1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

शरीर करेगा अपने आप मधुमेह का इलाज

१४ दिसम्बर २०१०

स्टेम सेल्स यानी मूल कोशिकाओं के उपयोग से मधुमेह जैसी बीमारियों को काबू में रखने के बा1रे में अहम शोध किया गया है. नए शोध में पाया गया है कि शुक्राणुओं से अग्नाशय की कोशिका जबकि गर्भाशय से आंत की कोशिकाएं तैयार हुई.

https://p.dw.com/p/QXbD
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

वैज्ञानिकों ने दो प्रयोग किए. जिसके तहत सामने आया कि अपरिपक्व शुक्राणु, जो कि एक मूल कोशिका है उन्हें अग्नाशय यानी पैनक्रियाज की कोशिकाओं में बदला जा सकता है. अग्नाशय की कोशिकाएं इंसुलिन का निर्माण करती हैं जो कि मधुमेह को नियंत्रण में रखती हैं. वहीं एम्ब्रियोनिक सेल्स को जटिल आंत की जटिल कोशिकाओं में बदला जा सका.

शुक्राणु से इंसुलिन

इन दोनों शोधों के जरिए यह पता चला है कि स्टेम सेल्स को अन्य तरीके से भी इस्तेमाल किया जा सकता है. वॉशिंगटन में जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में एक टीम ने स्पर्मेटोगोनियल स्टेम सेल्स पर प्रयोग किया. यह वह कोशिकाएं हैं जो कि पुरुषों में शुक्राणु बनाती है.

Symbolbild Klonen Embryonen Forschung PID NO FLASH
गर्भ से लिए गए स्टेम सेल्स को आंत की कोशिकाओं में बदला जा सकातस्वीर: picture-alliance/dpa

इयान गैलिचैनो और उनके सहयोगियों ने खास प्लरिपोटेंट कोशिकाओं का इस्तेमाल किया. उन्होंने इन कोशिकाओं को प्रयोगशाला में बढ़ने दिया. उन्हें इस तरह के मिश्रण के साथ मिलाया कि वह अग्नाशय की बीटा कोशिकाओं की तरह काम करने लगे. जो इंसुलिन बनाती हैं.

टाइप वन का इलाज

जब इन कोशिकाओं को मधुमेह से पीड़ित चूहे में डाला गया तो वह पैनक्रिया की बीटा सेल्स की तरह काम करने लगी और इंसुलिन बनाने लगीं. ये कोशिकाएं टाइप-1 डायबिटीज में नष्ट हो जाती हैं. ये जानकारी गैलिचैनो की टीम ने फिलाडेल्फिया में अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सेल बायोलॉजी को दी.

जो बच्चे और युवा टाइप-1 के मधुमेह से पीड़ित होते हैं उन्हें जीवन भर इंसुलिन लेना पड़ता है. कुछ का इलाज एंडमोटोन प्रोटोकॉल से किया जाता है जिसमें किसी शव से अग्नाशय की कोशिकाएं पीड़ित के शरीर में ट्रांसप्लांट की जाती हैं लेकिन इन कोशिकाओं की कमी होती है. साथ ही यह खतरा भी होता है कि मरीज का शरीर नई कोशिकाओं को स्वीकार कर पाता है या नहीं.

Spermien folgen Maiglöckchenduft
शुक्राणु से मूल कोशिकाएं अग्नाशय की कोशिकाओं में बदली गईंतस्वीर: picture-alliance/ dpa

गैलिचैनो ने कहा कि खुद की शरीर की कोशिकाएं ट्रांसप्लांट के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं और यही तरीका महिलाओं के लिए कारगर साबित हो सकता है. वैज्ञानिकों ने कहा कि चूंकि यह कोशिकाएं पुरुषों के वीर्य कोष से आती हैं इसका मतलब यह नहीं है कि यह अध्ययन पुरुषों पर ही केंद्रित है.

अन्य प्रयोग

एक अन्य अध्ययन में ओहायो में सिनसिनाटी चिल्ड्रन हॉस्पिटल मेडिकल सेंटर में जेम्स वेल्स ने दो अलग अलग मूल कोशिकाओं को आंत की जटिल कोशिकाओं में तब्दील कर दिया.

उन्होंने कुछ ही दिन पुराने गर्भ से प्लरिपोटेंट स्टेम सेल्स उसमें डाले. इसमें कुछ जीन्स डाले जिससे उनका रूप बदल गया. दोनों ही तरह की कोशिकाओं में ताकत हैं कि वह हर तरह की कोशिकाओं को बना सकते हैं.

नेचर नाम की पत्रिका में वेल्स की टीम ने लिखा है कि वह इन कोशिकाओं को ऑर्गेनॉइड्स नाम के आंत की कोशिकाओं में बदल सके. ये कोशिकाएं इन्टेस्टाइन यानी आंत का निर्माण करती है. प्रयोगशाला में वैज्ञानिक स्टेम सेल्स से आंत की पेशी की कोशिकाएं और आंत की दीवार बनाने वाली कोशिकाएं दोनों का निर्माण कर सके.

ऑर्गेनॉइड्स नाम की इन कोशिकाओं से आंत की जटिल बीमारियों जैसे कि नेक्रोटाइजिंग एंटर कोलाइटिस, आंत की सूजन और शॉर्ट गट सिन्ड्रोम का अध्ययन किया जा सकता है और किसी दिन इन जटिल बीमारियों के इलाज में इन कोशिकाओं की मदद भी हो सकेगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें