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विकास के लिए गरीबी कम करना जरूरी

९ दिसम्बर २०१४

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ओईसीडी का कहना है कि दुनिया में अमीरी और गरीबी की बढ़ती खाई आर्थिक विकास को प्रभावित कर रही है. इसकी वजह कमजोर तबकों के बच्चों को शिक्षा का पर्याप्त मौका नहीं मिलना है.

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Indien Kinderarbeit Mülldeponie
तस्वीर: imago/imagebroker

पेरिस में जारीओईसीडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि खास समस्या दुनिया के 40 फीसदी सबसे गरीब लोगों और अमीरों के बीच लगातार बढ़ती खाई है. चूंकि इसकी वजह से गरीब बच्चे शिक्षा नहीं पा रहे हैं, यह आर्थिक विकास में बाधा डाल रहा है. गरीब परिवार आय में कमी के कारण बच्चों की शिक्षा पर जरूरी खर्च नहीं कर पा रहे हैं. इसका असर सामाजिक गतिशीलता और देशों में क्षमता के विकास पर पड़ रहा है.

ओईसीडी की नई रिपोर्ट से जर्मनी के नेतृत्व में यूरोपीय देशों की नई आर्थिक नीति भी प्रभावित होगी जिसका मुख्य जोर सरकारी खर्च और गरीबों के लिए सरकारी अनुदान में कटौती पर है. जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल अपने देश में और यूरोप में संतुलित बजट पर जोर दे रही है, लेकिन आर्थिक रूप से सफल जर्मनी में भी जहां सामाजिक बाजार अर्थव्यवस्था की बात की जाती है और सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए आय के बंटवारे की अच्छी व्यवस्था है, पिछले तीस सालों में अमीरों और गरीबों की खाई बढ़ी है. 1980 के दशक में जर्मनी में सबसे धनी 10 फीसदी और सबसे गरीब 10 फीसदी के आय के अंतर का अनुपात 1 से 5 था जो अब 1 से 7 हो गया है.

हालांकि यह तथ्य नया नहीं है कि जर्मनी में गरीबों और अमीरों के बीच खाई बढ़ रही है, लेकिन इसका असर राजनीति पर नहीं पड़ रहा है. ओईसीडी की रिपोर्ट के बाद बहुत सी सरकारों को रिपोर्ट में उठाए गए सवालों का जवाब देना होगा. रिपोर्ट का कहना है कि करों और ट्रांसफर के जरिए आर्थिक प्रगति को बढ़ावा दिया जा सकता है. अब तक धनी लोगों और उद्यमों की दलील रही है कि आय के बंटवारे से लाखों रोजगार नष्ट हो रहे हैं, क्योंकि धनी निवेशक निवेश करने से कतराते हैं. हकीकत यह है कि लोग नौकरियों के बावजूद गरीब हैं क्योंकि नौकरियों से पर्याप्त कमाई नहीं हो रही है.

पिछले दिनों जर्मनी में आई रिपोर्ट के अनुसार हर छठा इंसान गरीबी के खतरे में हैं. ओईसीडी का कहना है कि उनका विश्लेषण दिखाता है कि तेज और स्थायी आर्थिक विकास तेजी से बढ़ते और ऊंचे स्तर वाले अंतर को कम करके ही संभव है. संस्था का कहना है कि वित्तीय मदद जितना ही जरूरी स्तरीय शिक्षा और प्रौढ़ शिक्षा के अलावा स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने पिछले हफ्ते मानव मर्यादा की राह 2030 जारी की है जो विश्व संस्था के टिकाऊ विकास का एजेंडा है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने इसमें एक समेकित पर्यावरण, आर्थिक और विकास नीति की मांग की है. प्रकृति की रक्षा, गरीबी के खिलाफ लड़ाई और आर्थिक विकास को एक दूसरे से अलग कर नहीं देखा जा सकता.