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आईटी कर्मचारियों का खराब सड़कों पर विरोध

समरा फातिमा३० नवम्बर २०१५

बंगलुरू की सड़कों पर उतरे आईटी कर्मचारियों का सवाल है कि क्या उनका वोट और टैक्स दोनों ही बरबाद हुए? आईटी कंपनियों के लिए मशहूर इलाके व्हाइट फील्ड की बुरी हालत के खिलाफ कर्मचारियों ने खुद मुहिम छेड़ी.

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तस्वीर: DW/K. Prabhakar

व्हाइट फील्ड इलाके की जगह जगह टूटी सड़कों के कारण कर्मचारियों को आने जाने में खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. व्हाइट फील्ड की हालत में सुधार की मांग करते हुए यहां की आईटी कंपनियों के कर्मचारी और अन्य युवा #SaveWhiteField हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर भी आवाज बुलंद कर रहे हैं. व्हाइट फील्ड बंगलुरू का वह इलाका है जहां शहर की सबसे ज्यादा आईटी कंपनियां हैं और सबसे बड़ी संख्या में आईटी कर्मचारी काम करते हैं.

प्रदर्शनकारियों का मकसद है कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का ध्यान इस आईटी हब की तरफ खींचना. उनका कहना है कि बृहत बंगलुरू महापालिका की लापरवाही के चलते जगह जगह खुदी पड़ी सड़कें, टूटे रास्ते, मैनहोल से बहता गंदा पानी और बारिश में जलभराव की घटनाओं के चलते कर्मचारियों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.

अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए सोमवार सुबह कई कंपनियों के करीब 5 हजार कर्मचारी मराठाहल्ली, कुंडलहल्ली गेट, ग्रेफाइट इंडिया जंक्शन और एपिक जोन इलाकों में अपना विरोध दर्ज करने जमा हुए. उन्होंने मानव चेन बनाकर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की. उन्होंने सरकारी प्रतिनिधियों से मिलकर समस्या के समाधान पर चर्चा की मांग की.

लोगों की शिकायत है कि ये वे रास्ते हैं जहां से उन्हें हर रोज अपने काम के लिए गुजरना ही है. उनका कहना है कि जिस दूरी को वे कम समय में तय कर सकते हैं, खराब रास्तों की वजह से वे उन्हें एक से डेढ़ घंटे में तय कर पाते हैं जो कि तकलीफदेह है.

विरोध रैलियों के आयोजकों के मुताबिक दिन भर में देखते देखते समर्थकों की संख्या 10 हजार तक पहुंच गई. उन्होंने दोपहर एक बजे तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों को उम्मीद है कि कम से कम इससे सरकार के कान में यह आवाज तो पहुंचेगी कि लोग परेशान है और उन्हें कुछ करने की जरूरत है.