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सऊदी अरब में ब्लैकबेरी पर बैन टला

८ अगस्त २०१०

सऊदी अरब के टेलीकॉम नियामक ने कहा है कि उसने ब्लैकबेरी सेवाओं पर बैन लगाने का फैसला सोमवार तक टाल दिया है. ब्लैकबेरी बनाने वाली कनाडा की कंपनी ने सऊदी अरब की चिंताएं दूर करने के लिए कुछ हल सुझाए हैं.

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अरब जगत में ब्लैकबेरी को लेकर डरतस्वीर: DPA

48 घंटे तक इस समाधान को टेस्ट किया जाएगा और उसके बाद ही बैन लगाने के फैसले पर विचार होगा. संचार और सूचना तकनीकी कमीशन ने कहा कि कंपनी को सोमवार तक की मोहलत दी गई है. एक बयान में कमीशन ने कहा कि मोबाइल सर्विस मुहैया कराने वाली कंपनी हमारी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश कर रही है, इसलिए उसे मोहलत दी गई है. बयान में कहा गया कि परीक्षण के नतीजों के आधार पर ही सर्विस को जारी रखने या रोक देने के बारे में फैसला किया जाएगा.

सर्विस उपलब्ध कराने वाली तीन कंपनियों में से एक के अधिकारी ने बताया कि ब्लैकबेरी बनाने वाली कंपनी रिसर्च इन मोशन (रिम) और सऊदी सरकार के बीच शनिवार को एक समझौता हुआ.

सऊदी अरब के सरकारी टेलीविजन अल अरेबिया ने कहा कि रिम ने सैद्धांतिक तौर पर सरकार को अपने ग्राहकों के संदेश को डीकोड कर पाने की छूट दे दी है. अल अरेबिया के मुताबिक मेसेज सर्विस के लिए देश में एक खास सर्वर लगाया जाएगा.

कुछ दिन पहले सऊदी अरब की दूरसंचार प्राधिकरण ने ब्लैकबेरी की सेवाओं पर बैन लगाने का फैसला किया था. एक आदेश में सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को कहा गया कि वे 6 अगस्त से पहले सर्विस बंद करें या फिर 13 लाख डॉलर का जुर्माना भरने को तैयार रहें. प्राधिकरण का कहना है कि ब्लैकबेरी सर्विस हमारे मापदंडों पर खरी नहीं उतरतीं और लाइसेंस की शर्तों को पूरा नहीं करतीं. शुक्रवार को तो कुछ ग्राहकों ने सेवाओं के बंद हो जाने की शिकायत भी की.

ब्लैकबेरी से जो ईमेल या डाटा भेजा जाता है वह कनाडा के एक सर्वर में सेव होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कंपनी रिम कनाडा में ही आधारित है. लेकिन इस वजह से कोई और, मसलन खुफिया एजेंसियां इन ईमेल और डाटा पर नजर नहीं रख सकतीं. ऐसे में ब्लैकबेरी सर्विस के गलत इस्तेमाल का खतरा बना रहता है.

सऊदी अरब में लगभग सात लाख लोग ब्लैकबेरी का इस्तेमाल करते हैं. अल कायदा के जन्म स्थान देश सऊदी अरब में इस्लामिक कानून लागू होता है और इंटरनेट सेवाओं पर कड़ी पाबंदियां हैं.

सऊदी अरब से पहले संयुक्त अरब अमीरात ने भी ब्लैक बेरी की मेसेज, ईमेल और इंटरनेट सर्विस पर बैन लगाने की घोषणा की. पांच लाख ब्लैक बेरी ग्राहकों वाले संयुक्त अरब अमीरात में यह प्रतिबंध 11 अक्टूबर से लागू होना है. पड़ोसी देशों बहरीन और ओमान ने इस तरह का बैन लगाने से इनकार किया है, जबकि लेबनान में अभी इस बात पर विचार हो रहा है.

अरब जगत के बाहर भी कुछ देश ब्लैकबेरी सेवाओं पर बैन लगाने के बारे में विचार कर रहे हैं. इनमें भारत और इंडोनेशिया भी शामिल हैं. हालांकि गुरुवार को इंडोनेशिया ने इससे इनकार किया. ब्लैक बेरी सेवाओं का मामला इतना बढ़ गया है कि गुरुवार को अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि वह इस मसले पर संयुक्त अरब अमीरात और अन्य देशों से बात करेंगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः उ भट्टाचार्य

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