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शरणार्थी बच्चों पर मानव तस्करों की नजर

१८ मई २०१७

यूनिसेफ के आंकड़े बताते हैं कि साल 2010 के बाद से अकेले यात्रा करने वाले शरणार्थी बच्चों की संख्या पांच गुना तक बढ़ गई है. संस्था ने चेतावनी दी है कि युवा शरणार्थी वेश्यावृत्ति और गुलामी के लिए मजबूर हो सकते हैं.

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Griechenland Flüchtlingskinder im Ritsona-Camp
तस्वीर: Getty Images/AFP/L. Gouliamaki

इस रिपोर्ट को पेश करते हुये यूनिसेफ ने विश्व नेताओं से कहा कि वे बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर अधिक ध्यान दें. संयुक्त राष्ट्र की बाल संस्था के मुताबिक साल 2015 और 2016 के दौरान दुनिया भर में 3 लाख बच्चे अकेले आने वाले या अपने परिवारों से बिछड़े शरणार्थी थे. यह आंकड़ा साल 2010 और 2011 के 66 हजार के मुकाबले पांच गुना अधिक है.

यूनिसेफ के मुताबिक कुल 3 लाख बच्चों में से एक लाख बच्चों को मेक्सिको से अमेरिका की सीमा पार करते हुए पकड़ा गया था. वहीं तकरीबन 1.70 लाख युवा शरणार्थियों ने यूरोप में दाखिल होने के लिए भूमध्य सागर की खतरनाक यात्रा पूरी की. इस रिपोर्ट के मुताबिक कई सौ बच्चों की तो डूबने के चलते मौत भी हो गई.

इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 से लेकर इस साल फरवरी तक लीबिया से भूमध्य सागर पार कर इटली पहुंचने वाले नाबालिग शरणार्थियों में 92 फीसदी अकेले थे. यह आंकड़ा साल 2015 में तकरीबन 75 फीसदी था. यूनिसेफ ने कहा कि नाबालिगों की बढ़ती संख्या मानव तस्करों की नजर में है. ये मानव तस्कर इन बच्चों की मजबूरी का फायदा अपने निजी फायदों के लिए उठा सकते हैं और उन्हें वेश्यावृत्ति और गुलामी के लिए मजबूर कर सकते हैं.

Infografik unbegleitete minderjährige Flüchtlinge englisch

यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक जस्टिन फोर्सेथ ने कहा कि यह कहना अनुचित होगा कि हम बच्चों की ऐसे खतरों से पर्याप्त सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं. इटली में अगले सप्ताह से शुरू होने वाले जी7 शिखर सम्मेलन से पहले, यूनिसेफ ने दुनिया भर के नेताओं से शरणार्थी और प्रवासी बच्चों की सुरक्षा में सुधार से जुड़े छह सूत्रीय एजेंडे को अपनाने का आग्रह किया. इस एजेंडे में बच्चों को अपने ही क्षेत्रों में रोकना, उन्हें परिवारों के साथ रखने की कोशिश और स्वास्थ्य सेवाओं समेत शिक्षा जैसे विषय शामिल हैं.

एए/एके (एपी, डीपीए, रॉयटर्स)