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सीरिया में फूंक फूंक कर चलता जर्मनी

२८ अगस्त २०१३

पश्चिमी सहयोगी देश खुले तौर पर सीरिया के खिलाफ सैन्य हमले के बारे में सोच रहे हैं लेकिन जर्मनी की सीरिया नीति का ध्यान मानवीय सहायता और राजनीतिक हल ढूंढने पर है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन सरकार ने सीरिया में हाल की घटनाओं के बाद सावधानी से प्रतिक्रिया दी है. हालांकि दूसरे पश्चिमी नेताओं की तरह ही चांसलर अंगेला मैर्केल को भी शायद ही इस में कोई संदेह है कि सीरिया ने अपने ही लोगों के खिलाफ रासायनिक हथियार का इस्तेमाल किया है. अपनी प्रवक्ता के जरिए मैर्केल ने कहा कि जहरीली गैस का इस्तेमाल हुआ तो फिर और भी बहुत कुछ होना चाहिए.

जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने कहा है, "अगर इसकी पुष्टि हो जाती है तो अंतरराष्ट्रीय बिरादारी को जरूर कार्रवाई करनी चाहिए. उस वक्त जर्मनी उनके साथ होगा जो उपयुक्त परिणामों की बात करेंगे." हालांकि चांसलर और विदेश मंत्री दोनों ने जान बूझ कर इन "परिणामों" का मतलब साफ साफ नहीं किया है.

USA verstärken Marine-Präsenz vor syrischer Küste
तस्वीर: Jay Directo/AFP/Getty Images

संयम की नीति

जर्मनी के शीर्ष नेताओं के बयानों की अस्पष्टता को समझ पाना मुश्किल है. हैम्बर्ग की गीगा यूनिवर्सिटी ऑफ मिडिल ईस्ट में राजनीति शास्त्री आंद्रे बांक कहते हैं, "जर्मनी की सीरिया नीति में पक्के तौर पर स्वतंत्र रुख नहीं दिखता." सैद्धांतिक रूप से हालांकि जर्मनी ने खुद को उन पश्चिमी सहयोगी देशों की तरफ ही रखा है जो फिलहाल सीरिया में सैनिक कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं.

थोड़ा पीछे जा कर देखें तो जर्मनी के व्यवहार की अस्पष्टता की वजहें मिल जाती हैं. पूर्व जर्मन चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर के दशक भर पहले इराक युद्ध में शामिल होने से इनकार ने 2002 के चुनावों में उनकी जीत में भूमिका निभाई. हालांकि पश्चिमी सहयोगियों से रिश्तों में तनाव आया और अमेरिका के साथ तो खास तौर से.

2011 में जर्मनी अपने नाटो सहयोगियों से अलग जा कर खड़ा हो गया. लीबिया में कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वोटिंग के समय जर्मनी ने खुद को अलग कर लिया. इस अलगाव ने उसे चीन और रूस के साथ खड़ा कर दिया जो फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन के खिलाफ थे.

Syrische Nationale Koalition in Istanbul, Türkei 04.07.2013
तस्वीर: Ozan Kose/AFP/Getty Images

सीरिया के मामले में शायद जर्मनी ऐसी स्थिति से बचना चाहता है. यही वजह है कि जर्मनी की सीरिया नीति दूसरे यूरोपीय देशों के साथ मजबूती से जुड़ी नजर आती है. हालांकि फ्रांस और ब्रिटेन की तुलना में जर्मनी थोड़ा नरम नजर आता है.

इसी साल फ्रांस और ब्रिटेन के आग्रह पर यूरोपीय संघ ने सीरिया के खिलाफ हथियारों की बिक्री पर लगी रोक हटा ली. जर्मनी ने असद सरकार के खिलाफ सख्त पाबंदियों को तो समर्थन किया लेकिन विद्रोहियों को हथियार देने का विरोध किया. हालांकि विद्रोहियों को असैनिक उपकरण जैसे कि रक्षा जैकेट या फिर मानवीय सहायता को समर्थन दिया.

