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सुनाई पड़ी इथियोपिया के शेरों की दहाड़

ओएसजे/एमजे (एएफपी)५ फ़रवरी २०१६

गांव वालों को कभी पंजों के निशान दिखते तो कभी दहाड़ सुनाई पड़ती. उनके दावों की जांच करने अधिकारी और वन्य जीव संरक्षक इलाके में पहुंचे. वहां जो मिला उसे देखकर जांचकर्ता खुशी से झूम उठे.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Grodotzki

इथियोपिया के अलाटस नेशनल पार्क के पास वैज्ञानिकों को शेरों के कई झुंडों का पता चला है. स्थानीय लोगों ने सबसे पहले इलाके में शेर दिखने की सूचना दी. पहले अधिकारियों और वन्य जीव संरक्षकों को इस पर भरोसा नहीं हुआ, क्योंकि इस इलाके में पहले कभी शेर नहीं देखे गए थे.

इस बीच एक अंतरराष्ट्रीय रिसर्च ग्रुप ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के हंस बॉयर की अगुवाई में एक जांच दल बनाया. जांच दल ने ग्रामीणों से बात की और इलाके का दौरा किया. जांच दल ने वहां कई स्वचालित कैमरे लगा दिए. इन कैमरों को एक सेंसर से जोड़ा जाता है. सेंसर के आस पास दिन या रात में किसी भी तरह की आवाजाही होते ही कैमरा फोटो खींच लेता है. बॉयर की टीम ने वहां कई कैमरा ट्रैप लगाए. कुछ दिनों बाद जब कैमरों की जांच की गई तो रिसर्चर खुशी से झूम उठे.

Afrika Löwen
शेरों के झुंड में कई शावक भीतस्वीर: picture alliance/Arco Images GmbH/Tuns

बॉयर के मुताबिक उस इलाके में करीब 200 शेर हो सकते हैं. करीब 27 से 54 शेर तो सिर्फ अलाटस के इलाके में ही हैं. अब जांच दल को लग रहा है कि शेरों की ऐसी ही अंजानी आबादी पड़ोसी सूडान में भी हो सकती है. वन्य जीव संरक्षण से जुड़े संगठन बॉर्न फ्री ने शेरों की इस खोज को बड़ी सफलता बताया है. बीते दशकों में अफ्रीका में शेरों की संख्या तेजी से गिरी है. 20वीं शताब्दी की शुरुआत में अफ्रीका में पांच लाख शेर थे. आज यह संख्या घटकर करीब 20,000 रह गई है. बिल्ली प्रजाति के ये सबसे बड़े शिकारी अब मुख्य रूप से बोत्स्वाना, नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे तक सिमट कर रह गए हैं.

कभी शेर अफ्रीकी महाद्वीप के अलावा मध्य पूर्व एशिया और भारत में भी पाए जाते हैं. मध्य पूर्व में तो अब शेरों का नामो निशान नहीं के बराबर बचा है. भारत में भी शेर गुजरात में गिर के नेशनल पार्क तक सिमट चुके हैं. भारत में शेरों की अलग नस्ल है, ये अफ्रीकी शेरों की तुलना में थोड़ी छोटी है. उन्हें एशियाई शेर कहा जाता है. गिर में करीब 500 से ज्यादा शेर बचे हैं.