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समय पर दवा लेना जरूरी

६ अगस्त २०१४

डॉक्टर पर्ची पर लिख कर देते हैं कि कोई दवा दिन में कितनी बार और कितने दिन तक लेनी है. इसके साथ ही वे यह भी बताते हैं कि दवा किस समय लेनी है. इसे नजरअंदाज ना करें.

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तस्वीर: Fotolia/motorlka

"डॉक्टर का तो काम ही है दवा देना", "दवाओं का असर ही कहां होता है, बीमारी अपने वक्त से ही जाती है".. इस तरह की बातें आम हैं. कई कई दिन तक दवा लेने के बाद भी जब बीमारी ठीक नहीं होती तो लोग डॉक्टर और दवा को कोसने लगते हैं. ऐसा करने से पहले ध्यान दें, क्या आप दवा सही समय पर ले रहे हैं?

अधिकतर माना जाता है कि खाली पेट दवा नहीं लेनी चाहिए. एक आम मान्यता है कि एंटीबायोटिक दवाओं की तासीर इतनी गर्म होती है कि उन्हें लेने से पहले खाना जरूरी है. डॉक्टरों की सलाह है कि नीम हकीमी ना करें, बल्कि डॉक्टर की बात को ध्यान से सुनें और जैसा कहा जा रहा है वैसा ही करें.

हर दवा की शरीर में घुलने की क्षमता अलग होती है. इसीलिए किसी दवा को खाना खाने से पहले, किसी को खाना खाने के दौरान तो किसी को खाना खाने के बाद लेने को कहा जाता है. जर्मनी के केमिस्ट संघ ने नए निर्देश जारी कर इस बात पर जोर दिया है.

अगर डॉक्टर से ठीक से बात नहीं कर पाए हैं, तो दवा लेने से पहले पैकेट में मौजूद पर्ची को ठीक से पढ़ लें. अगर खाने से पहले दवा लेने के निर्देश दिए गए हैं, तो दवा लेने के आधे से एक घंटे बाद ही खाना खाएं. अगर खाने के दौरान कहा गया है, तो खाना शुरू करने से ठीक पहले दवा ले सकते हैं. और अगर खाने के बाद के निर्देश हैं तो खाना पचने का इंतजार ना करें, फौरन दवा ले लें.

कुछ दवाएं खाली पेट लेनी होती हैं. इन्हें या तो सुबह उठते ही ले लें, या फिर अगर ऐसा करना भूल जाएं तो ध्यान रखें कि दवा लेने के दो घंटा पहले और बाद में कुछ भी खाया ना जाए. इसकी वजह यह है कि खाना दवा की शरीर में घुलने की प्रक्रिया को तेज या धीमा कर सकता है. इसीलिए सही समय पर ली गयी दवा जल्दी असर दिखाएगी.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया (डीपीए)

संपादन: आभा मोंढे