1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

वेबमीडिया के 22 लोगों को लाड़ली मीडिया अवॉर्ड

१५ अप्रैल २०१०

यूनाइटेड नेशंस पॉप्युलेशन फंड (यूएनएफपीए) द्वारा लैंगिक संवेदनलशीलता पर उत्कृष्ट मीडिया कवरेज के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब मीडिया के 22 व्यक्तियों को लाड़ली मीडिया अवॉर्ड से नवाजा गया.

https://p.dw.com/p/MxHB
महिला अधिकारों के लिए संघर्षतस्वीर: AP

हमारी सहयोगी वेबसाइट वेबदुनिया की सुश्री स्मृति जोशी भी सम्मानित पत्रकारों में शामिल हैं. पुरस्कार प्रदान करते हुए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि जब तक समाज बेटियों को बोझ समझता रहेगा, बेटियाँ कोख में ही मरती रहेंगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च और पढ़ा-लिखा वर्ग कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराधों में संलिप्त है. भगवान लिंग भेद नहीं करता. इंसान लिंग भेद करता है जिससे लिंग अनुपात गड़बड़ा रहा है.

उन्होंने कहा कि हमने जच्चा और बच्चा की सुरक्षा के लिए संस्थागत प्रसव को 22 प्रतिशत से बढ़ाकर 72 प्रतिशत तक ला दिया है. इसे जल्द ही सौ फीसदी किया जाएगा. इस अवसर महापौर कृष्णा गौर ने कहा कि अब भी हमारे समाज में बेटियों को अनचाही संतान माना जाता है जो पूरी तरह गलत है.

समारोह में चौहान ने कन्या भ्रूण हत्या, महिलाओं की तस्करी और महिलाओं के जीवन से जुड़े विभिन्न मुद्दों को संवेदनशीलता से उठाने पर यूएनएफपीए-लाड़ली मीडिया अवार्ड प्रदान किए. महिलाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों को उठाने के लिए वेब मीडिया की श्रेणी में वेबदुनिया डॉट कॉम (हिन्दी) की फीचर संपादक सुश्री स्मृति जोशी को सम्मानित किया गया. विभा रानी और दिविप डॉट काम की अफसाना रशीद को भी लाडली मीडिया अवार्ड दिया गया.

इलेक्ट्रानिक मीडिया वर्ग में एनडीटीवी की सुतापा देब, जी 24 छत्तीसगढ़ के हेमंत पाणिग्रही, सीएनएन आईबीएन की दिव्या शाह, लोकसभा टेलीविजन की अर्चना शर्मा और आईबीएन 7 की ऋचा अनिरुद्ध को सम्मान दिया गया.

प्रिंट मीडिया वर्ग में पत्रकारिता की विभिन्न श्रेणियों में नुसरत आरा को उर्दू में लेखन के लिए, एकाधिक प्रकाशनों की श्रेणी में मोहम्मद अनिसुर्रहमान खान (उर्दू), जगतारसिंह भुल्लर (पंजाबी), दि रोजाना स्पोक्समैन चंडीगढ़ के सुखबीर सिवाच (अंग्रेजी), आउटलुक की गीताश्री (हिन्दी), टाइम्स ऑफ इंडिया की अन्नपूर्णा झा (अंग्रेजी), यूएनआई की सुरैया नियाजी (अंग्रेजी), गल्फ न्यूज की गीतांजलि (अंग्रेजी), ट्रिब्यून चंडीगढ़ की नेहा दीक्षित, चरखा फीचर्स की रेणुका नैयर को यह अवार्ड दिए गए.

महिलाओं को मुकाम दिलाने के लिए संघर्ष : यूएनएफपीए लाड़ली मीडिया अवॉर्ड पाने वाले प्रतिभागियों ने महिलाओं को समाज में उनका हक दिलाने को ही अपने जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य बताया है.

वेबदुनिया की स्मृति जोशी ने बताया कि उन्होंने वेब जर्नलिज्म को महिलाओं के उत्थान के लिए इस्तेमाल किया है. लिंग भेद के खिलाफ आवाज उठाने वाले विदेशों के पाठक भी अब उनसे जुड़ने लगे हैं. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले बढ़े हैं. इन मामलों में बलात्कारी पुरुष तो छूट जाते हैं, लेकिन महिला को जिंदगी भर अपमान सहना पड़ता है. वह अपने लेखों के माध्यम से महिलाओं में इतना आत्मविश्वास पैदा करना चाहती हैं कि वह बलात्कार के बाद भी सम्मान से जीवन जी सकें.

आउट लुक पत्रिका की गीताश्री को बेस्ट इन्वेस्टीगेटिव न्यूज फीचर के लिए सम्मान मिला है. उन्होंने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में आदिवासी कन्याओं की तस्करी से जुड़े मुद्दों को अपने लेखों के माध्यम से उठाया. उन्होंने बताया कि वे दिल्ली में समाचार-पत्रों में आदिवासी महिलाओं की तस्करी की खबरें पढ़ती थीं. जब उन्होंने इन क्षेत्रों में जाकर देखा तो वहाँ की स्थिति बहुत भयावह थी. इन क्षेत्रों से कन्याओं को सिंगापुर, नेपाल और ईरान आदि देशों में देहव्यापार के लिए भेजा जाता था.

महिला आरक्षण के समर्थन में लगातार लेख लिखकर आम राय बनाने का प्रयास करने वाली यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया की अन्नापूर्णा झा ने बताया कि वह महिलाओं को आरक्षण के लिए शुरू से ही संघर्ष कर रही हैं. उन्होनें कहा कि वह कोटे के अंदर कोटे के फार्मूले के खिलाफ हैं. महिलाएँ चाहे जिस धर्म, वर्ग या जाति की हों उनकी समस्याएँ समान हैं. इन समस्याओं का हल महिला आरक्षण से ही निकलेगा.

UNFPA Logo

सौजन्य: वेबदुनिया

संपादन: महेश झा