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शेंगेन की प्रासंगिकता पर उठे सवाल

२० नवम्बर २०१५

पेरिस हमलों ने यूरोपीय यूनियन को शेंगेन क्षेत्र में बॉर्डर कंट्रोल पर सोचने को मजबूर कर दिया है. ब्रसेल्स की आपातकालीन बैठक में ईयू नेता शेंगेन के 26 देशों के बीच स्वतंत्र आवाजाही सुरक्षित बनाने के रास्ते तलाश रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Becker

यूरोप में शेंगेन सीमा के अंतर्गत आने वाले 26 देशों के बीच बिना वीजा लिए आया जाया जा सकता है. लेकिन यूरोपीय देशों को एक दूसरे से जोड़ने वाले इसी सिद्धांत पर यूरोपीय देशों की सुरक्षा के अंतर्गत सवाल उठने लगे हैं. पेरिस हमलों के बाद फ्रांस ने ईयू के शेंगेन देशों से बाहरी सीमाओं पर नियंत्रण बढ़ाए जाने की मांग की. पेरिस हमले के आरोपियों का संबंध फ्रांस और बेल्जियम से था. ब्रसेल्स बैठक में शेंगेन देशों के गृहमंत्री और न्यायमंत्री हिस्सा ले रहे हैं. स्वीडन का प्रस्ताव है कि यूरोप के पासपोर्ट मुक्त आवाजाही वाले बाहरी बॉर्डर क्षेत्रों में बायोमिट्रिक जांच को शामिल किया जाना चाहिए.

इस मुद्दे पर नीदरलैंड्स ने मिनि-शेंगेन एरिया की व्याख्या का प्रस्ताव दिया है. जिसके तहत मौजूदा शेंगेन सिद्धांत के साथ सीमाओं पर पासपोर्ट चेक को कई यूरोपीय देशों के साथ जोड़ने की बात कही गई है. जर्मनी ने इस बारे में किसी तरह का उत्साह नहीं जताया है. हालांकि यूरोपीय आयोग के प्रवक्ता का कहना है कि उनके पास इस बारे में कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है. विस्तृत चर्चा ब्रसेल्स में हो रही आपातकालीन बैठक में होनी है.

ईयू प्रवासन, आंतरिक मामलों और नागरिकता के कमिश्नर दिमित्रिस अवरामोपोलोस ने कहा, "समस्या शेंगेन नहीं है. अगर हम शेंगेन के द्वारा हमें मिले सभी औजारों का इस्तेमाल करें तो हमारी बाहरी सीमाओं की ज्यादा प्रभावी ढंग से रक्षा हो सकेगी." उन्होंने कहा कि उनका शेंगेन के भविष्य के बारे में चर्चा का कोई इरादा नहीं है, "कुछ बातों को बेहतर बनाने और दोहराने की जरूरत है...लेकिन अगर हम शेंगन पर ही सवाल खड़ा कर देंगे तो यह ईयू के समाकलन के रास्ते से पीछे हटना होगा."

पेरिस के हमलावरों के बेल्जियम से जुड़े तार ने यूरोप में आ रही आप्रवासियों की बाढ़ और शेंगेन के फायदों और नुकसान पर नई बहस को हवा दी है. हालांकि ज्यादातर ईयू नेता शेंगेन संधि को ईयू देशों की एकता की दिशा में बड़ी उपलब्धि मानते हैं. लेकिन हालिया हमलों ने इस मुद्दे को दोबारा चिंता का विषय बना दिया है कि इससे देशों की सुरक्षा को किस तरह के खतरे हैं और हिंसक तत्वों को कितनी आसानियां हो सकती हैं.

शेंगेन जोन में रहने वालों के जरूरी दस्तावेज सामान्य तौर पर चेक होते हैं. इन देशों में ब्रिटेन, आयरलैंड, क्रोएशिया, साइप्रस, रोमेनिया और बुल्गारिया शामिल नहीं हैं. प्रस्ताव के मुताबिक आगे से इन दस्तावेजों की जांच आपराधिक और सुरक्षा डाटाबेस को ध्यान में रखते हुए होगी.

एसएफ/आरआर (रॉयटर्स)