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सीमा परिहार के लिए बिग बॉस के मायने

२३ नवम्बर २०१०

बिग बॉस के विशालकाय कोठी में जहां एक ओर लटके झटके वाले आधुनिक प्रतियोगी हैं, वहीं सीमा परिहार भी दावेदार हैं, जिनका एक भयंकर अतीत है लेकिन घर में वह बड़ी संयम के साथ रहती दिखती हैं.

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बिग बॉस के घर में सीमातस्वीर: DW

बिग बॉस की जिस ठकुराइन सीमा परिहार को बिग बॉस के घर में कप्तान चुन लिया गया है. एक के मुकाबले छह वोटों से. वह वहां दरअसल पैसा कमाने गई हैं. उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और हालत ये है कि खर्च चलना मुश्किल हो रहा है. करीब 100 दिन के लिए बिग बॉस के घर जाने से पहले सीमा वायदा कर के गईं हैं कि वे 8-10 लाख रुपये लेकर लौटेंगी.

Seema Parihaar
सीमा परिहार का घरतस्वीर: DW

परिहार को बिग बॉस ने 50,000 रुपये हफ्ता के हिसाब से पारिश्रमिक देने का वायदा किया है. एक अक्तूबर 2010 से 10 जनवरी 2011 तक सीमा मुंबई में बिग बॉस के घर रहेंगी. सीमा अभी भी ज़मानत पर हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट बिग बॉस की शूटिंग के लिए हर महीने उनकी सीजेएम कोर्ट में हाजरी माफ़ी की अर्जी को ख़ारिज कर चुका है.

सीमा परिहार का 13 वर्षीय बेटा सागर परिहार इस बात से बहुत खुश है कि स्कूल में टीचर और साथी उसे बिग बॉस कहकर बुलाने लगे हैं . स्कूल में लंच के दौरान साथी उससे पूछते हैं कि बताओ कल क्या होगा तो उसे अपनी मम्मी पर बड़ा गर्व होता है. लेकिन दरअसल वो बहुत उदास है. उसे अपनी मां के साथ न रहना बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा है. पर उसकी मौसी और सीमा की बड़ी बहन मंजू परिहार जब उसे समझाती हैं कि मम्मी पैसे लेकर लौटेंगी जिससे वो तुमको बहुत बड़े स्कूल में पढने भेजेंगी तो सागर के चेहरे पर एक आत्मविश्वास नज़र आता है.

Der kleine Sohn, Sagar, von Seema Parihaar
सीमा का बेटा सागर परिहारतस्वीर: DW

मंजू ने डायचे वेले को बताया कि सीमा के बिग बॉस में जाने से सबकी आर्थिक समस्याएं सुलझ जाएंगी. सागर दिबियापुर के आदर्श इंटर कालेज में छठी क्लास का छात्र है. मंजू के मुताबिक अब सीमा पर सिर्फ तीन मुक़दमे ही बाकी रह गए हैं.

दस्यु सुंदरी का भयानक इतिहास

उत्तर प्रदेश के ओरैया जिले के दिबियापुर की रहने वाली 35 वर्षीय सीमा परिहार ने 13 वर्ष की आयु में ही बन्दूक उठा ली. लालाराम और निर्भय गूजर के गिरोह की सदस्य रह चुकी दस्यु सुंदरी सीमा परिहार पर करीब 70 हत्याओं और 200 लोगों के अपहरण का आरोप था. जिस समय उन्होंने कानपुर पुलिस के सामने 2003 में आत्मसमर्पण किया, उस समय भी उन पर हत्या के 29 मुक़दमे चल रहे थे. चम्बल के बीहड़ों में उनके जीवन पर निर्माता आनंद ने फिल्म वुंडेड बनाई. चम्बल के बीहड़ों में शूट हुई इस फिल्म में सीमा ने अपना किरदार खुद किया. कृष्ण मिश्र ने इस फिल्म का निर्देशन किया और इसे 2005 में लन्दन के एक्सपो फिल्म फेस्टिवल क्रिटिक्स अवार्ड भी मिला लेकिन फिल्म बुरी तरह से फ्लाप हो गई.

राजनीति भी की

आत्मसमर्पण के बाद निर्भय गूजर की पत्नी सीमा परिहार ने राजनीति में भी हाथ पांव मारे लेकिन कामयाब नहीं हो सकीं. ९ अक्तूबर २००८ को मुलायम सिंह कि मौजूदगी में ओरैया जिले में एक सभा में समाजवादी पार्टी में शामिल हुईं. लेकिन में ज्यादा दिन नहीं रहीं. उससे पहले 2005 के संसदीय चुनाव में इंडियन जस्टिस पार्टी के टिकट पर उन्होंने मिर्ज़ापुर से चुनाव लड़ा लेकिन उनकी ज़मानत ज़ब्त हो गई. ये वही सीट थी जिससे एक और दस्यु सुंदरी फूलन देवी संसद पहुंची थीं.

लखनऊ से सुहेल वहीद

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