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समुद्र तल में सोना

३ सितम्बर २०१३

सोने की बढ़ती कीमतों के साथ यह तो नहीं कहा जा सकता कि सोना पेड़ पर उगता है, लेकिन यह जरूर हो सकता है कि कुछ दिन में सोना पानी से निकाला जाए. जर्मनी के वैज्ञानिकों का कुछ ऐसा ही मानना है.

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तस्वीर: imago/imagebroker

जर्मन वैज्ञानिकों का दावा है कि प्रशांत महासागर के कुछ गर्म हिस्सों में सोने के भंडार मौजूद हैं. इन इलाकों में तापमान काफी अधिक है. जर्मनी के जियो इंस्टिट्यूट फॉर साइंसेस एंड नैचुरल रिसोर्सेस (बीजीआर) के अनुसार उत्तरी ऑस्ट्रेलिया से 1,750 किलोमीटर पूर्व में वनाउटू के पास 1,850 मीटर गहराई पर तापमान 378 डिग्री सेल्सियस है. इससे अधिक तापमान अब तक सिर्फ अटलांटिक महासागर के एक इलाके में 403 डिग्री सेल्सियस पाया गया है.

न्यूरेम्बर्ग की बीजीआर यूनिवर्सिटी और ब्रेमेन की याकोब्स यूनिवर्सिटी ने रिमोट से चलने वाले रोबोट की मदद से यह तापमान मापा. यह रोबोट अत्यधिक गर्म समुद्र तल में मौजूद ब्लैक स्मोकरों की मदद से तापमान लेने में कामयाब हुआ.

ब्लैक स्मोकर समुद्र तल पर मौजूद वे सुराख होते हैं जो अंदर की गर्मी और खनिज बाहर निकालते हैं. देखने में यह किसी चिमनी जैसा लगता है. यहां से लिए गए द्रव सैंपल में वैज्ञनिकों को तांबे और जस्ते के अयस्क घुले हुए मिले हैं. इन अयस्कों की उपस्थिति यहां सोना मौजूद होने की संभावना की तरफ इशारा करती है.

समुद्र तल के नीचे सोना है या नहीं यह अभी तक पक्का नहीं है लेकिन बीजीआर के श्वार्त्स शामपेरा इस संभावना को लेकर काफी आशावादी हैं. यह इलाका वनाउटू की समुद्री सीमा के अंदर आता है. शामपेरा ने बताया कि वनाउटू ने सोना खोजने का काम एक कंपनी को दे दिया है और बीजीआर के पास वहां सिर्फ रिसर्च करने की ही अनुमति है. उन्होंने कहा, "हम पता लगाना चाहते हैं कि सोने के इस तरह के कितने बड़े भंडार हो सकते हैं." उनका मानना है कि इस तरह की जानकारी से समुद्र में बहुमूल्य धातुओं के ठिकानों का पता चल सकेगा. बीजीआर का काम है अंतरराष्ट्रीय पानी में उन ठिकानों का पता लगाना जहां से जर्मनी बहुमूल्य धातुएं निकाल सकता है.

एसएफ/आईबी (डीपीए)

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