"शीत युद्ध से खराब मौजूदा हालात"
२२ मई २०१३एक बार तो क्यूबा की खाड़ी में दोनों विश्व ताकतें एक दूसरे के सामने आ गई थीं. पूरी दुनिया डर गई थी कि अब जंग छिड़ी कि तब छिड़ी. लेकिन फिर स्थिति सुधरी और 1990 में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही शीत युद्ध का दौर भी लगभग खत्म हो गया. लेकिन आज दुनिया की हालत उस शीत युद्ध से भी ज्यादा खराब हो चुकी है क्योंकि हर रोज कहीं न कहीं, कुछ न कुछ होता रहता है.
जहां एक ओर पूरा अरब (प्रायद्वीप) जल रहा है, वहीं अमेरिका के सामने उत्तर कोरिया और ईरान खड़े हैं. इस बीच चीन पूरे एशिया में कब्जे और दादागीरी के लिए सारे पड़ोसियों के आगे खड़ा है. आज शायद ही दुनिया का कोई देश हो, जो आतंकवाद के बुरे दौर से न गुजर रहा हो. साथ ही दुनिया की एक तिहाई आबादी भुखमरी और अमीरी गरीबी की खाई से जूझ रही है.
उस शीत युद्ध में तो खतरा कभी कभी ही था, अब तो हर समय लगता है कि हालत शीत युद्ध से भी भयानक है. दूर दूर तक इन हालात का कोई तोड़ नजर नहीं आता. क्योंकि हर देश अपनी दादागीरी दिखाने को तैयार है. सब अपने आप को ज्यादा शक्तिशाली और कामयाब दिखाने की होड़ में हैं. शीत युद्ध में केवल दो सुपर पावर थे, अब कई हैं, जो अपना सिक्का चलाना चाहते हैं. ईश्वर ही जाने अब आगे क्या होगा.
ब्लॉग: त्रिश्ला जी
संपादनः ए जमाल