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संयुक्त राष्ट्र ने खींचा सफाई की ओर ध्यान

१९ नवम्बर २०१४

19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस के रूप में मना कर संयुक्त राष्ट्र दुनिया भर का ध्यान इस समस्या की ओर खींच रहा है कि आज भी लाखों लोग खुले में शौच करने पर मजबूर हैं.

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तस्वीर: Murali Krishnan

संयुक्त राष्ट्र अध्यक्ष बान की मून ने आज कहा कि यह चिंता का विषय है कि दुनिया में हर तीन में से एक महिला के पास साफ और सुरक्षित शौचालय की सुविधा नहीं है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एक अरब लोग खुले में शौच करने पर मजबूर हैं. माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र की अलग अलग शाखाएं लोगों तक इन संदेशों को पहुंचा रही हैं.

भारत और पाकिस्तान में हालत काफी बुरे हैं. यही वजह है कि यूनिसेफ इंडिया और यूनिसेफ पाकिस्तान भी सोशल नेट्वर्किंग साइटों द्वारा आज के दिन का प्रचार के लिए इस्तेमाल कर रही हैं. भारत में यूनिसेफ ने लिखा है कि हमें सुनिश्चित करना होगा कि हर बच्चे को स्कूल में शौचालय की सुविधा प्राप्त हो. यूनिसेफ ने ट्वीट किया है कि भले ही स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट की संख्या बढ़ी हो, लेकिन यह अभी भी पर्याप्त नहीं है.

वहीं यूनिसेफ पाकिस्तान ने देश में मरने वाले बच्चों की संख्या पर ध्यान खींचने की कोशिश की है और कहा है कि 2013 में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले लगभग सवा तीन लाख थे, जिसमें से पचास हजार से ज्यादा पाकिस्तान के थे. साफ सफाई ना होने के कारण बच्चों की जान गयी.

भारत में स्वच्छता आंदोलन के मद्देनजर शौचालयों की कमी सरकार की एक बड़ी चिंता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ना केवल भारत की सड़कों को साफ रखने का प्रचार कर रहे हैं, बल्कि हर घर में टॉयलेट होने की बात पर भी जोर दे रहे हैं. इसी सिलसिले में शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया है, "हमें प्रण लेना चाहिए कि 2019 तक खुले में शौच को पूरी तरह खत्म कर देंगे."

मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है और कई राष्ट्राध्यक्षों के अलावा बिल गेट्स ने भी उनकी तारीफ की है. मोदी का नारा है कि देश में मंदिर बाद में बनें, पहले शौचालय बनाए जाएं.