राजनीतिक हल की तलाश

जर्मनी में सारे दलों के नेताओं ने राजनीतिक हल में दिलचस्पी दिखाई है और यह कुछ ही हफ्तों बाद होने जा रहे आम चुनाव से ठीक पहले की ही बात नहीं है. सत्ताधारी सीडीयू के संसदीय गुट के विदेश नीति प्रवक्ता फिलिप मिसफेल्डर ने कहा, "सीरिया में मानवीय हालात की बढ़ती नाटकीय स्थिति में इस बात की तुरंत जरूरत है कि सुरक्षा परिषद में एक साझा रुख विकसित किया जाए."

हालांकि यह रुख अब तक पहुंच से दूर है. रूस और चीन के वीटो शक्ति ने अब तक सीरिया पर कोई साझा रुख बनने नहीं दिया है. दोनों देशों को चिंता है कि इसमें आगे चल कर सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को सत्ता से बाहर करने की बात आएगी. हालांकि जर्मन नीति का भी लक्ष्य "असद के बगैर सीरिया" है. मिसफेल्डर का कहना है, "शुरू से ही जर्मनी ने सीरिया के लिए नए राजनीतिक और आर्थिक शुरुआत की बात की है. असद की सत्ता के बाद सीरिया को भविष्य देना ही हमेशा लक्ष्य रहा है."

Raketen Abwehrsystem Patriot der Bundeswehr
तस्वीर: Deutsche Bundeswehr/Getty Images

इसी वजह से जर्मनी ने सीरियाई विपक्ष को विवाद बढ़ने से पहले समर्थन दिया था. जर्मन सरकार ने विद्रोही गुटों के संगठन नेशनल कोएलिशन ऑफ सीरियन रिवॉल्यूशनरी एंड अपोजिशन फोर्सेज को मान्यता दी है. जर्मनी उन्हें "सीरियाई लोगों का वैध प्रतिनिधि" मानता है. जर्मनी फ्रेंड्स ऑफ सीरिया नाम के देशों के गुट का भी सदस्य है. इसके जरिए यूरोपीय संघ, अमेरिका और अरब देश सीरियाई विपक्ष के लिए सहायता जुटाने में सहयोग कर रहे हैं.

मानवीय सहायता जरूरी

सीरिया के राष्ट्रीय गठबंधन ने बर्लिन में अपना दफ्तर खोला है ताकि जर्मनी की गैरसरकारी संस्थाएं सीरियाई विपक्ष के लिए सहायता जुटाने में आसानी से काम कर सकें. इसके साथ ही यह सीरिया के लिए आने वाली चीजों के पहले अड्डे के रूप में भी काम कर रहा है. जर्मनी ने मार्च में कहा कि वह 5000 सीरियाई शरणार्थियों को लेने के लिए तैयार है.

2012 से अब तक जर्मन सरकार ने 19.33 करोड़ यूरो की रकम सीरिया और पड़ोस के देशों में मानवीय सहायता के रूप में भेजी है. हालांकि आलोचकों का कहना है कि जॉर्डन, तुर्की, लेबनान और इराक में शरण ले रहे सीरियाई लोगों की संख्या को देखते हुए यह रकम बहुत थोड़ी है. जर्मनी संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों और गैरसरकारी संगठनों के सहायता कार्यक्रमों के जरिए सहयोग कर रहा है.

सैन्य उपाय से दूरी

जर्मनी की सीरिया नीति में सहायता की बात है लेकिन इसमें सैन्य उपाय शामिल नहीं है. बांक का कहना है कि अगर हमला हुआ तो "निश्चित रूप से जर्मनी इसमें शामिल होने वाले पहले देशों में नहीं होगा." तुर्की-सीरिया के सीमावर्ती इलाके में जर्मनी ने कुछ पैट्रियट मिसाइल तैनात किए हैं. यह तभी हरकत में आएंगे जब सीरिया तुर्की पर दक्षिण पूर्व की ओर से हमला करेगा. भूमध्यसागर में जर्मन नौसेना के कई बेड़े तैनात हैं, जो सीरिया में दखल की स्थिति में मदद कर सकते हैं. इसके अलावा सहयोगी देशों के लड़ाकू विमानों में ईंधन भरने के लिए जर्मन विमानों से मदद मिल सकती है.

रिपोर्टः स्वेन पोलेन/एनआर

संपादनः ए जमाल