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वीडियो: पत्थरों का सैलाब

२२ जून २०१६

आपने कभी पत्थरों की बाढ़ देखी है? हिमालय में कभी कभार आने वाली ऐसी बाढ़ बेहद विध्वंसकारी होती है. लेकिन देर सबेर इससे हर किसी को बहुत फायदा पहुंचता है.

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तस्वीर: Reuters/Danish Siddiqui

प्रकृति अद्भुत है. उसके सृजन में विध्वंस और विध्वंस में सृजन छुपा होता है. पत्थरों की बाढ़ भी यह साबित करती है. एशिया में हिमालय के इलाके में हर साल पत्थरों की बाढ़ के एक दो मामले सामने आते हैं. इस दौरान करो़ड़ों छोटे बड़े पत्थरों का रेला नीचे की ओर तेज रफ्तार से बहता चला जाता है. इसके रास्ते में जो आता है, वह तबाह हो जाता है.

ऐसी बाढ़ में पत्थर आपस में टकराते हैं और टूटते हैं. इस तरह रेत बनती है. पत्थरों के चूर होने से उनके भीतर छुपे हिमालय के खनिज बाहर निकलते हैं और पानी के साथ बहकर निचले इलाकों में जाते हैं. ये खनिज पानी और जमीन को पोषण देते हैं.

पत्थरों की बाढ़ से बनने वाली रेत ही निचले इलाकों में फैलकर नदी के विध्वंस थामती है. वह बहाव को फैलाव में बदल देती है और बड़े इलाके में भूजल को रिचार्ज कर देती है. समुद्र तट पर पहुंचने के बाद भी रेत का सफर जारी रहता है. वह जमीन के कटाव को रोकती है. समुद्र की लहरों का असर धीमा कर देती है. तो अब समझ में आया कि हिमालय की बाढ़ कितनी अहम है!