सिनेमा का पर्फेक्ट कैनवस - जर्मनी
जर्मनी में घूमते हुए किसी फिल्म क्रू के दिख जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. देश में खूबसूरत लोकेशनों की कोई कमी नहीं है जिन्हें फिल्मी कैमरों में कैद करने की होड़ लगी रहती है.
राजधानी बर्लिन फिल्मों की पृष्ठभूमि और फिल्मी सितारों दोनों के लिए एक अहम केंद्र रहा है. 1987 में आई विम वेन्डर्स की फिल्म 'विंग्स ऑफ डिजायर' को कौन भूल सकता है जिसमें पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के बीच बंटे हुए बर्लिन शहर की परियों की मर्मस्पर्शी कहानी दिखाई गई.
विभाजन की प्रतीक रही बर्लिन की मशहूर दीवार आज भी इतिहास की गवाह बनी खड़ी है. कोल्ड वॉर काल की एक जासूसी कथा पर आधारित एक हॉलीवुड फिल्म की शूटिंग के लिए हाल ही में स्टीवन स्पीलबर्ग और टॉम हैंक्स यहां थे. सेंट जेम्स प्लेस कही जा रही इस फिल्म के कुछ हिस्से पॉट्सडाम के मशहूर पुल पर भी शूट हुए हैं.
साल 1973 में बनी फिल्म 'दि लेजेंड ऑफ पाउल एंड पाउला' को आज भी सबसे प्रसिद्ध ईस्ट जर्मन फिल्म माना जाता है. लंबे समय तक इस फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया गया. लेकिन बाद में इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि रूमेल्सबर्ग झील के पास हुई फिल्म की शूटिंग के चलते उसका नाम ही बदल कर 'पाउल एंड पाउला शोर' रख दिया गया.
'हेयर लेहमन' के नाम से 2003 में बनी फिल्म को पश्चिमी जर्मनी की रोजमर्रा के जीवन को बखूबी फिल्म में उतारने का श्रेय दिया जाता है. इसकी कहानी बर्लिन की दीवार के गिरने के कुछ हफ्ते पहले के दिनों को दर्शाती है. इसमें पश्चिमी बर्लिन के क्रॉइत्सबेर्ग में प्रचलित बोहीमियन कल्चर की झलक दिखी थी.
ऑस्कर पुरस्कार से नवाजी गई 2006 की फिल्म 'दि लाइव्स ऑफ अदर्स' ने 1980 के दशक में पूर्वी जर्मनी की खुफिया पुलिस श्टासी के प्रभाव की झलक दिखाई थी. डायरेक्टर फ्लोरियान हेंकेल ने बर्लिन के पूर्वी हिस्से के अल्पविकसित इलाकों पर शूटिंग की.
बर्लिन के बाबेल्सबर्ग स्टूडियो में दुनिया के कितने ही देशों के सेट बने हुए हैं. 2004 में आई 'दि बॉर्न सुप्रीमेसी' में बर्लिन तो दिखा ही है, साथ ही बाबेल्सबर्ग में मौजूद मॉस्को भी दिखाया गया है.
जेम्स बॉन्ड का अंदाज ही ऐसा है जो किसी भी देश में जाकर वहीं के रंग-ढंग में ढल जाता है. 1997 की 'टुमॉरो नेवर डाइज' में बॉन्ड बने पियर्स ब्रॉसनन को हैम्बर्ग शहर के एटलांटिक होटल की छत पर देखा जा सकता है. 2014 में भी इसी होटल को एक और जासूसी फिल्म 'ए मोस्ट वांटेड मैन' में शूट किया गया.
2014 में जॉर्ज क्लूनी हार्त्स इलाके के हाल्बेरश्टाट में अपनी फिल्म 'मॉन्यूमेंट्स मेन' की शूटिंग के लिए पहुंचे. हॉलीवुड और क्लूनी के यहां आने से सबका ध्यान इस शहर की ओर गया.
राइनगाउ में स्थित एबरबाख मॉनेस्टरी की खूबसूरती को 1986 की फिल्म 'दि नेम ऑफ द रोज' में कैद किया गया है. फिल्म में भिक्षुओं के रहने के साधारण से कमरों से किसी रहस्यमयी लाइब्रेरी का रास्ता जाता है.
1972 में लुकिनो विस्कॉन्टी की फिल्म 'लुडविग II' में बवेरिया की परीकथाओं जैसे महल नॉयश्वानश्टाइन को दिखाया गया है. साथ ही फिल्म में बवेरियन आल्प पहाड़ियों और हेरेनषीमजे झील के भी नजारे हैं.