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संयुक्त राष्ट्र परिषद में जर्मनी और अमेरिका

१३ नवम्बर २०१२

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में अमेरिका एक बार फिर चुन लिया गया है. जीत के साथ ही अमेरिका ने संगठन की कमियों को दूर करने के लिए अभियान चलाने की प्रतिबद्धता जताई है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

47 देशों के इस संगठन का 2009 तक अमेरिका बहिष्कार करता रहा लेकिन उसी साल उसने इसकी सदस्यता पाने की भी कोशिश की. 2010 में उसे पहली बार कामयाबी मिली. जॉर्ज बुश के जमाने तक अमेरिका इस संगठन का विरोध करता रहा लेकिन ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद वह कार्यकर्ता के रूप में इसमें शामिल हुआ. इसका पहला कार्यकाल इसी साल 31 दिसंबर को खत्म हो रहा है और अब दूसरे कार्यकाल के लिए भी चुनाव हो गया. यहूदी राष्ट्र इस्रायल की आलोचना करने के लिए अमेरिका और इस्रायल मानवाधिकार परिषद को बुरा भला कहते रहे हैं.

193 देशों की संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने मानवाधिकार परिषद के लिए 17 और देशों को चुना है जिनका कार्यकाल अगले साल जनवरी से शुरू होगा. अमेरिका को क्षेत्रीय गुट "पश्चिमी यूरोप और अन्य" के ज्यादातर वोट मिले जो बाकी बचे उन पर जर्मनी और आयरलैंड के खाते में गए. हालांकि मानवाधिकार संगठन इस चुनाव के लिए संयुक्त राष्ट्र आम सभा की आलोचना कर रहे हैं क्योंकि तीन खुली सीटें केवल यूरोपीय देशों के लिए रखी गईं. सिर्फ इतना ही नहीं मानवाधिकारों के मामले में बेहद खराब रिकॉर्ड वाले वेनेजुएला और पाकिस्तान को अमेरिका, जर्मनी और आयरलैंड से भी ज्यादा वोट मिले. यह देश लगातार मानवाधिकार गुटों और सरकारों की आलोचना झेलते रहे हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलैरी क्लिंटन ने कहा कि यह बेहद कड़ा मुकाबला था. उन्होंने कुछ राजनयिकों की इस राय से सहमति जताई कि अमेरिका के हारने का भी खतरा था क्योंकि वह इस मुहिम में काफी देर से शामिल हुआ. हालांकि क्लिंटन और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत सूजेन राइस ने कहा कि उनका देश इस संगठन में सुधार की कोशिशें जारी रखेगा. राइस ने सीरिया में मानवाधिकार परिषद की भूमिका को उचित कहा लेकिन इस्रायल के मामले में इसकी आलोचना की.

Eröffnung der 21. Sitzung des UN-Menschenrechtsrats in Genf 2012
तस्वीर: Getty Images

परिषद की सदस्यता पाने वाले देशों में एक और बड़ी ताकत जर्मनी है. जर्मनी ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह और ज्यादा सहमति बढ़ाने के रास्ते पर चलेगा. संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के दूत पीटर विटिष ने कहा, "मानवाधिकार उल्लंघन के बड़े मामलों में हम खुल कर बोलेंगे लेकिन मानवाधिकार परिषद आरोप प्रत्यारोप की जगह नहीं है. इसकी बजाय हम सहयोग बढ़ाने और दूरियां घटाने में जुटेंगे."

परिषद के सदस्यों में अफ्रीका की तरफ से आइवरी कोस्ट, इथियोपिया, गेबॉन, केन्या और सिएरा लियोन शामिल हो रहे हैं, जबकि एशिया की तरफ से जापान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं. दक्षिण अमेरिका और कैरेबियाई देशों की तरफ से अर्जेंटीना, ब्राजील और वेनेजुएला होंगे जबकि इस्टोनिया और मोंटेनेग्रो पूर्वी यूरोप की ओर से यहां पहुंचे हैं.

एनआर/ओएसजे (एएफपी, रायटर्स)

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