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