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शनि के एक चांद पर जीवन की संभावना

२४ मई २०१०

बहुत संभव है कि शनि के छठें सबसे बड़े उपग्रह एन्सेलेडस पर बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म जीवों का अस्तित्व है.

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एन्सेलेडस, जैसा कसीनी यान ने 2006 में देखातस्वीर: AP

अपने सुंदर छल्लों के लिए प्रसिद्ध शनि हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है. उसके अनेक उपग्रहों में छठां सबसे बड़ा है ग्रीक नाम वाला एन्केलादोस, जिसे लैटिन में एन्सेलादुस लिखा जाता है और अंग्रेज़ी में एन्सेलेडस पढ़ा जाता है. बहुत संभव है कि शनि के इस चांद पर बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म जीवों का अस्तित्व है.

वैज्ञानिक ऐसा इसलिए मानते हैं, क्योंकि एन्सेलेडस पर तरल पानी है, गरमाहट है और जीवन के लिए आवश्यक कार्बनिक सामग्री भी है.

अमेरिका में बौल्डर स्थित कोलोरैडो विश्वविद्यालय की ग्रह वैज्ञानिक कैरॉलिन पोर्को बताती हैं कि वैसे तो उसकी ऊपरी सतह बर्फ की मोटी तह से ढकी हुई है, जिसमें बड़ी बड़ी दरारें हैं. लेकिन इन दरारों के बीच से ज्वालामुखी जैसे पानी के सोते कई-कई सौ किलोमीटर की ऊँचाई तक पानी और बर्फ के फ़ौव्वारे छोड़ते हैं: "एन्सेलेडस की ऊपरी सतह पर तो ऋण 200 डिग्री सेल्ज़ियस से भी कम तापमान का राज है, लेकिन बर्फ की दरारों में वह केवल ऋण 70 डिग्री के आसपास है. सबसे गरम जगहों पर के गरम सोते भाप और कार्बन भरी सामग्री ऊपर उछालते हैं. बर्फ की मोटी तह के नीचे तापमान निश्चित रूप से और ज़्यादा होना चाहिये. हमें अब यह निश्चित जान पड़ता है कि बर्फ के नीचे तरल पानी का ऐसा महासागर होना चाहिये, जिससे गरम सोतों को पानी मिलता है."

सौरमंडल में सबसे दिलचस्प जगह

एन्सेलेडस बहुत बड़ा नहीं है. उसका व्यास केवल 504 किलोमीटर है. कुछ साल पहले तक वैज्ञानिक यही मानते थे कि वह इतना ठंडा और निर्जीव होना चाहिये कि वहां किसी तरह का जीवन हो ही नहीं सकता.

Raumsonde Cassini trifft Saturn
शनि और कसीनीतस्वीर: dpa

लेकिन, 2005 से, जबसे यूरोपीय अमेरिकी अन्वेषण यान कसीनी काफ़ी निकट से उसके कई चक्कर लगा चुका है और उसके चित्र भेज चुका है, तब से उसे पूरे सौरमंडल में एक बहुत ही दिलचस्प जगह माना जाने लगा है. सोचा जा रहा है कि वहां ऐसी रासायनिक क्रियाएं चल रही हो सकती हैं, जो शायद जीवन के आरंभिक चरण में है. हो सकता है कि वहां सूक्ष्म जीवाणुओं जैसा जीवन शुरू भी हो गया होः "वहां सचमुच किसी तरह का जीवन है या नहीं, यह तो हम तभी जान सकेंगे, जब हम विशेष क़िस्म के उपकरणों के साथ एक अलग यान वहां भेजेंगे. उस के पास से गुज़रने वाली उड़ानों के दौरान कसीनी यान ऐसे संकेत नहीं जुटा सका. लेकिन समय के साथ हमारा विश्वास बढ़ता जा रहा है कि एन्सेलेडस पर जीवन के योग्य परिस्थितियां हैं."

पानी किस रूप में है

कसीनी से मिली अन्य जानकारियां इतनी उत्साहवर्धक हैं कि उनका अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों की टीम में अब रसायन शास्त्रियों और जीव वैज्ञानिकों को भी शामिल किया गया है. प्रचलित सिद्धांत यही है कि हम जीवन उसे मानते हैं, जैसा पृथ्वी पर हम पाते हैं. उसके लिए ताप-ऊर्जा, पानी और कार्बनधारी पदार्थों की ज़रूरत पड़ती है.

अनुमान यही है कि एन्सेलेडस पर जीवन को जन्म देने वाली ये चीज़ें हैं, हालांकि यह बात सारे संदेहों से परे पूरी तरह साफ़ नहीं है कि वहां जो पानी है, वह केवल बर्फ के रूप में है या तरल रूप में भी है. पोर्को कहती हैं, "बहुत संभव है कि शनि ग्रह और उसके अन्य उपग्रह एन्सेलेडस को अपने गुरुत्वाकर्षण बल से मथ रहे हैं, किसी रबरबैंड की तरह उसे चारों तरफ़ से खींच रहे हैं. इससे उस के भीतर गर्मी पैदा हो सकती है. वहां जो गरमाहट है, वह निश्चित रूप से चट्टानों में छिपे रेडियोधर्मी पदार्थों के कारण नहीं होनी चाहिये, क्योंकि एन्सेलेडस का क्रोड़ बहुत छोटा है. हम अच्छी तरह भले ही समझ नहीं पाये हैं कि एन्सेलेडस की गर्मी कहां से आती है, पाते यही हैं कि उसकी बर्फीली तह में पड़ी दरारें काफ़ी गरम हैं."

यदि किसी भावी अंतरिक्ष यान ने एन्सेलेडस पर सूक्ष्म जीवधारियों के होने की पुष्टि की, तो इससे अंतरिक्ष में अन्य जगहों पर भी किसी न किसी प्रकार का जीवन पाने की संभावना और भी बलवती होगी.

रिपोर्ट: राम यादव

संपादन: महेश झा