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सीरिया शांति वार्ता की मुश्किल शुरुआत

एमजे/ओएसजे (एएफपी, एपी)३ फ़रवरी २०१६

सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद की मदद में रूस की ताजा बमबारी के बाद संयुक्त राष्ट्र पर सीरिया शांति वार्ताओं को बचाने का दवाब बढ़ गया है. उधर गुरुवार को शुरू हो रहे दाता सम्मेलन में 9 अरब डॉलर जमा होने की उम्मीद है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/D.Lipinski

संयुक्त राष्ट्र के सीरिया दूत स्टेफान दे मिस्तुरा की जिम्मेदारी विवाद में शामिल पार्टियों को स्विट्जरलैंड में समझौता वार्ता के लिए राजी करवाना है, जिसमें अब तक 2,60,000 लोग मारे जा चुके हैं. सोमवार को विपक्षी दलों से मुलाकात के बाद मिस्तुरा ने कहा था कि वार्ता औपचारिक रूप से शुरू हो चुकी है, लेकिन 24 घंटे के अंदर साफ हो गया कि यह जल्दबाजी में दिया गया बयान था क्योंकि राष्ट्रपति असद का प्रतिनिधित्व कर रहे दल ने कहा कि वार्ता अभी तैयारी के स्तर पर है. सरकारी प्रतिनिधि बशर अल जाफरी ने कहा, "हमें अभी भी पता नहीं कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में कौन है."

Genf Syrien Konferenz Friedensgespräche
सीरिया कॉन्फ्रेंसतस्वीर: picture-alliance/dpa/S. di Nolfi

दूसरी तरफ विपक्षी वार्ता समिति ने भी मिस्तुरा के साथ तय बैठक यह कहकर स्थगित कर दी कि "इस समय मिस्तुरा के सामने पुरानी मांगें दुहराने की कोई वजह नहीं है." सीरियाई विपक्ष ने वार्ता शुरू करने से पहले मांग की थी कि सरकार नाकेबंद शहरों में मानवीय सहायता की अनुमति दे, नागरिकों पर बमबारी रोके और सरकारी जेलों में बंद हजारों कैदियों को रिहा करे. लेकिन विपक्षी वार्ताकारों को सबसे ज्यादा इस बात ने नाराज किया कि रूसी हवाई हमलों की मदद से सरकारी सेना अलेप्पो में विद्रोहियों के कब्जे वाले दो गांवों का कब्जा खत्म करने के करीब पहुंच रही है. सीरियान ह्यूमन राइट्स ऑब्जरवेटरी ने इलाके में सोमवार से 320 हवाई हमलों की खबर दी है, जिसमें 18 लोग मारे गए हैं.

मार्च 2011 में सीरिया में असद शासन के खिलाफ विद्रोह शुरू होने के बाद से देश की आधी से ज्यादा आबादी घरबार छोड़कर भाग गई है. लाखों लोगों ने पड़ोसी देशों में पनाह ली है जबकि दसियों हजार यूरोप पहुंचे हैं जिसकी वजह से यूरोपीय देशों में उग्र दक्षिणपंथी पार्टियों का प्रभाव बढ़ा है और यूरोपीय संघ के सद्य देशों के बीच रंजिश पैदा हुई है. सीरिया विवाद के कारण पैदा हुई स्थिति में कट्टरपंथी इस्लामिक स्टेट संगठन मजबूत हुआ है और उसने सीरिया और इराक के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है और पेरिस सहित दुनिया के कई हिस्सों में आतंकी हमलों को अंजाम दिया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय वार्ताओं के जरिए सीरिया में शांति लाना चाहता है और 18 महीने में वहां चुनाव कराना चाहता है.

Flüchtlinge mit Behinderung auf dem Weg nach Europa
सीरिया से भागते लाखों लोगतस्वीर: L. Gouliamaki/AFP/Getty Images

इस बीच सीरिया के गृह युद्ध के पीड़ितों की मदद के लिए गुरुवार को दाता देशों की बैठक हो रही है. आयोजकों को उम्मीद है कि इस बार दाता देश और अंतरराष्ट्रीय संगठन उदारता दिखाएंगे और 2016 के लिए जरूरी 9 अरब डॉलर की राशि देंगे. ये उम्मीदें परेशान सीरियाई शरणार्थियों द्वारा यूरोप पहुंचने के बाद पैदा हुई परिस्थितियां और उसके बाद शुरू हुआ शरणार्थियों के लिए मदद की बहस है. शरणार्थियों की संख्या को कम रखने की कोशिश कर रहे दाता देशों के लिए अधिक मदद देना उनके अपने हित में तो होगा ही, यह अंतरराष्ट्रीय एकजुटता के आदर्शों के भी अनुरूप होगा और सीरिया के पड़ोसी देशों में शरणार्थियों की हालत बेहतर करने में मददगार साबित होगा.

लंदन में हो रहे दाता सम्मेलन की मेजबानी ब्रिटेन के अलावा जर्मनी, नॉर्वे, कुवैत और संयुक्त राष्ट्र कर रहे हैं. इसमें अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राहत संगठनों के अलावा दर्जनों देशों के नेताओं को भी बुलाया गया है. लंदन में शरणार्थियों के लिए 9 अरब डॉलर की मांग रखी जाएगी जिसमें संयुक्त राष्ट्र के संगठनों के लिए 7.7 अरब और क्षेत्रीय सरकारों के लिए 1.23 अरब डॉलर की जरूरत शामिल है. तुर्की, लेबनान और जॉर्डन जैसे देशों ने आने वाले वर्षों में भारी आर्थिक सहायता की मांग की है. इन देशों में सीरिया के 46 लाख शरणार्थी रह रहे हैं. पिछले साल दाता सम्मेलन में 7 अरब डॉलर की मांग की गई थी लेकिन आश्वासनों के बावजूद इसका सिर्फ आधा ही जमा हुआ.