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लाइपजिग जर्मनी का ऐतिहासिक शहर

माबेल गुंडलाख/ओएसजे७ नवम्बर २०१४

जर्मनी के महत्वपूर्ण शहरों में लाइपजिग भी एक है. यह शहर अपनी प्राकृतिक खूससूरती के अलावा जर्मन एकीकरण के लिए भी अहम माना जाता है. यहां के लोगों ने शहर के धरोहरों को बचा कर रखा है.

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Mädler-Passage Leipzig
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Schulz

हमेशा यात्रा करता शहर - लाइपजिग . जर्मन एकीकरण के बाद शहर के ऐतिहासिक सिटी सेंटर को मरम्मत से निखारा गया. लेकिन 1989 के पतझड़ में यहां का माहौल कुछ और ही था. निकोलाई चर्च मनडे मार्च के नाम से मशहूर प्रदर्शनों का अड्डा था. ये प्रदर्शन कम्युनिस्ट शासन के अंत के साथ ही खत्म हुए. चर्च की अहम भूमिका की चर्चा कारीन शॉएब्ले अपने गाइडेड टूर में भी करती हैं, वो शांत प्रदर्शनों के लिए चुनी गई जगहों पर सैलानियों को ले जाती हैं. उनका कहना है, "अस्सी के दशक में सोमवार की प्रार्थना में ज्यादा से ज्यादा लोग चर्च आने लगे, वे लोग - समाज जिस तरह का आकार ले रहा था, उसका विरोध कर रहे थे. तब जर्मनी के इस हिस्से को ईस्ट जर्मनी कहते थे."

मन डे मार्च इन्हीं प्रार्थना सभाओं का नतीजा था. कारिन शॉएब्ले भी उसका हिस्सा थीं. इतिहास ये पन्ने शीत युद्ध के दौरान जर्मनी में उपजे हालात को दर्शाते हैं. इससे पता चलता है कि पूर्वी जर्मनी में कैसे एक ही सत्ताधारी पार्टी वाली कम्युनिस्ट सरकार आई. पूर्वी जर्मनी में जिंदगी कैसी थी, इसकी जानकारी एक म्यूजियम भी देता है. 1989 में कम्युनिस्ट शासन का खात्मा शुरू हुआ. पार्टी के शीर्ष अधिकारी एक तरफ पूर्वी जर्मनी का 40वां जन्मदिन मना रहे थे. दूसरी तरफ उनके नीचे पूरा तंत्र डांवाडोल हो रहा था.

फोरम ऑफ कंटेम्प्रेरी हिस्ट्री के प्रमुख प्रोफेसर रायनर एकेर्ट कहते हैं, "कोई अंदाजा नहीं लगा सकता था कि वो 70 हजार होंगे या कुछ लोग कहते हैं एक लाख के आस पास थे. पुलिस और खुफिया पुलिस करीब 30 से 40 हजार लोगों को संभाल पाती लेकिन 70-80 हजार लोगों को नहीं."

लाइपजिग में स्टाजी का मुख्यालय रुंडे एके नाम की इमारत थी. दिसंबर 1989 में लाइपत्सिषवासियों ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया. लोग खुफिया विभाग को दस्तावेज नष्ट करने से रोकना चाहते थे लेकिन जब वे पहुंचे तब तक कई फाइलें बर्बाद हो चुकी थीं. आज यहां स्टाजियों के बारे में एक म्यूजियम है. यहां आम लोगों की जासूसी करने वाले उपकरण हैं. म्यूजियम के जरिए पता चलता है कि पूर्वी जर्मनी की खुफिया पुलिस कैसे काम करती थी.

म्यूजियम के प्रमुख टोबियास होलित्सर बताते हैं, "आपको ऐसा लगता था जैसे आप या तो पोस्ट ऑफिस में हैं या स्टाजियों के दफ्तर में. तब मुझे अंदाजा हुआ कि स्टाजी कितना गंभीर मामला है और मुझे लगा कि यह खत्म होना ही चाहिए."

अगर कोई सैलानी जर्मनी के आधुनिक इतिहास से रूबरू होना चाहते हैं तो ये शहर बाहें खोलकर स्वागत करता है.