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संबंधों में गर्माहट लाने पेरिस पहुंचे रोहानी

२७ जनवरी २०१६

कुछ हफ्ते पहले प्रतिबंध हटने के बाद फ्रांस के दौरे पर पहुंचे ईरान के राष्ट्रपति रोहानी सरकारी और व्यापार जगत के लोगों से मुलाकात करेंगे. पेरिस से एलिजाबेथ ब्रायंट इस यात्रा के महत्व पर प्रकाश डाल रही हैं.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Fabi

दो महीने में दूसरी बार ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी से मिलने की तैयारी करते फ्रेंच राजनीति और व्यापार जगत के नेता मध्यपूर्व के इस बेहद अहम देश के साथ रिश्तों का नया अध्याय लिखना चाहते हैं. इटली और वेटिकन का दौरा करने के बाद फ्रांस पहुंचे रोहानी अपने अलग थलग पड़ चुके देश को यूरोप के करीब लाना चाहते हैं.

इटली में प्रधानमंत्री माटियो रेंजी और अन्य उच्च अधिकारियों से मुलाकात और फिर इकोनॉमिक फोरम में संबोधन के अलावा पिछले दो दशकों में पोप फ्रांसिस से मिलने वाले वे पहले ईरानी प्रमुख हैं. पिछले साल पश्चिमी ताकतों के साथ हुए परमाणु समझौते के बदले में इस साल ईरान पर लगे सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटा लिए गए. राष्ट्रपति ओलांद ने पिछले हफ्त कहा था, "अंतरराष्ट्रीय मंच पर ईरान की वापसी संभव है." लेकिन इसके लिए ईरान को मध्यपूर्व में तनाव कम करने, खासकर सऊदी अरब से संबंध सुधारने होंगे.

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रोम के कैपिटोलीन म्यूजियम की नग्न मूर्तियों को रोहानी के लिए ढका गया.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/G. Lami

रोहानी यूरोप के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ाने और विदेशी निवेश को ईरान में लाने के मकसद से इन नेताओं से मिलेंगे. इटली और फ्रांस भी साढ़े सात करोड़ लोगों के ईरानी बाजार में प्रवेश करना चाहते हैं. ईरान आठ फीसदी वार्षिक वृद्धि दर पाना चाहता है जिसके लिए उन्हें विदेशी निवेश के रूप में अरबों डॉलर की जरूरत है.

कार निर्माण, कृषि और विमानन के क्षेत्र में फ्रांस के साथ गहरे व्यापारिक संबंधों की संभावना देखने वाले ईरान में पहले से ही कुछ बड़ी फ्रेच कंपनियां मौजूद हैं. यूरोपीय विमान निर्माता एयरबस के साथ ईरान बड़ा सौदा कर सकता है. इस यात्रा से ठीक पहले ही ईरानी ट्रांसपोर्ट मंत्री ने करीब 114 एयरबस खरीदे जाने की योजना का एलान किया.

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पिछले दो दशकों में पहली बार कोई ईरानी प्रमुख पोप से मिला.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Medichini

फ्रेंच कार निर्माता रेनों, पिजो और बड़ी फ्रेंच टेलीकॉम कंपनियां पहले ही ईरानी बाजार में प्रवेश की प्रक्रिया शुरु कर चुकी हैं, वहीं फ्रेंच बैंकों में अभी भी थोड़ा संशय देखा जा सकता है. सितंबर में ईरान के दौरे पर गए फ्रेंच व्यापारिक मंडल में भी बैंक शामिल नहीं थे. फ्रांस और ईरान के पुराने राजनयिक संबंध रहे हैं लेकिन हाल के कुछ सालों में कई उतार चढ़ाव देखने को मिले.

ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्लाह खोमेनी ने अपने अज्ञातवास के कुछ साल पेरिस के बाहर बिताए थे. 1979 की ईरानी क्रांति के समय के कई शरणार्थियों ने भी फ्रांस में ही शरण ली. लेकिन हाल के सालों में ईरान के साथ न्यूक्लियर समझौते के दौरान पश्चिमी देशों की ओर से फ्रांस ने सबसे कड़ा रुख अपनाया था. इसे अलावा सीरियाई प्रमुख बशर अल असद को हटाने की मांग को लेकर भी फ्रांस और ईरान एकमत नहीं हैं. सीरियाई शासक ईरान को अपने सबसे मजबूत समर्थकों में गिनता है. अब इस्लामिक स्टेट पश्चिमी देशों और ईरान दोनों का साझा शत्रु है. मध्यपूर्व में शांति लाने के मकसद से फ्रांस सरकार ईरान के साथ काम कर सकने पर सहमत हो सकती है.