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बचाने आएगा रोबोट

२८ अक्टूबर २०१५

दुनिया भर में इन दिनों रिसर्चर ऐसे रोबोट बना रहे हैं जो इमरजेंसी और विपदा की स्थिति में लोगों की फौरन मदद कर सकें. बॉन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ऐसा रोबोट बनाने के करीब हैं.

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Filmstill Terminator Genisys 2015 EINSCHRÄNKUNG
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. S. Gordon/2015 Paramount Pictures

परमाणु दुर्घटना, बाढ़ या आगजनी की स्थिति में, राहतकर्मियों का मौके तक तुरंत पहुंचना संभव नहीं होता है. दुर्घटनास्थल का जायजा लेने के लिए इन दिनों ड्रोन की मदद तो ली ही जा रही है लेकिन रोबोट सभी बाधाओं से निबटने के लिए अभी तक पूरी तरह तैयार नहीं हैं. बॉन यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने एक नए प्रकार का रोबोट बनाया है जो विभिन्न प्रकार की बाधाओं से निबट सकता है और जान बचाने में मददगार हो सकता है.

रोबोट किस हद तक काम को अंजाम दे पा रहा है यह देखने के लिए रिसर्चरों ने उसके लिए काल्पनिक परिस्थिति की संरचना की. एक गोदाम ढह गया है. राहतकर्मी मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश कर रहे हैं. दमकलकर्मियों और चिकित्सकों को खुद अपनी जान का खतरा है. गोदाम के दूसरे हिस्से भी ढह सकते हैं. राहतकर्मी यह पता करने के लिए रोबोट की मदद लेते हैं कि क्या मलबे के नीचे घायल दबे हैं. रोबोट ऐसी जगहों पर पहुंच जाता है जहां राहतकर्मियों के लिए जाना मुमकिन नहीं. बेहद गर्मी, मलबे या विकिरण के खतरे के कारण.

ह्यूमैनॉयड

अभी तो यह भविष्य की बात है. लेकिन बॉन के इंफॉर्मैटिक्स इंस्टीट्यूट की एक टीम एक ह्यूमैनॉयड बनाने में लगी है, इंसान जैसा रोबोट, जो मदद करने में सक्षम हो. युवा शोधकर्मियों को उनके काम के लिए अंतरराष्ट्रीय सराहना मिली है. वे टेस्ट कर रहे हैं कि निम्ब्रो नाम का रोबोट क्या क्या कर सकता है.

बॉन यूनिवर्सिटी के इंफॉर्मैटिक्स इंस्टीट्यूट के टोबियास रोडेहुट्सकोर्स के मुताबिक, "इस प्रोजेक्ट के पीछे आइडिया यह है कि विपदा की कुछ परिस्थितियों में इंसानी राहतकर्मियों को तैनात करना संभव नहीं होता, क्योंकि इमारत के गिरने का खतरा होता है, या गैस के धमाके का. ऐसी स्थिति में आप दुर्घटनास्थल का आरंभिक जायजा लेने के लिए इंसान के बदले रोबोट को भेजना चाहते हैं और स्थिति को माकूल बनाने के लिए शुरुआती कदम उठाते हैं."

घरेलू काम में मददगार रोबोट

जटिल तकनीक

ध्वस्त गोदाम के अंदर पहुंचने के लिए रोबोट रास्ते को साफ करता है. फिलहाल वो ऐसा स्वतंत्र होकर नहीं कर सकता. रिसर्चरों को मौके पर पहुंचने में उसकी मदद करनी पड़ रही है. इस काम के लिए रोबोट सात कैमरों और एक लेजर स्कैनर से लैस है. उसके जोड़ों और पांवों पर 60 मोटरें हैं. टोबियास रोडेहुट्सकोर्स इसके संचालित करने का तरीका समझाते हुए बताते हैं, "एक ऑपरेटर रोबोट के मूवमेंट को संचालित कर रहा है और तय कर रहा है कि वह किस तरह से अपने पांव आगे बढ़ाएगा. एक दूसरा ऑपरेटर रोबोट के हाथों को नियंत्रित कर रहा है.

बचाव कार्य के दौरान पता चलता है कि एक पाइप से गैस लीक हो रही है. यहां धमाका होने का गंभीर खतरा है. यहां भी गैस के टूटे पाइप को बंद करने के लिए रोबोट को तैनात किया जाएगा. रोबोट को फिर से हाथों के ऑपरेटर से मदद मिलती है. रिसर्च टीम में शामिल सेबाश्टियान शुलर कहते हैं, "मैं रोबोट के हाथों को संचालित कर रहा हूं. मैं इस चश्मे से वह देख रहा हूं जो रोबोट देख सकता है. मैं रोबोट के आस पास का इलाका 3डी में देख रहा हूं, ताकि मैं स्थिति को समझ सकूं. और मैं इन कंट्रोलरों की मदद से रोबोट के हाथ चला सकता हूं और एक मॉडल की मदद से यह भी देख सकता हूं कि हाथ कहां जा रहा हैं, मैं हाथों को खोल और बंद कर सकता हूं."

ऑल इन वन

यदि गैस वेंटिलेशन तक पहुंचने में कोई बाधा है, तो यह रोबोट के लिए कोई समस्या नहीं. एक औजार की मदद से वह बाधा दूर कर सकता है और रास्ते को ड्रिलिंग या घिस कर साफ कर सकता है. इस रोबोट की खासियत इसका कॉम्बिनेशन है. इंसान जैसा ऊपरी शरीर, यानि इंसान जैसे दो हाथ. लेकिन दो पैरों वाले आधार के बदले इसमें चार पैरों वाला आधार है जो मूवमेंट के दौरान ज्यादा स्थायित्व देता है.

पक्षियों की तरह उड़ान

चूंकि इस टेस्ट में इमारत अभी भी गिर सकती है, बचावकर्मी रोबोट को दूसरे कमरों में भी लापता लोगों को खोजने देते हैं. इसके लिए रोबोट को कमरों का दरवाजा खोलना होगा. जरूरत होने पर रोबोट घायलों की जान बचा सकता है. इंफॉर्मैटिक्स इंस्टीट्यूट के माक्स श्वार्त्स इसे बहुत मुश्किल नहीं मानते, "यहां हम ऐसी परिस्थिति देख रहे हैं जहां एक इंसान जमीन पर गिरा पड़ा है. इसे साफ तौर पर देखा जा सकता है. और तब उसे बचाने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं."

फिलहाल रोबोट ऑटोमैटिक तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. रिसर्चरों का लक्ष्य है कि रोबोट हालात का खुद जायजा ले सकें और जरूरी कदम उठा सकें. तब तक बचाव कर्मियों को बाहरी मदद के बिना ही काम करना होगा.

मार्टिन रीबे/ओएसजे