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'लाल साड़ी' विवादों में, सिंघवी को लेखक की धमकी

६ जून २०१०

'द रेड साड़ी' किताब के स्पेनी लेखक हाविएर मोरो ने कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को मुकदमे की धमकी दी है. द रेड साड़ी सोनिया गांधी के जीवन पर लिखी गई एक काल्पनिक कहानी है.

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गांधी परिवार, सोनिया की नज़र से!तस्वीर: Planeta Pub Corp

कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मोरो के आरोपों को कॉमिक बताया है. 2008 में द रेड साड़ी किताब पहली बार स्पेनी भाषा में एल सारी रोजो के नाम से प्रकाशित हुई थी और जल्द ही इसे भारत में भी प्रकाशित किया जाना है. इस किताब पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है और कहा है कि इस किताब में झूठ, आधे सच, अपमान करने वाले बयान दिए गए हैं. कांग्रेस ने मोरो को कानूनी नोटिस भेजा है.

इसके जवाब में मोरो दावा किया है कि सिंघवी प्रकाशकों को आतंकित कर रहे हैं. "मैं नहीं जानता कि मनु सिंघवी या फिर कोई भी किताब की प्रति तक पहुंचा कैसे जब ये किताब मार्केट में है ही नहीं. उनके पास किताब की प्रति अवैध तरीके से पहुंची है. मैं उन पर मुकदमा दायर करुंगा. मेरी किताब गांधी परिवार के गौरव के बारे में है और वह गांधी परिवार के आदर्शों की पैरवी करती है और मैं भी इन आदर्शों की पैरवी करता हूं."

मैडरिड से पीटीआई से बातचीत में मोरो ने कहा, "मैंने कहा है कि अभिषेक सिंघवी प्रकाशकों को आतंकित कर रहे हैं इसका मतलब ये नहीं है कि कांग्रेस पार्टी मुझे सेंसर कर रही है. इसका कांग्रेस पार्टी से कोई लेना देना नहीं है. मुझे लगता है कि कांग्रेस में किसी ने भी इस किताब को पढ़ा ही नहीं है. वे कुछ लाइनों को पूरे संदर्भ से हटा कर पढ़ रहे हैं और विषय वस्तु में हेरफेर कर रहे हैं. यही सिंघवी भी कर रहे हैं. मुझे लगता है कि सोनिया गांधी इस तरह के लोगों की निगरानी में हैं, ये दिखाने के लिए कि सिंघवी कितने अच्छे वकील हैं. इस सबसे एक बेहूदा और अनर्थक विवाद पैदा हो गया है."

Abhishek Manu Singhvi - India Economic Summit 2008
तस्वीर: World Economic Forum/Norbert Schiller

सिंघवी ने कहा कि मोरो को मानहानि के आरोप में कानूनी नोटिस छह महीने पहले ही भेज दिया गया था. "मोरो की टिप्पणियां अगर ट्रैजिक नहीं होतीं तो वो कॉमिक होतीं. लगता है कि उन्हें वकालत या कानून का एबीसी भी नहीं पता है. मैं सिर्फ कानूनी सलाहकार हूं जिसने कानूनी नोटिस भेजा है. ये नोटिस कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के हवाले से भेजा गया है. क्या मोरो भोले या अनजान हैं कि वे ये समझ नहीं पा रहे हैं कि किताब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर है और नोटिस भी उनके कहने पर ही भेजा गया है."

सिंघवी कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, "मोरो अपने कानूनी अधिकारों का उपयोग बिलकुल कर सकते हैं लेकिन पत्र भेजने के बाद उन्होंने पिछले सात महीने में एक बार भी इसके बारे में बात नहीं की. इस किताब की कोई इंग्लिश प्रति नहीं है और न ही ये किसी और भारतीय भाषा में है. हमारे पास इसकी सिर्फ मैन्युस्क्रिप्ट है और हम इसका स्रोत मोरो को नहीं बताएंगे."

दावा है कि ये किताब सोनिया गांधी के जीवन की कहानी कहती है. बताया जाता है कि मोरो ने सोनिया के इतालवी मूल, उनकी राजीव गांधी के साथ शादी और राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया की मुश्किल समय के बारे में लिखा है. मोरो का कहना है कि उन्हें भारत में ये किताब छापने के लिए किसी अनुमति की ज़रूरत नहीं है. "जब प्रकाशक का सारा काम खत्म हो जाएगा तब किताब बाज़ार में आएगी और मैं तब ही भारत आउंगा."

मोरो ने भारत के बारे में कई किताबें लिखी हैं जिसमें भारत की कई घटनाओं का चित्रण किया गया है. भोपाल गैस ट्रैजडी पर भी फाइव पास्ट मि़डनाइट नाम की किताब उन्होंने लिखी है. ये किताब उन्होंने उनके अंकल डोमिनिक लाइपेरे के साथ मिल कर लिखी. "जब आप भारत जैसे किसी देश में आते हैं तो आप उसके इतिहास, शासकों के बारे में जानना चाहते हैं. मैं पिछले 30 साल से भारत आ रहा हूं. भारत के सभी हिस्सों और वर्गों में मेरे बहुत सारे दोस्त हैं. मैं इस देश से प्यार करता हूं और मुझे यहां घर जैसा लगता है."

मोरो ने बताया, "मेरे अंकल (डोमिनिक लाइपेरे) इंदिरा गांधी के बहुत अच्छे दोस्त थे. उनके बारे में कहानी सुनते सुनते मैं बड़ा हुआ हूं. मैंने राजीव गांधी का अंतिम संस्कार टीवी पर देखा और तब मुझे लगा कि सोनिया गांधी के दृष्टिकोण से इस परिवार के बारे में लिखना बहुत अच्छा विचार है. क्योंकि वह एक ऐसी महिला हैं जिनके साथ दुनिया भर के पाठक मानसिक तालमेल बना सकते हैं. फिर जब 2004 में वे चुनाव जीतीं तो वह मेरे लिए कहानी ख़त्म करने के लिए अच्छा अंत था."

मोरो का कहना है कि कांग्रेस पार्टी को उनसे कभी मुश्किल नहीं हुई सिर्फ उनके वकील से हुई है. "अभिषेक सिंघवी जैसे लोग एक ऐसे लेखक को तंग कर रहे हैं जिसकी किताब अभी बाज़ार में भी नहीं आई है. ये पूरी बात ही अनर्थक है. मुझे कभी सोनिया गांधी ने नहीं कहा कि मैं ये किताब नहीं लिखूं. मैंने ये कभी नहीं कहा कि कांग्रेस पार्टी मुझे सेंसर कर रही है मैंने सिर्फ ये कहा कि वकील सिंघवी प्रकाशकों को आतंकित कर रहे हैं. मीडिया में इस बात पर अटकलें लगाई जा रही हैं."

रिपोर्टः पीटीआई/आभा मोंढे

संपादनः ओ सिंह