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लेह आपदा में 132 की मौत, 600 लापता

८ अगस्त २०१०

बादल फटने के बाद आई भारी बाढ़ ने लेह को तबाह कर दिया है. मृतकों की संख्या बढ़कर 132 हो गई है. 600 लोग अब भी लापता है. ज्यादातर लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका. बाढ़ में दुनिया की सबसे ऊंची सड़क के बहने की भी आशंका.

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तस्वीर: AP

हिमालय की गोद में बसी खूबसूरत घाटी में अब मातम पसरा हुआ है. वक्त बीतने के साथ जान माल के नुकसान की आशंकाएं बढ़ती जा रही हैं. शनिवार को 30 शव बरामद किए गए. जम्मू कश्मीर पुलिस के शीर्ष अधिकारी कुलदीप खोड़ा ने कहा, ''अब तक हमने 132 शव निकाले हैं. कम से कम 370 लोग घायल हैं. लापता लोगों की संख्या जांची जा रही है.'' खोड़ा ने मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है.

सूत्रों का कहना है कि कई गांवों तक अब भी राहत और बचाव दल नहीं पहुंच पाए हैं. चोग्लूमसुर नाम का एक गांव पूरी तरह मलबे में दब गया है. राहतकर्मी मलबे के सागर में पीड़ितों को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. गुरुवार रात बादल फटने के बाद बाढ़ सिर्फ पानी की नहीं थी. बाढ़ मिट्टी के गारे की थी. बेहद तेज रफ्तार से ढलान से नीचे बहते मिट्टी के सैलाब ने घरों, कारों और बसों को रौंद कर रख दिया. लोगों को तो भागने या बचने का मौका ही नहीं मिला.

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मलबे में दबी जिंदगीतस्वीर: AP

इस बीच शनिवार को भारतीय वायुसेना के छह मालवाहक विमान राहत सामग्री लेकर लेह पहुंचे. राहत सामग्री में पीने का साफ पानी, दवाइयां, भोजन, टैंट और कंबल थे. राहत कार्य में जुटी इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस, आईटीबीपी के प्रवक्ता दीपक पांडे ने कहा, ''शनिवार को हमें 30 शव मिले, जबकि 100 लोगों को सुरक्षित निकाला गया.'' आईटीबीपी और इंजीनियरिंग फोर्स लेह तक जाने वाले सड़क मार्ग को भी दुरुस्त करने में जुटे हैं. आशंका जताई जा रही है कि बाढ़ ने दुनिया में सबसे ऊंचाई पर बनी सड़क चांग ला पास को भी बहा दिया है.

इस बीच भारत के गृह सचिव जीके पिल्लई ने कहा है कि रविवार को छह अधिकारी लेह जाएंगे और वहां फंसे विदेश पर्यटकों को अपने साथ लाएंगे.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: महेश झा