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व्हॉट्सऐप और FB पर बिक रही हैं सेक्स बंधक

ईशा भाटिया (एपी)७ जुलाई २०१६

टेलीग्राम ऐप पर एक विज्ञापन है. जो "सामान" बिक रहा है, वो एक लड़की है, "कुंआरी, खूबसूरत, 12 साल की".

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Smartphone - Islamis Staat Anzeige für Sex-Sklavin
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Alleruzzo

विज्ञापन में लिखा है कि लड़की की कीमत 12,500 डॉलर पहुंच चुकी है, अगर आप और बोली नहीं लगाएंगे, तो लड़की जल्द ही बिक जाएगी. टेलीग्राम पर अरबी भाषा में ऐसे और भी विज्ञापन मिल जाएंगे. मध्य पूर्व में यह ऐप उतना ही प्रचलित है, जितना भारत में व्हॉट्सऐप. और व्हॉट्सऐप की ही तरह, विज्ञापन को वही देख सकता है जिसके साथ उसे शेयर किया गया हो.

इस तरह के ऐप एंड-टु-एंड इनक्रिप्शन की बात करते हैं. आपने भी कभी ना कभी व्हॉट्सऐप पर इस तरह का संदेश जरूर देखा होगा कि आपके मेसेज अब सुरक्षित हैं. कंपनियों की इन इनक्रिप्शन पॉलिसी के चलते आपके मेसेज सार्वजनिक नहीं होते. और इसी का फायदा इस्लामिक स्टेट जैसे संगठन उठा रहे हैं. तकनीक का इस्तेमाल कर वे बच्चियों को बेच रहे हैं, सेक्स बंधक बना कर.

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एक सेक्स बंधक की दास्तां

अगस्त 2014 में इस्लामिक स्टेट ने उत्तरी इराक पर हमला किया. उनके निशाने पर कुर्द थे. पुरुषों को मार डाला, महिलाओं और बच्चों को अपने साथ ले गए. इनकी संख्या हजारों में है. हर रोज इन्हें खरीदा-बेचा जाता है. इन्हीं में से एक है लमिया अजी बशर. 18 साल की लमिया ने चार बार आईएस की कैद से भागने की कोशिश की. उसे कई बार बेचा गया. वह बताती है कि उसका पहला "मालिक" एक इराकी आईएस कमांडर था, अबु मंसूर. वह अक्सर उसके हाथ बांध कर रखा करता. दो बार लमिया ने उसकी कैद से भागने की कोशिश की. दोनों बार वह पकड़ी गई और गुस्साए अबु मंसूर ने उसे पीटा, कई बार बलात्कार किया.

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इसके एक महीने बाद लमिया को एक बम बनाने वाले के पास बेच दिया गया. यहां उसे अपने मालिक की हवस तो पूरी करनी होती थी, साथ ही बम बनाने में भी उसकी मदद करनी पड़ती. लमिया ने यहां से भी भागने की कोशिश की और यहां भी वही हुआ. फिर पिटी, फिर बलात्कार हुआ. जब यह मालिक लमिया से ऊब गया, तो उसने आईएस के एक डॉक्टर को उसे सौंप दिया. एक साल तक इस डॉक्टर की सेक्स स्लेव बनी रहने के बाद लमिया ने किसी तरह अपने परिवार से संपर्क साधा.

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पहले बलात्कार, अब झुलसा हुआ चेहरा

परिवार ने तस्करों की मदद ली और 800 डॉलर में अपनी लमिया को खरीदा. लेकिन यह काम भी आसान नहीं था. इस्लामिक स्टेट के पास अपनी सभी सेक्स बंधकों का पूरा डाटाबेस तैयार है. किस लड़की को कब बेचा गया, किसके पास बेचा गया, इसका पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि लड़कियां आईएस के क्षेत्र से बाहर नहीं बेची जा रही हैं. लेकिन कई गैर सरकारी संगठन मानव तस्करों के साथ मिल कर लड़कियों को छुड़ाने के लिए उन्हें खरीद रहे हैं और उन्हें आईएस के इलाके से बाहर निकाल रहे हैं. लमिया जब इलाके से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी, तब उसका पैर एक बारूदी सुरंग पर पड़ गया. धमाके में उसका चेहरा झुलस गया, एक आंख चली गई. वह कहती है, "खुदा का शुक्र है कि मैं वहां से निकल सकी, अगर मेरी दोनों आंखें भी चली जाती, तब भी मैं यही कहती कि वहां रहने से ये बेहतर था."

तस्करों की मदद से हर दिन औसतन 134 लड़कियों को आईएस से छुड़ाया जा रहा था. लेकिन इस्लामिक स्टेट अब चौकन्ना हो गया है. अब ऐसा नहीं हो पा रहा. यहां तक कि रमादी और फलूजा जैसे शहरों को जब आईएस से छुड़वाया गया, तो वहां भी कोई सेक्स बंधक नहीं मिल पाया. ऐसे में व्हॉट्सऐप, फेसबुक और टेलीग्राम पर औरतों और बच्चों का बिकना जारी है.

सैकड़ों लोगों वाले एक व्हॉट्सऐप ग्रुप में एक मां की बोली लग रही है, उसके तीन साल और सात महीने के बच्चे के साथ. कीमत 3,700 डॉलर तक पहुंच गई है. जल्द ही उसे एक नया मालिक मिल जाएगा!

ईशा भाटिया (एपी)