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सीनेट में दिखी भारत अमेरिकी रिश्तों की चुनौतियां

महेश झा (पीटीआई)१६ जून २०१६

अमेरिकी सीनेट ने भारत के साथ सैनिक सहयोग बढ़ाने का समर्थन किया है, लेकिन सामरिक रक्षा कानून पर बहस के तहत दो भारत संबंधी संशोधन करने से मना कर दिया. भारत ने कहा कि नए कानून पर अटकलें लगाना समयपूर्व होगा.

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Washington Narendra Modi Rede vor Kongress
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E.Vucci

सीनेट ने खतरे के विश्लेषण, सैनिक सिद्धांत, फोर्स प्लानिंग, लॉजिस्टिकल सपोर्ट और इंटेलिजेंस जुटाने पर भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की बात कही है. सीनेटर जॉन सलिवन के प्रस्ताव का जॉन कॉर्नी और मार्क वार्नर ने भी समर्थन किया था. लेकिन दो दूसरे भारत संबंधी संशोधनों को सीनेट की सहमति नहीं मिली.

सैनिक समिति के प्रमुख जॉन मैक्केन के अनुसार इसकी वजह प्रक्रिया संबंधी मुश्किलों के अलावा राजनीतिक मुद्दे भी रहे. मैक्केन ने रक्षा निर्यात नियमों में संशोधन कर भारत को वैश्विक सामरिक और रक्षा सहयोग मानने का प्रस्ताव दिया था. दूसरा प्रस्ताव भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर सीनेटर मार्क किर्क का था.

रक्षा सहयोग का आयाम

भारत ने अमेरिकी सीनेट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि अंतिम टेक्स्ट के बारे में अटकलें लगाना काफी जल्दबाजी होगी. अमेरिका ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर भारत को महत्वपूर्ण रक्षा सहयोगी माना था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, "हमने नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट एनडीएए में भारत संबंधी संशोधन को शामिल नहीं किए जाने पर मीडिया रिपोर्ट देखी है. एनडीएए 2017 अभी बनने की प्रक्रिया में है और उसके अंतिम कंटेंट पर अटकलें लगाना समयपूर्व होगा."

अमेरिकी संसद में एनडीएए की तैयारी की प्रक्रिया में प्रतिनिधि सभा और सीनेट में कानून के कई मसौदे तय किए जाते हैं जिन्हें मिलाकर सहमति की प्रक्रिया से अंतिम टेक्स्ट तैयार होता है, फिर इसे मतदान के लिए कांग्रेस में पेश किया जाता है. विकास स्वरूप ने ये भी कहा कि नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट पास करने की प्रक्रिया भारत को प्रमुख रक्षा सहयोगी मानने के अमेरिकी सरकार के फैसले से अलग है.

भारत की असली चिंता

भारत संबंधी संशोधन को शामिल नहीं कर सीनेट ने भारत को अपना वैश्विक रणनैतिक और रक्षा पार्टनर मानने से इनकार कर दिया. लेकिन भारत को हथियारों की बिक्री को लेकर अमेरिका के निकट सहयोगियों और नाटो सदस्यों के बराबर लाने का संशोधन पास कर दिया. भारत की असली चिंता यह है कि आतंकवाद विरोधी संघर्ष में मदद के नाम पर पाकिस्तान के लिए एक कोष बनाने का फैसला किया गया है. सीनेट ने पाकिस्तान सिक्योरिटी इन्हैंसमेंट ऑथराइजेशन के तहत 80 करोड़ डॉलर की मंजूरी दी. पाकिस्तान संबंधी प्रस्तावों को सीनेट ने पास कर दिया.

अमेरिका का नया कोष कोएलिशन सपोर्ट फंड की जगह लेगा जिससे अफगानिस्तान और पाकिस्तान को आतंकवाद के लड़ने के कदमों के लिए धन मिलता था. 2013 से पाकिस्तान को इस कोष से 3.1 अरब डॉलर मिले हैं. नई व्यवस्था में पाकिस्तान को अफगानिस्तान की सुरक्षा जरूरतों से अलग कर दिया गया है और अब पूरा ध्यान पाकिस्तान की सुरक्षा जरूरतों पर दिया जाएगा. इस तरह अमेरिका ने पाकिस्तान को अमेरिका के लिए स्वतंत्र सामरिक मूल्यों वाला देश माना है.