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सुकून से कहां रहें वन्य जीव?

११ नवम्बर २०१७

यह तस्वीर भारत में इंसान और वन्य जीवों के टकराव का सबूत है. पश्चिम बंगाल की इस तस्वीर को "नर्क यहीं है" शीर्षक दिया गया है.

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तस्वीर: Reuters/Thomson Reuters Foundation

बिलाप हाजरा ने यह तस्वीर पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में ली. तस्वीर अपने आप में सब कुछ बयान कर रही है. एक मादा हाथी अपने बच्चे के साथ भाग रही हैं. हाथियों के झुंड पर स्थानीय लोगों ने हथगोलों से हमला किया. नन्हा हाथी विस्फोट से झुलस भी गया.

भारत के सेंचुरी नेचर फाउंडेशन ने इस तस्वीर के लिए बिलाप हाजरा को फोटोग्राफर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड दिया. जजों में शामिल वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर नयन खानोल्कर कहते हैं, "हमारे मैदान, हमारी खदानें पशुओं के आवास पर कब्जा कर रही हैं. जमीन की मांग के चलते यह टकराव हो रहा है लेकिन हम भी जमीन के लिए कहां जाएं."

भारत में इस वक्त करीब 30,000 जंगली हाथी हैं. उन्हें संरक्षण और पर्याप्त इलाके की जरूरत है. जगह और भोजन की कमी के चलते हाथी काफी समय से इंसान की बस्तियों में घुस रहे हैं. झुंड में चलने वाले जंगली हाथी घरों को तोड़ देते हैं, फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और सामने आने वाले इंसान को कुचल देते हैं. भारत के वन विभाग के मुताबिक हाथियों के हमले में हर साल करीब 300 से ज्यादा लोग मारे जाते हैं.

लेकिन इतनी ही भारी कीमत हाथी भी चुकाते हैं. हर साल सैकड़ों हाथी शिकार, सड़क हादसों, बिजली के झटकों या जहर खाने से मारे जाते हैं. जंगली हाथी असल में सैकड़ों साल पुराने रास्ते को पहचानते हैं. वे हमेशा भोजन या पानी तक पहुंचने के लिए उसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन बीते दशकों में इन रास्तों में छोटे छोटे गांव बस गए. टकराव की एक वजह यह भी है.

यह सिर्फ पश्चिम बंगाल की ही दशा नहीं है. भारत के अन्य राज्यों में भी आए दिन वन्य जीवों और इंसान के टकराव की खबरें आती रहती हैं.

(जानवर भी शोक में बिलखते हैं)

ओएसजे/एमजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)