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सीरिया शांति वार्ता पर रहस्य बरकरार

२९ जनवरी २०१६

सीरिया में युद्ध को रोकने के मकसद से यूएन की मध्यस्थता में होने वाली बैठक योजना के अनुसार ही आयोजित होगी. रहस्य इस पर बना हुआ है कि शुक्रवार को जेनेवा की इस बैठक में कौन शामिल होगा और कौन नहीं.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Lubaki

संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता अहमद फौजी शुक्रवार सुबह भी यह बताने की स्थिति में नहीं थे कि जेनेवा वार्ता में कौन शामिल होगा और कौन नहीं. फौजी ने कहा, "योजना के अनुसार वार्ता शुरु होगी. लेकिन मैं नहीं कह सकता कितने बजे, कहां या डेलिगेट कौन होंगे."

सीरिया में गृह युद्ध को सुलझाने के लिए काफी लंबे समय से यूएन की मध्यस्थता वाली इस शांति वार्ता की प्रतीक्षा हो रही थी. चिंता ये है शुक्रवार को शुरु होने वाली इस वार्ता में अगर सभी अहम पक्ष हिस्सा नहीं लेते हैं तो समस्या का हल कैसे निकलेगा. सऊदी अरब समर्थित कई विपक्षी धड़े इस वार्ता में हिस्सा लेने में संकोच करते दिख रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि इसमें हिस्सा लेने वाले जितने भी पक्ष मौजूद होंगे, अंतरराष्ट्रीय वार्ता उन्हीं के साथ तय समय से शुरु होगी. सऊदी अरब में विपक्षी खेमे की हायर नेगोशिएशन कमेटी ने कहा है कि वह जेनेवा जाने के बजाए अपनी आंतरिक चर्चाएं शुक्रवार को ही अपनी राजधानी रियाद में करेगी. इस बैठक में वे अंतिम फैसला लेंगे कि यूएन-प्रायोजित वार्ताओं में हिस्सा लेना है या नहीं.

विपक्ष के कुछ महत्वपूर्ण सदस्यों ने संकेत दिया है कि जेनेवा में उनकी भागीदारी इस पर निर्भर करेगी कि सीरिया सरकार से हवाई हमले बंद करने और शहरों से घेराबंदी हटाने को कहा जाए. कमेटी के प्रमुख रियाद हिजाब ने कहा कि पैनल के सदस्य "इन मु्ददों पर वार्ताओं में कोई संभावना नहीं देख रहे हैं." उन्होंने बताया, "हम इस वार्ता में नहीं जा रहे क्योंकि चर्चा का अजेंडा हमें स्वीकार्य नहीं है. हम पहले की वार्ताओं में साफ कर चुके हैं कि सीरिया के भविष्य में हम सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद की भूमिका नहीं देखते."

Infografik gestorbene Syrien seit 2011 Englisch
2011 से अब तक सीरियाई संघर्ष में ढाई लाख से भी अधिक लोगों की जान गई.

विश्व भर की ताकतें यह उम्मीद कर रही हैं कि जेनेवा वार्ता से सीरियाई संकट को हल करने की एक राजनैतिक प्रक्रिया शुरु होगी. 2011 में एक शांतिपूर्ण सरकारविरोधी प्रदर्शन के साथ पर शुरु हुए आंदोलन में अब तक ढाई लाख से भी अधिक लोगों की जान जा चुकी है. सीरिया के संघर्ष का गलत फायदा उठा कर आतंकी गुट इस्लामिक स्टेट के लड़ाके देश के बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमा चुके हैं.

आरआर/एमजे (डीपीए,रॉयटर्स)