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लोगों को गायब कर रही है मिस्र सरकार!

आरपी/आईबी (एपी)१३ जुलाई २०१६

मिस्र के सैकड़ों लोग काफी समय से लापता हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आरोप लगाय है कि इन लोगों को जबरन गायब किया गया है और देश की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) उन्हें प्रताड़ित कर रही है.

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Ägypten Militärgericht Hinrichtung
तस्वीर: Reuters/M. Abd El Ghany

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह एमनेस्टी ने बताया है कि मिस्र के शासन से असहमति रखने वालों पर शिकंजा कसने के मकसद से सैकड़ों लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है. ऐसे लापता किए गए लोगों में कम से कम दो 14 साल की उम्र वाले भी हैं. इनमें से ही एक किशोर की मां ने एमनेस्टी इंटरनेशनल को बताया कि उनके बेटे को पूछताछ के दौरान बिजली के झटके दिए गए और लकड़ी के डंडों से बलात्कार भी हुआ.

बुधवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2015 की शुरुआत से कई सौ मिस्रवासी कम से कम 48 घंटों के लिए लापता हो चुके हैं. कई लोग तो कई महीनों तक गायब रहे, जब तक कहीं उन्हें हिरासत में रखे जाने का पता नहीं चल गया.

एमनेस्टी को स्थानीय अधिकार समूह बताते हैं कि "2015 की शुरुआत से हर दिन औसतन तीन से चार लोग जबर्दस्ती लापता किए जा रहे हैं." सरकार के आलोचकों को गायब कर उन्हें डराने और असहमति की आवाज दबाने के लिए एनएसए इन बंदियों पर अत्याचार करती है.

एमनेस्टी को पता चला है कि इसके ज्यादातर पीड़ित राष्ट्रपति पद से हटाए गए इस्लामिक नेता मोहम्मद मोर्सी के समर्थक हैं. उनके अलावा कई सेक्युलर एक्टिविस्ट और दूसरे लोग भी इसके शिकार बन रहे हैं. मानवाधिकार समूह कहता है कि कुल लापता लोगों का आंकड़ा बता पाना संभव नहीं है. उन्हें ये भी डर है कि नाम उजागर करने से कुछ पीड़ितों की जान को खतरा हो सकता है.

मिस्र के अभियोजन पक्ष को दोषी मानते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल कहता है कि उन्होंने ऐसे उत्पीड़नों की ठीक से जांच नहीं की और दबाव डाल कर लिए गए बयानों के आधार पर लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं. संगठन के मध्यपूर्व और उत्तर अफ्रीका प्रोग्राम के निदेशक फिलिप लूथर कहते हैं, "अपने कर्तव्य से धोखा कर उन्होंने ना केवल मिस्र के लोगों को सुरक्षा देने में कोताही की बल्कि लोगों की गिरफ्तारी, उत्पीड़न और उनसे बुरा सुलूक होने दिया."

रिपोर्ट में लिखा है कि यूरोपीय और अमेरिकी सरकारें "आंखें मूंद कर मिस्र को रक्षा और पुलिस के साधन मुहैया करा रही हैं" और "मिस्र में बिगड़ती मानवाधिकारों की स्थिति की आलोचना करने में बेहद अनिच्छुक दिख रही है." जबकि यूरोपीय देश मिस्र को उस तरह नजरअंदाज नहीं कर सकते जैसे रूस, चीन और सऊदी अरब जैसे शक्तिशाली लेकिन निरंकुश शासन वाले देशों की. आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में, मध्यसागर के होकर आने वाले शरणार्थियों के बारे में और दूसरे कई मामलों में मिस्र एक बेहद महत्वपूर्ण देश है.

एनएसए के लिए जिम्मेदार मिस्र का गृह मंत्रालय बार बार इन आरोपों से इंकार कर चुका है कि उसने कानून के बाहर किसी को भी बंदी बनाया है. हालांकि जनवरी में ऐसे पीड़ित परिवारों की शिकायतें सरकार द्वारा गठित नेशनल काउंसिल फॉर ह्यूमन राइट्स ने इकट्ठा की. उसमें दर्ज करीब 100 ऐसे लोगों का पता चला जिनके परिवार वाले उन्हें लापता मानते थे, जबकि सरकारी परिषद ने उन्हें कानूनन बंदी बनाए जाने की बात मानी.

2013 में मोहम्मद मुर्सी को हटा कर मिस्र के राष्ट्रपति बने अब्दुल-फतह अल-सीसी देश की सशस्त्र सेनाओं के प्रमुख भी हैं. मिस्र प्रशासन सिसी या उनके शासन के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने की कोशिशें करता आया है. एक अनुमान के मुताबिक, मिस्र में कम से कम 40,000 लोग राजनीतिक कारणों से जेल में हैं, जिनमें से ज्यादातर मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े लोग हैं. समय समय पर वहां मौत की सजा भी सुनाई जाती रही है.