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मंथन 147 में खास

२८ अगस्त २०१५

साइंस और लाइफस्टाइल के खास शो मंथन में इस बार जानिए कि कैसे साफ सफाई को महत्व देते हुए एक मेडिकल कॉलेज में इसे पढ़ाई का विषय ही बना दिया गया है.

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तस्वीर: Fotolia/Gennadiy Poznyakov

अस्पतालों में सफाई रखना आसान नहीं. सांस लेने की नली हो, घाव या डॉक्टरी उपकरण, इनके जरिए बैक्टीरिया शरीर के अंदर पहुंच सकता है. नतीजा जानलेवा इंफेक्शन के रूप में सामने आ सकता है. हर बड़े ऑपरेशन में एंटीबायोटिक की जरूरत होती है. लेकिन इसकी वजह से बैक्टीरिया की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. यह आधुनिक चिकित्सा का विरोधाभास है. मंथन की खास रिपोर्ट में जानिए कि कैसे जर्मनी के एक मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में इसे पढ़ाई का विषय बना दिया गया है और साफ सफाई को वहां कितनी संजीदगी से लिया जा रहा है.

ऑर्गेनिक मछली पालन

समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और इससे मेकांद डेल्टा को भी खतरा है. तटों की रक्षा करने वाले मैनग्रोव जंगलों को झींगा मछली की खेती के लिए काट दिया गया है. पश्चिमी देशों के बाजार में कमाई के लिहाज से झींगा की फार्मिंग बहुत कामयाब रही है, लेकिन पर्यावरण संरक्षकों ने स्थानीय मछुआरों को फिर से मैनग्रोव के जंगल लगाने के लिए राजी कर लिया है. मंथन में जानिए कि वियतनाम में किस तरह से नागरिकों को ऑर्गेनिक मछली पालन और मैनग्रोव के वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

मंथन 147 में खास

ऊबाऊ मर्दों का क्लब

अंग्रेजी शब्द डल का मतलब होता है सुस्त या बोरिंग. यह कोई तारीफ नहीं है, लेकिन "डल मेंस क्लब" ने खुद को सिर्फ यह नाम ही नहीं दिया है, बल्कि उन्हें इस पर नाज भी है. क्लब ने एक कैलेंडर निकाला है जिसका नारा है "डल इज कूल". कलब का कहना है कि वे केवल साधारण जीवन का आनंद लेते हैं. जिंदगी की छोटी छोटी बातों से खुश रहना उन्हें स्काई डाइविंग करने से बेहतर लगता है. उस समय का इस्तेमाल वे झपकी लेने के लिए करते हैं.

इसके साथ ही दिखाएंगे कि हाथों की कढ़ाई जो दादा-दादी के जमाने में घरों में दिखती थी. 19वीं सदी में बनी कढ़ाई करने की कला घर घर पहुंची और लेस कपड़ों के अलावा ड्राइंग रूमों की भी शान बन गयी. मिलवाएंगे आपको कलाकार नीस्पून से जिनकी लेस से बनी इंस्टॉलेशन गैलरियों में 2000 यूरो तक में बिकती हैं. लीस्पून को खुली सड़कों पर काम करना पसंद है, जबकि यह गैरकानूनी है.

आईबी/ओएसजे