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लड़ाई में घायल साथियों का इलाज करती हैं ये चींटियां

१४ अप्रैल २०१७

इंसान लड़ाई के मोर्चे पर घायल होने वाले अपने साथियों को वापस बेस में लाकर उनके जख्मों का इलाज करते हैं. लेकिन पहली बार चींटियों में भी ऐसा व्यवहार देखने को मिला है.

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Ameise - Matabele-Ameisen
तस्वीर: picture alliance/Julius-Maximilians-Universität/dpa/E. T. Frank

एक रिसर्च से पता चला है कि अफ्रीका की परभक्षी माटाबेला चींटियां अपने घायल साथियों को बाम्बी में लाकर उनका इलाज करती हैं. अमेरिकी पत्रिका 'साइंस एडवांसेज' में प्रकाशित एक जर्मन शोध में पहली बार कीट जगत के किसी जीव में चोटिल साथी की देखभाल और मदद करने वाले व्यवहार का पता चला है. यह शोध जर्मनी की वुर्त्सबर्ग यूनिवर्सिटी के बायोसेंटर के शोधकर्ताओं ने किया है.

माटाबेला चींटियां अफ्रीकी महाद्वीप के सहारा रेगिस्तान के दक्षिणी हिस्से में खूब पाई जाती हैं. यह चीटियां दिन में दो से चार बार अपने आसपास के इलाके में श्रमिक दीमकों के शिकार पर निकलती हैं. लेकिन उन्हें इस दौरान सैनिक दीमकों से टक्कर लेनी पड़ती है, जो श्रमिक दीमकों की रक्षा करते हैं. सैनिक दीमकों का बड़ा जबड़ा होता है, जिससे वे लड़ाई में कई माटाबेला चींटियों को मार देते हैं और घायल कर देते हैं.

लड़ाई में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए इन चींटियों ने एक तरीका निकाला हुआ है जिसके बारे में अभी तक इंसानों को जानकारी नहीं थी. जब कोई माटाबेला चींटी लड़ाई में घायल हो जाती है तो वह अपने साथियों को बुलाती है. एक रासायनिक पदार्थ निकाल कर वह संकेत देती है कि उसे मदद की जरूरत है.

अध्ययन के मुताबिक इसके बाद घायल चींटी को वापस बाम्बी में लाया जाता है और उसका इलाज किया जाता है. इलाज के तौर पर चीटीं के शरीर में फंसे दीमक को निकाला जाता है. अध्ययन रिपोर्ट के सह-लेखक एरिक फ्रांक का कहना है, "हमने पहली बार कीटों में एक दूसरे की मदद करने का व्यवहार देखा है."

एके/एमजे (एएफपी)