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सेक्स सिखाने वाली वेबसाइट पर बवाल

डागमार ब्राइटेनबाख/आईबी१५ मार्च २०१६

क्या शरणार्थियों को सेक्स एजुकेशन की जरूरत है? जर्मन स्वास्थ्य शिक्षा संस्था ने इसके लिए एक खास वेबसाइट शुरू की है जो विवादों में घिरी है.

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Screenshot Zanzu Erklärungsseite für Flüchtlinge in Deutschland
तस्वीर: zanzu.de

"जांजू" नाम की यह वेबसाइट 12 भाषाओं में इंसानी शरीर और उसकी जरूरतों के बारे में जानकारी देती है. जर्मनी में स्कूलों में सेक्स एजुकेशन आम है. बच्चों को उम्र के साथ शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में बताया जाता है. संभोग, कंडोम के इस्तेमाल और गर्भावस्था पर जानकारी दी जाती है. सरकार का कहना है जर्मनी के विपरीत बहुत से देशों में इस तरह की शिक्षा नहीं दी जाती और अधिकतर शरणार्थी ऐसे ही देशों से आ रहे हैं जहां सेक्स से जुड़ी बातों को वर्जित माना जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए, जहां शरणार्थियों की जरूरतों के अनुसार उनकी भाषा में देश से जुड़ी अन्य जानकारियां दी जाती हैं, उसी प्रकार इस वेबसाइट के माध्यम से सेक्स एजुकेशन देने की कोशिश की जा रही है.

दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि नए साल की शाम जिस तरह से लड़कियों के साथ छेड़ छाड़ हुई, उसे देखते हुए सरकार ने यह वेबसाइट लॉन्च की है. लेकिन वेबसाइट डेवलपरों में से एक क्रिस्टीन विंकलमन ने डॉयचे वेले से बातचीत में इसे गलत बताया. उन्होंने कहा कि यह जर्मन स्वास्थ्य शिक्षा संस्था का एक प्रोजेक्ट है जिसे बेल्जियम के एक गैर सरकारी संगठन सेंसोआ के साथ मिल कर बनाया गया है और जिसे पूरा करने में तीन साल का वक्त लगा है. विंकलमन ने कहा, "यह वेबसाइट दरअसल विशेषज्ञों के लिए बनी है, जो अपने क्लाइंट या मरीजों की काउंसलिंग के दौरान इसकी मदद ले सकते हैं." फिलहाल इस वेबसाइट को ऑनलाइन आए तीन ही हफ्ते हुए हैं और प्रतिदिन 20,000 लोग इसे देख रहे हैं. विंकलमन इसे एक अच्छी शुरुआत मानती हैं. उनका कहना है कि जरूरी है कि लोगों तक सही जानकारी पहुंचे.

इस वेबसाइट पर कार्टूनों की मदद से परिवार नियोजन और जननांगों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है. संभोग के अलग अलग तरीकों को भी समझाया गया है. इसके अलावा जर्मनी की स्वास्थ्य प्रणाली पर भी जानकारी है. वेबसाइट का इस्तेमाल कर लोग अपने करीबी काउंसलिंग सेंटर तक पहुंच सकते हैं और परिवार नियोजन से जुड़े जर्मनी के कानूनों के बारे में और जानकारी पा सकते हैं. साथ ही यौन अपराधों के बारे में भी बताया गया है. वेबसाइट पर साफ साफ लिखा है कि महिला की मर्जी के खिलाफ उसके साथ यौन संबंध बनाना अपराध है और इसके लिए सजा हो सकती है. साथ ही यह भी बताया गया है कि जर्मनी में जननांगों की विकृत्ति अपराध है.

लेकिन यह वेबसाइट लगातार लोगों के गुस्से का भी शिकार हो रही है. सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि यह कदम जर्मन सरकार की विदेशियों के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है. लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या सरकार समझती है कि शरणार्थी बच्चों की तरह नासमझ हैं, जो उन्हें इस तरह की जानकारी की जरूरत है. वेबसाइट पर मौजूद पिक्टोग्राम और कार्टून सबसे ज्यादा विवादों में घिरे हैं. जोड़ों में एक व्यक्ति के श्वेत और दूसरे के अश्वेत होने को कुछ लोग समेकन का प्रतीक मान रहे हैं, तो अन्य इसे पूर्वाग्रहों से भरा हुआ बता रहे हैं.