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भविष्य की रोशनी

१ जुलाई २०१४

एलईडी पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने एक नए चमकदार पदार्थ का पता लगाया है, जो एलईडी बल्ब में काम आ सकता है. फॉस्फर से न केवल ऊर्जा क्षमता बढ़ती है बल्कि कृत्रिम रोशनी भी सूरज की तरह प्राकृतिक लगती है.

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तस्वीर: Deutscher Zukunftspreis/Ansgar Pudenz

जर्मनी के वोल्फगांग श्निक प्रकाश की गुणवत्ता के बारे में दो बातें जानते हैं. एक तो कि वह साल 2001 से चमकने वाले पदार्थों पर शोध कर रहे हैं और दूसरा कि पत्नी के साथ शॉपिंग करने के कारण वह अच्छी और बुरी लाइट में फर्क समझते हैं, "जब मैं कभी कभी अपनी पत्नी के साथ शॉपिंग पर जाता हूं तो वह मुझे दिन की रोशनी में रंग अच्छे से देखने को कहती है."

ये अनुभव अक्सर सभी को होता है. कभी कभी दुकान के अंदर की रोशनी इतनी अलग होती है कि नीला ड्रेस काला दिखता है. सॉलिड स्टेट केमिस्ट्री के प्रोफेसर श्निक और उनकी टीम ने म्यूनिख में नया चमकदार पदार्थ विकसित किया है जो इस तरह की समस्याओं को खत्म कर सकता है.

उन्होंने चमकने के लिए जरूरी एक नया पदार्थ विकसित किया है जिसका नाम है लुमिनोफोर. यह लाइट एमिटिंग डायोड का रंग इस तरह बदल सकता है कि इसे एलईडी मार्केट में संभावित क्रांति बताया जा रहा है.

रंगों का मिश्रण

यूरोपीय बाजार में 2012 से अति चमकीले बल्ब हटाए गए हैं, एलईडी सबसे अच्छे बल्ब के तौर पर उभर रहा है. ये पसंद किए जा रहे हैं क्योंकि बटन ऑन करते ही ये तुरंत प्रकाशमान हो जाते हैं और इनमें एनर्जी सेविंग लाइट की तरह कोई गर्म करने वाला फेस नहीं होता और इसमें किसी तरह का जहरीला पदार्थ भी नहीं है. लेकिन एलईडी की समस्या है कि इससे एक ही रंग की रोशनी निकलती है. लेकिन रोजमर्रा में भी हम रोशनी इसी तरह देखते हैं. सामान्य तौर पर हम सफेद रोशनी पसंद करते हैं और सफेद रोशनी कई रंगों का मिश्रण होती है. सामान्य तौर पर एलईडी से सफेद रोशनी पाने के लिए पीले से रंग का लुमिनोफोर नीले रंग के एलईडी में इस्तेमाल किया जाता है.

अब नई रोशनी सूरज सी बन सकेगी. श्निक कहते हैं, "कलर रेंडरिंग इंडेक्स जितना ज्यादा हो उतनी लाइट की गुणवत्ता अच्छी होगी. सूरज की रोशनी 100 पर है. एलईडी फिलहाल 80 पर है. हमारे चमकदार पदार्थ के साथ हम 90 पर पहुंच पाते हैं." उम्मीद की जा रही है कि नए लुमिनोफोर पदार्थ से एलईडी और सक्षम हो सकेंगे.

फिलहाल जो एलईडी बल्ब रोशनी में बहुत ज्यादा लाल मिला देते हैं. इस कारण तरंग दैर्घ्य पराबैंगनी जैसी हो जाती है जिसे इंसानी आंख पूरी तरह नहीं देख पाता. जो लाइट हम देख नहीं सकते, उसे बनाना ऊर्जा का नुकसान है. वैज्ञानिकों का कहना है कि उनका नया चमकदार पदार्थ इस समस्या को हल कर सकता है. इससे रंगों के मिश्रण में लाल कम जुड़ता है.

योहानेस थेमा, वुपर्टाल में पर्यावरण, जलवायु और ऊर्जा संस्थान के शोधार्थी थे. उनका कहना है कि ताजा एलईडी बल्ब भी ऊर्जा बचा सकता है. और जल्द ही एलईडी सीएफएल से बेहतर हो जाएगी. इतना ही नहीं सीएफएल में पाए जाने वाले पारे से भी मुक्ति मिल जाएगी.

रिपोर्टः कार्ला ब्लाइकर/एएम

संपादनः ए जमाल