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श्रीलंका में राजपक्षे का राजवंश!

२३ अप्रैल २०१०

श्रीलंका में चुनावों के लगभग दो सप्ताह बाद नई सरकार बन गई है और गुरुवार को संसद के नए अध्यक्ष का भी चुनाव हो गया. नए अध्यक्ष हैं राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के ही एक भाई चमल राजपक्षे.

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राजपक्षे का राजवंशतस्वीर: AP

संसद की पहली बैठक में विपक्ष के नेता और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल सरथ फोन्सेका भी उपस्थित रहे.

श्रीलंका में चुनावों के बाद राष्ट्रपति राजपक्षे का एक नया राजवंश रंग लाता दिखायी पड़ रहा है. आठ अप्रैल के चुनावों के बाद संसद की पहली बैठक में सभी सांसदों ने सर्वसम्मति से पूर्व बंदरगाह मंत्री चमल राजपक्षे को नया स्पीकर चुना. उनकी सबसे बड़ी योग्यता यही है कि वे राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं. राष्ट्रपति के सबसे छोटे भाई बासिल राजपक्षे और पुत्र नमल राजपक्षे ने सांसदों के तौर पर शपथ ली. इस तरह सभी संकेत यही हैं कि राष्ट्रपति अपने देश में राजपक्षे राजवंश की नींव डाल रहे हैं.

बहुमत नहीं

चुनाव परिणामों के अनुसार राष्ट्रपति राजपक्षे की पार्टी यूनाइटेड पीपल्स फ्रीडम एलायंस को 225 सदस्यों वाली संसद में 144 सीटें मिली हैं. संविधान में मनचाहे परिवर्तन के लायक दो-तिहाई बहुमत उसे भले ही न मिल पाया हो, 1970 के बाद से सबसे बड़ा बहुमत ज़रूर मिला है. पूर्व प्रधानमंत्री रणिल विक्रमसिंहे की पार्टी यूएनपी को 60 और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल सरथ फोन्सेका की डीएनए को केवल सात सीटें मिली हैं.

नए प्रधानमंत्री

एक ही दिन पहले, बुधवार को दिसानायके जायरत्ने को श्री लंका के नये प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ दिलायी गयी थी. 79 वर्षीय जयरत्ने 50 वर्षों के राजनैतिक जीवन का अनुभव रखते हैं. उन्होंने ही संसद अध्यक्ष के पद के लिए राष्ट्रपति के भाई का नाम सुझाया और मुख्य विपक्षी दल ने इस का अनुमोदन किया.

फोन्सेका का भाषण

Sarath Fonseka
जनता की आज़ादी की मांगतस्वीर: AP

संसद की पहली बैठक में राष्ट्रपति राजपक्षे के सबसे मुखर विरोधी और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल सरथ फोन्सेका ने भी भाषण दिया. वे डेमोक्रैटिक नैशनल एलांयस के नेता हैं और पिछली फ़रवरी में गिरफ्तारी के बाद से सैनिक अदालत में उन पर दो मुकदमे चल रह हैं. गिरफ्तारी के बाद से अपने पहले सार्वजनिक वक्तव्य में जनरल फोन्सेका ने मनमानी गिरफ्तारियों और मानवाधिकारों के हनन की आलोचना करते हुए कहा, "जनता की आज़ादी इस समय की सबसे बड़ी मांग है... मैं ख़ुद इन अन्यायों का एक शिकार हूं और इस बात के लिए अभारी भी कि संसद में पहली बार पैर रखने के साथ मैं इन मुद्दों को उठा सकता हूं."

लिट्टे के विरुद्ध लंबी लड़ाई में जिस जीत के बल पर राष्ट्रपति राजपक्षे को अब भारी चुनावी विजय मिली है, वह लड़ाई श्री लंका की सेना ने जनरल फोन्सेका निर्देशन में ही लड़ी थी. लेकिन, इस बीच विजय का सेहरा राष्ट्रपति ने अपने सिर बांध लिया है और जनरल फोन्सेका को जेल में सड़ा देना चाहते हैं. इसीलिए संसद की पहली बैठक के साथ ही अमेरिका ने श्रीलंका की नयी सरकार से अपील की है कि वह जनादेश का "श्रीलंका के समाज के घावों को भरने के लिए" उपयोग करे.

रिपोर्ट- एजेंसियां/राम यादव

संपादन- आभा मोंढे