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शिखर सम्मेलन से पहले मनमोहन की चेतावनी

२५ जून २०१०

कनाडा के टोरंटो से 220 किलोमीटर दूर मुस्कोका में शुक्रवार को जी-8 और शनिवार को जी-20 देशों की शिखर बैठक हो रही है. बैठक का मुख्य ध्यान राजनीतिक सवालों के बदले आर्थिक सवालों पर होगा.

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मंदी से उबरने का आधार कमज़ोरतस्वीर: UNI

इन बैठकों में भाग ले रहे भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि विश्व अर्थनीति में मंदी से उबरने की प्रक्रिया अब भी काफ़ी कमज़ोर है. उनका कहना है कि नवंबर 2008 में वाशिंगटन में जी-20 शिखर भेंट के बाद से विश्व के 20 समृद्ध और विकासोन्मुख देशों की ओर से लिए गए समन्वित क़दमों के चलते 1930 के बाद की सबसे भयानक मंदी को रोकने में मदद मिली है. भारतीय प्रधानमंत्री की राय में यह जी-20 की सफलता का सबूत है. उन्होंने कहा कि अब यूरो क्षेत्र से चिंताजनक लक्षण दिख रहे हैं. मनमोहन सिंह का कहना था कि भारतीय अर्थजगत का जिस तरह विस्तार हो रहा है और जैसे-जैसे वह अंतरराष्ट्रीय आर्थिक जगत का हिस्सा बनता जा रहा है, वैश्विक मामलों में भारत का लेना देना भी बढ़ता जा रहा है.

अमेरिका को भी चिंता है कि यूरोपीय संघ की आर्थिक समस्याओं की वजह से उसकी आर्थिक वृ्द्धि की गति धीमी हो सकती है. ख़ास कर जी-8 बैठक में दो अलग-अलग दृष्टिकोण उभरकर सामने आ रहे हैं. अमेरिका चाहता है कि सरकारी मदद के ज़रिए आर्थिक वृद्धि तेज़ की जाए. इसके विपरीत यूरोप के देश मुद्रा की साख बनाए रखने के लिए बचत पर ज़ोर देना चाहते हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री टिमोथी गेथनर का इस सिलसिले में कहना था कि राजकीय घाटा कम करने के लिए विश्व अर्थनीति की वृद्धि ख़तरे में नहीं डाली जानी चाहिए.

"हम सभी चिंतित हैं, हमारा ध्यान वृद्धि और विश्वास की चुनौतियों पर है. जी-20 शिखर बैठक का यही नारा है. हम इस वक्त ऐसी नीतियों पर चलना चाहते हैं और मुश्किल क़दम उठाना चाहते हैं, जिससे सभी देशों के आर्थिक जगत में बेहतर वृद्धि के लिए आधार तैयार किया जा सके." - टिमोथी गेथनर

बचत और सरकारी मदद के बीच सामंजस्य ही अकेला विवादास्पद मुद्दा नहीं है. यूरोपीय संघ, ख़ासकर जर्मनी वित्तीय संस्थानों और बैंकों पर टैक्स लगाना चाहते हैं. जी-8 शिखर भेंट के लिए रवाना होने से पहले जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल का कहना था कि उन्हें एकराय बनने की उम्मीद नहीं.

"मुझे लगता नहीं कि एकमत हो पाएगा. लेकिन मैं समझती हूं कि यूरोप की ओर से हमें फिर एक बार स्पष्ट करना चाहिए कि यूरोप, ख़ासकर जर्मनी की राय में वित्तीय बाज़ार के भागीदारों को वित्तीय संकट के खर्चों में भागीदार बनाना चाहिए." -अंगेला मैर्केल

समूचे आर्थिक जगत की नज़र शुक्रवार और शनिवार की इन दोनों शिखर बैठकों पर है. शुक्रवार को भी शेयर बाज़ार में इसकी झलक देखने को मिली. कीमतों में मामूली, लेकिन थोड़ी सी कमी आई.

रिपोर्टः एजेंसियां/उ भट्टाचार्य

संपादनः ए जमाल