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"संयुक्त सेना बनाए यूरोप"

१० मार्च २०१५

रूस के खतरे के मद्देनजर यूरोपीय आयोग के प्रमुख जाँ क्लोद युंकर ने यूरोपीय संघ की सेना बनाने की बात छेड़ी है. विश्लेषकों को ये प्रस्ताव हवाई लग रहा है.

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तस्वीर: Reuters/ECPAD

पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में जान माल का अथाह नुकसान झेल चुके यूरोप ने 1945 के बाद ही युद्ध से तौबा करने का फैसला किया. धीरे धीरे ऐसा होता भी गया. यूरोपीय संघ अस्तित्व में आया. सीमाएं खुल गई, कई देशों ने एक मुद्रा अपना ली. सैन्य खर्च में भारी कटौती हुई.

लेकिन 2013 के अंत में शुरू हुआ यूक्रेन संकट अब यूरोप को एक बार फिर सैन्य विकल्प की ओर झांकने पर मजबूर कर रहा है.

बीच में फंसा यूरोप

यूक्रेन में रूस के अड़ियल रूख से यूरोप असहज हुआ है. सुरक्षा के लिए यूरोप बहुत हद तक अमेरिका और नाटो पर निर्भर है. लेकिन यूक्रेन विवाद पर नाटो जिस तरह रूस से निपटना चाह रहा है, वो यूरोपीय संघ को मंजूर नहीं. बर्लिन और पेरिस मिलकर यूक्रेन संकट को हल करने की कोशिश कर रहे हैं. फरवरी में हुए मिंस्क समझौते के तहत यूक्रेनी सेना और रूस समर्थक विद्रोही विवादित इलाकों से भारी हथियारों समेत पीछे हट रहे हैं. लेकिन नाटो के अधिकारी दूसरे ही संकेत दे रहे हैं. बीते हफ्ते यूरोप में नाटो के शीर्ष कमांडर जनरल फिलिप ब्रीडलव ने कहा कि यूक्रेन में हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं. इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय में यूरोपीय मामलों की प्रमुख विक्टोरिया नुलैंड भी यूक्रेन के लोगों को विद्रोहियों के खिलाफ हथियार देने की इच्छा जता चुकी हैं.

Ukraine Kämpfe Separatisten Donezk
संघर्ष के दौरान मिसाइलें दागते यूक्रेनी विद्रोहीतस्वीर: Andrey Borodulin/AFP/Getty Images

जर्मनी और फ्रांस ऐसे बयानों से हैरान हैं. यूरोपीय संघ की धुरी माने जाने वाले इन दोनों देशों को पता है कि नाटो की गलत चाल व्लादिमीर पुतिन को रूसी सेना को यूरोप में घुसाने का बहाना दे देगी. जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद इसे टालना चाहते हैं.

यूरोपीय सेना का प्रस्ताव

इन कोशिशों के बीच अब यूरोपीय आयोग के प्रमुख युंकर का बयान आया है, जो चाहते हैं कि यूरोपीय संघ अपनी सेना बनाए. जर्मनी के रविवारीय अखबार 'वेल्ट आम जोनटाग' से बात करते हुए युंकर ने कहा, "आप तुरंत इस्तेमाल के लिए यूरोपीय सेना नहीं बना सकते. लेकिन यूरोपियनों की एक साझा सेना रूस को यह संदेश देगी कि हम यूरोपीय संघ के मूल्यों की हिफाजत करने के प्रति गंभीर हैं."

लक्जमबर्ग के प्रधानमंत्री रह चुके युंकर ने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की संयुक्त सेना से खर्च में भी कमी आएगी. यूरोपीय संघ के देश साझा सेना के जरिए हर साल 120 अरब डॉलर बचा सकते हैं. इससे यूरोपीय एकीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा, "ऐसी सेना साझा विदेश और सुरक्षा नीति का खाका तैयार करने में भी मदद करेगी."

लचर है प्रस्ताव

लेकिन कई विश्लेषक युंकर के इस प्रस्ताव को बेदम और विवाद खड़ा करने वाला करार दे रहे हैं. उनके मुताबिक शुरू में ये आइडिया आकर्षक लगता है क्योंकि यह रक्षा में होने वाले खर्च से राहत दिलाने की उम्मीद जगाता है. लेकिन व्यवहारिक रूप से देखा जाए तो 28 देशों वाले यूरोपीय संघ में हर देश रक्षा मामले में अपनी प्रभुता बरकरार रखना चाहता है.

Jean-Claude Juncker EU Kommissionspräsident 10.12.2014 Luxembourg
जॉं क्लोद युंकरतस्वीर: AFP/Getty Images/J. Thys

बर्लिन में जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के मार्कुस काइम कहते हैं, "मैं इस प्रस्ताव में बहुत सी कमजोर बातें देखता हूं जो दिखाती हैं कि यह सब एक साथ फिट ही नहीं होता. यूरोपीय सेना का रूस से कोई लेना देना नहीं है, तो एक यूरोपीय सेना से क्या अतिरिक्त फायदा होगा, ये तो सिर्फ युंकर ही जानते हैं."

ब्रिटेन इशारों इशारों में युंकर के प्रस्ताव को खारिज कर चुका है. काइम को लगता है कि जर्मनी और फ्रांस भी ऐसा ही करेंगे, "मुझे लगता है कि कई देश ब्रिटेन के पीछे छुपना पसंद करेंगे."

ओएसजे/आरआर (एएफपी)