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'विमान उतरते ही लगा कि अनहोनी घटी है'

२३ मई २०१०

मैंगलोर के बाजपे हवाई अड्डे पर एयर इंडिया का विमान जब हादसे का शिकार हुआ तो आठ लोगों ने मौत को बेहद नजदीक से देखा. विमान के टूटे हिस्सों, आग की लपटों और मौत से लड़ कर ये यात्री किसी तरह बाहर निकल आए.

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तस्वीर: AP

दुबई में काम कर रहे मोहम्मद उस्मान कुछ दिनों की छुट्टियों के लिए भारत आ रहे थे. मैंगलोर एयरपोर्ट पर जैसे ही फ्लाइट आईएक्स-812 ने उतरना शुरू किया तो उस्मान को लगा कि कुछ अनहोनी घट गई है. "शुरुआत में विमान उतरने में परेशानी नहीं हुई लेकिन कुछ ही सेकेंडों में मैंने जबरदस्त आवाज सुनी. मुझे ऐसा लगा कि मानो विमान का टायर फट गया हो. फिर महसूस हुआ कि दूसरा टायर भी फट गया है और उसके बाद तो विमान नियंत्रण से बाहर होता चला गया."

उस्मान का कहना है कि उनकी सीट के पास का विंग हिस्सों में टूट गया और उनके बराबर में बैठे दुर्घटना का शिकार हो गए. "मैंने महिलाओं और बच्चों को देखा जो आग में घिर गए थे लेकिन खुद की सीट बेल्ट नहीं खोल पा रहे थे. मैं लाचार था, मुझे बहुत डर लग रहा था और ईंधन टैंक फटने का भी खतरा था." खतरा भांप कर उस्मान ने अपनी सीट बेल्ट खोली और विमान से कूद गए. दुर्घटनास्थल से बाहर आने में स्थानीय लोगों ने उनकी मदद की.

उस्मान की दोनों हाथ में जले के निशान हैं और छाती पर भी खरोंच है. इस दुर्घटना के बाद वह इतने खौफ में है कि उन्होंने फैसला कर लिया है कि बाजपे एयरपोर्ट से फिर कभी उड़ान नहीं भरेंगे.

अब्दुल इस्माइल भी अपने परिवार से मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि एक जबरदस्त आवाज से उनके होश फाख्ता हो गए. "मैंने देखा कि मेरे पास से विमान दो हिस्सों में टूट गया है. मैं बाहर कूद गया और सुरक्षित स्थान की तलाश में भागा. पीछे मुड़ कर देखा तो विमान कई हिस्सों में टूट चुका था और आग पकड़ रहा था. मेरे पैर में चोट लगी थी लेकिन मैं गांव की ओर भागा, फिर मेरा दोस्त मुझे अस्पताल ले गया."

कृष्णा कोल्लीकुन्नु ने बताया, "जब विमान उतरा तो बुरी तरह हिल रहा था, मैंने विमान के आगे वाले हिस्से में आग लगी देखी जो पीछे की ओर बढ़ती जा रही थी. ऊपर से कहीं हल्की रोशनी आ रही थी और मैं उसी हिस्से की ओर बढ़ा और बाहर निकल गया. पूरे केबिन में धुंआ फैल चुका था. कोई अंदर से मेरा पैर खींच रहा था लेकिन मैं किसी तरह बाहर आ गया. मैंने देखा कि चार और लोग अपनी जान बचाने में कामयाब हो गए हैं. अंदर से चीखने की आवाजें थीं लेकिन हम अंदर नहीं जा सके, हमने सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया."

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ओ सिंह