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सभी देशों को टेस्ट खेलने का बराबर मौका मिले: संगकारा

११ जुलाई २०१०

श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा ने कहा है कि अगर टेस्ट और वनडे मैचों में क्रिकेट प्रशंसकों की दिलचस्पी बरकरार रखनी है तो फिर संतुलित इंटरनेशनल कैलेंडर बनाने होंगे जिसमें हर टीम को बराबर खेलने का अवसर मिल सके.

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तस्वीर: AP

संगकारा का कहना है कि सभी देशों को टेस्ट मैच खेलने का बराबर अवसर मिलना चाहिए. "यह अच्छी बात है कि भारत श्रीलंका दौरे के लिए आ रहा है. लेकिन श्रीलंकाई टीम के लिए टेस्ट मैच खेलने का सपना धीरे धीरे सीमित होता जा रहा है." 2007 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद से श्रीलंका ने दक्षिण एशिया के बाहर एक भी टेस्ट मैच नहीं खेला है. 2002 से श्रीलंका दक्षिण अफ्रीका टेस्ट दौरे के लिए नहीं गया है. 2011 में इंग्लैंड दौरे पर श्रीलंका पांच साल बाद जाएगा.

Sri Lanka Bangladesh Cricket
तस्वीर: AP

श्रींलका के कप्तान ने अपील की है कि आईसीसी 2012 के लिए जो क्रिकेट कैलेंडर तैयार कर रही है उसमें ज्यादा टेस्ट मैचों को शामिल किया जाना चाहिए. संगकारा का तो यह भी कहना है कि श्रीलंकाई टीम को ही ज्यादा टेस्ट मैच खेलने का मौका नहीं मिलता. अगर भारत श्रीलंका के साथ तीन टेस्ट मैच खेलने के लिए राजी न हुआ होता तो पूरे साल में श्रीलंका सिर्फ दो टेस्ट मैच ही खेल पाता. इसके बावजूद इस साल श्रीलंका सिर्फ पांच टेस्ट ही खेल पाएगा.

संगकारा ने जोर देकर कहा है कि कैलेंडर इस तरह से तैयार होना चाहिए कि दुनिया की बेहतरीन टीमों को पांच साल में एक दूसरे के यहां खेलने का मौका मिल सके. संगकारा के मुताबिक आईपीएल जैसी लीग के लिए भी समय रखा जाना चाहिए ताकि खिलाड़ी उसमें हिस्सा ले सकें. लेकिन चिंता उन्हें इस बात की भी है कि कहीं ज्यादा क्रिकेट की वजह से प्रशंसक ऊब न जाएं.

कोलंबो में संगकारा ने बताया कि पिछले कुछ समय में दुनिया में क्रिकेट दर्शक कम हुए हैं जबकि वनडे, टेस्ट और ट्वेंटी20 क्रिकेट मैचों में कमी नहीं हुई है.

"मुझे बताया गया है कि टेस्ट मैचों के लिए दर्शकों की संख्या में 40 फीसदी तक की कमी आई है. यह संख्या वनडे और ट्वेंटी20 मैचों के लिए भी घटी है." संगकारा मानते हैं कि टी20 के उभरने से वनडे और टेस्ट मैच क्रिकेट परिवार के उबाऊ रिश्तेदार लगते हैं.

32 साल के संगकारा टेस्ट मैचों के लिए वर्ल्ड चैंपियनशिप आयोजित कराने या फिर नाइट टेस्ट मैच कराने के विचार का समर्थन करते हैं. संगकारा की राय में इससे क्रिकेट को एक बार फिर दर्शकों और प्रायोजकों में लोकप्रिय करने में मदद मिलेगा. "हम उपभोक्ताओं को नजरअंदाज बिलकुल नहीं कर सकते. असल में तो स्पॉन्सरिप के जरिए ही क्रिकेट बोर्डों को पैसा मिलता है."

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ओ सिंह