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वोडाफोन के गले में अरबों डॉलर के टैक्स का फंदा

९ सितम्बर २०१०

बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिग्गज टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन की टैक्स न चुकाने वाली याचिका रद्द की. हाईकोर्ट के फैसले के बाद वोडाफोन को भारत में 2.6 अरब डॉलर का भारी भरकम टैक्स चुकाना पड़ सकता है. मामला हच के सौदे का.

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वोडाफोन ने 2007 में हच नाम से मशहूर हचिंसन एस्सार में बड़ी हिस्सेदारी 11.1 अरब डॉलर में खरीद ली. लेकिन वोडाफोन ने इस सौदे के लिए भारत में कैपिटल गेन टैक्स नहीं चुकाया. इस पर राजस्व विभाग ने वोडाफोन को नोटिस भेजा, जिससे जवाब में कंपनी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया.

Deutschland Multifunktionshandy QBowl von Vodafone
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

वोडाफोन ने दलील दी कि भारतीय राजस्व विभाग उस पर टैक्स नहीं लगा सकता. कंपनी का कहना था कि वोडाफोन ग्रुप हॉलैंड में पंजीकृत है और हचिंसन कंपनी कैमैन आइसलैंड में रजिस्टर है. ऐसे में विदेशों में पंजीकृत कंपनियों का आपसी सौदा भारत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

लेकिन हाईकोर्ट ने वोडाफोन को कोई राहत नहीं दी. बुधवार को अदालत ने कहा कि हचिंसन एस्सार का सौदे पर टैक्स लगाना भारतीय राजस्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है. अदालत ने भारत सरकार की दलील को सही करार दिया. सरकार का कहना है कि सौदे के वक्त हचिंसन एस्सार की संपत्तियां भारत में थीं, लिहाजा ऐसी कंपनी के अधिग्रहण पर भारत को टैक्स मिलना चाहिए.

हालांकि अदालत ने अपने फैसले में वोडाफोन को हल्की सी राहत दी. कोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग से कहा कि वह आठ हफ्ते तक कंपनी को टैक्स संबंधी कोई नोटिस न भेजे. कहा जा रहा है कि वोडाफोन हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है.

बुधवार को इस फैसले पर अमेरिका और यूरोप की कई बड़ी कंपनियों की नजर टिकी रहीं. विदेशी कंपनियां भारत में किसी दूसरी कंपनी को खरीदने या उनके विलय की योजनाओं को ताजा फैसले से जोड़ कर देख रही है. भारत में ऐसे सौदे में टैक्स संबंधी विवाद का यह पहला मामला है.

भारत का टेलीकॉम बाजार दुनिया में सबसे तेजी से तरक्की कर रहा है. टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के ताजा आकंड़ों के मुताबिक देश में 65 करोड़ टेलीफोन कनेक्शन हैं. टेलीफोन कनेक्शनों की संख्या में अभी भारत से आगे सिर्फ चीन है, लेकिन कई मार्केट रिसर्च एजेंसियों का कहना है कि मोबाइल फोन कारोबार में भारत 2013 के बाद चीन को भी पीछे छोड़ देगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

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