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डिजिटल विकास की राह है साफ

२२ जनवरी २०१५

दावोस में इकट्ठा हुए दुनिया के टॉप टेक टाइकूनों का दावा है कि आने वाला समय तकनीकी उन्नति के लिहाज से ऐतिहासिक होगा. साथ ही उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि इस साल सुरक्षा से जुड़े खतरे पहले से भी बड़े होंगे.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

स्विट्जरलैंड के दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक फोरम में राजनीति और व्यापार जगत के नेताओं के साथ साथ तकनीक की दुनिया के सितारे भी हिस्सा ले रहे हैं. स्विस स्की रिजॉर्ट में जमा हुए विश्व के तमाम नेताओं की इस वार्षिक बैठक में समाज और लोगों की आय के लगातार बढ़ते अंतर पर तकनीक के असर की चर्चा काफी गर्म रही.

दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी 'सिस्को' के प्रमुख जॉन चैंबर्स ने कहा, "आप जो कुछ देखने जा रहे हैं, उसे समझने के लिए 1990 के दशक में हुए इंटरनेट विकास का 10 गुना कर दीजिए. ये बदलाव हर इंसान महसूस करने वाला है. हर कंपनी, हर देश और हर व्यक्ति डिजिटल होने जा रहा है." चैंबर्स का मानना है कि इन बदलावों से समाज में बेहतरी आएगी. वहीं अमेरिकी डिजिटल वॉलेट कंपनी 'पेपैल' के संस्थापक मैक्स लेवशिन ने बताया कि डाटा मैनेजमेंट और वेयरेबल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आई क्रांति विकसित और विकासशील देशों में समाज का कायापलट करने वाली हैं.

"सुरक्षा, सुरक्षा, सुरक्षा"

साइबर हमले और डिजिटल सुरक्षा को लेकर चिंताएं भी उतनी ही प्रबल हैं. हाल ही में सोनी से लेकर ईबे तक हुए तमाम साइबर हमलों के बीच विशेषज्ञों ने इनके और बढ़ने की आशंका जताई है. कंसलटेंसी फर्म एक्सेंचर के प्रमुख पियरे नांनटेर्मे बताते हैं, "आने वाले सालों में टेक इंडस्ट्री के सामने जो चार सबसे बड़े खतरे हैं, वे हैं - सुरक्षा, सुरक्षा, सुरक्षा, सुरक्षा."

सिस्को के सीईओ चैंबर्स ने भी चेतावनी दी कि सुरक्षा से जुड़ी समस्याएं कई गुना बढ़ने वाली हैं. चैंबर्स ने कहा, "अगर आपको लगता है कि पिछला साल इस लिहाज से बुरा था, तो इस साल देखिए. हर कंपनी और हर देश में (सुरक्षा व्यवस्था को) तोड़ा जाएगा." इस बढ़ते खतरे को देखते हुए ब्रिटेन और अमेरिका के नेताओं ने मिलकर साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक संयुक्त ईकाई बनाने का निर्णय लिया है.

अमीरी गरीबी का बढ़ता फासला

दावोस में इस बार कई प्रतिभागियों ने दुनिया के अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ते आय के अंतर पर चिंता जताई है. इसके अलावा यह चिंता भी है कि कहीं तकनीक के विकास से लोग तो पीछे नहीं छूट रहे. चैंबर्स ने बताया कि अगर टेक कंपनियां जल्दी से जल्दी विकास के नए रास्ते नहीं निकालतीं तो उनमें से 40 फीसदी तो रहेंगी ही नहीं. दूसरी ओर, तकनीक के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के कारण नौकरियां भी कम से कम हो सकती हैं. फिर भी, ज्यादातर लोगों का मानना है कि कुल मिलाकर तकनीकी विकास का समाज पर अच्छा ही असर होगा.

आरआर/एमजे(एएफपी)